अज्ञात बीमारी की जांच में उलझा स्वास्थ्य विभाग
रामनगर में बुखार उल्टी और फिर अचानक से किडनी फेल होने से अब तक दस बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभग मामले की जांच में जुटा हुआ है। लेकिन अभी तक कोई टीम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
अमित माही, ऊधमपुर
रामनगर में बुखार, उल्टी और फिर अचानक से किडनी फेल होने से अब तक रामनगर मेडिकल ब्लॉक के विभिन्न इलाकों से दस बच्चे मौत की आगोश में जा चुके हैं। छह बच्चे अभी जम्मू, चंडीगढ़ और लुधियाना में उपचाराधीन है। इस अज्ञात रोग के कारण हुई इन मौतों ने लोगों को ही नहीं स्वास्थ्य विभाग को हिला कर रख दिया है। स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों की विभिन्न टीमें रामनगर में आकर जांच कर चुकी हैं, लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। स्वास्थ्य विभाग के लिए यह अज्ञात रोग की जांच किसी ब्लाइंड मिस्ट्री की जांच जैसी ही है।
रामनगर मेडिकल ब्लॉक के अधीन आते विभिन्न इलाकों में अज्ञात बच्चों की मौत की मिस्ट्री सुलझाने में स्वास्थ्य विभाग ने अपनी ताकत झोंक दी है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की दो अलग टीमें रामनगर पहुंचीं। इनमें एक टीम डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज की है, जिसमें कंट्रोलर स्टोर डॉ. करतार चंद, स्टेट मलेरियालोजिस्ट डॉ. लक्ष्मण दास भगत शामिल थे। जबकि दूसरी टीम सरकारी मेडिकल कॉलेज जम्मू से माईक्रोबायोलॉजिस्ट विभाग की थी। माईक्रो बायोलॉजिस्ट डॉ. सिकंदर चिराग और लैब टेक्नीशियन गुलशन शर्मा भी पहुंचे।
इससे पहले हेल्थ डायरेक्टर स्तर और मेडिकल कॉलेज जम्मू की टीमें भी पहुंची थी। अभी तक पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने माडता, थपलाल, धीरन, धनवालत, सुनेतर, कोगड़मढ़, कैला सहित अन्य गांवों का दौरा किया। जहां पर उन्होंने मरने वालों बच्चों के परिवारों तथा बीमार बच्चों के परिजनों से बातचीत कर बच्चों के खानपान, उनको दी जा रही दवाओं व अन्य जानकारियां जुटाई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चार बच्चों के घरों में मिली दवाओं को भी अपने कब्जे में ले लिया है। इसके साथ ही पीएचई ने भी विभिन्न चार जल स्त्रोतों के सैंपल लिए हैं। यह सैंपल नलों और बावलियों से लिए गए हैं। सभी सैंपलों को जांच के लिए लेबोरेटरी में भेजा गया है।
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रामनगर ब्लॉक में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित
रामनगर मेडिकल ब्लॉक में अज्ञात रोग से मरने वाले और बीमार होने वाले बच्चे तीन ब्लॉकों रामनगर, चुनंता और पारली धार की 12 पंचायतों के हैं। इसके अलावा रामनगर कस्बे के दो वार्डों से हैं। इनमें से सबसे ज्यादा बच्चे रामनगर ब्लॉक के हैं। कुल मरने वाले पांच बच्चों में से चार रामनगर ब्लॉक की विभिन्न पंचायतों के थे। रामनगर ब्लॉक की माड़ता पंचायत में दो बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा एक बच्चा रामनगर नगर पालिका के वार्ड 11 से था। पारलीधार ब्लॉक से तीन बच्चों की मौत हुई है। जबकि चनुंता ब्लॉक में एक बच्चे की मौत हुई है। इसी तरह बीमार बच्चों में एक बच्चा नगर पालिका के वार्ड नंबर 12 का रहने वाला है। जबकि रामनगर ब्लॉक से दो बच्चे, चुनंता ब्लॉक का एक और पारली धार का एक बच्चा बीमार है।
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अज्ञात बीमारी से हुई मौतों से लोगों में डर, असमंजस और गुस्सा भी
रामनगर मेडिकल ब्लॉक में से प्रभावित तीन ब्लॉकों के लोगों में
असमंजस, डर और गुस्से का माहौल है। एक तो अज्ञात रोग से मौतों का कारण स्पष्ट न होने से लोग असमंजस में है। विशेष रूप से जिन लोगों के घरों में छोटी उम्र के बच्चे हैं, वह लोग खासे घबराए हुए हैं। यह लोग बच्चों के खानपान के साथ साफ सफाई का खास ध्यान रख रहे हैं। इसके अलावा इलाके में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी को लेकर भी लोगों में भारी रोष है।
डॉक्टरों की भारी कमी
रामनगर ब्लॉक के चेयरमैन देस राज ने कहा कि उनके इलाके में सबसे बड़ी समस्या डॉक्टरों की कमी की है। कोई डॉक्टर हफ्ते में एक या दिन रामनगर में बैठता है और बाकी दिन ऊधमपुर में। स्टाफ की भी कमी है। ऐसे में लोगों के पास निजी क्लीनिकों में दिखाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। अस्पताल में आने वाले डाक्टर मरीजों को वहीं दवा लिखते हैं, जिससे उनको अच्छा कमीशन मिलता है। अस्पताल से दवाईयां न के बराबर ही दी जाती है। मरीज जांच के अस्पताल पहुंचता है, तो रामनगर से उसे ऊधमपुर रेफर कर डॉक्टर अपनी जान छुड़ा लेते हैं। उन्होंने कहा कि एक माह से अज्ञात रोग से बच्चों के बीमार होने और मौत का सिलसिला चल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को तीन दिन पहले ही इलाके की याद आई। वह इसलिए क्योंकि केंद्रीय मंत्री इलाके के दौरे पर आ रहे हैं। मंत्री के दौरे के बाद कोई नजर नहीं आएगा। डॉक्टरों की स्थायी नियुक्ति न होने पर रामनगर बंद करने की चेतावनी
ब्लॉक चेयरमैन ने बताया कि आज स्वास्थ्य विभाग की जम्मू से आई टीम के साथ रामनगर उप जिला अस्पताल में बैठक हुई। बैठक में नियमित तौर पर दो तीन दिन में डाक्टरों की नियुक्ति न करने पर मंत्री के दौरे के दौरान रामनगर बंद करने की चेतावनी आए हुए लोगों ने दी है। उन्होंने कहा कि एक और बच्चे को दस्त की शिकायत होने पर अस्पताल लाया गया, उसे भी रामनगर से ऊधमपुर रेफर किया गया है, उसका नाम अभी तो उनको नहीं पता। जांच के नाम पर खानापूíत की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग और पीएचई ने जितने भी सैंपल लिए हैं, वह रामनगर के आसपास के इलाकों से लिए हैं। जबकि स्वास्थ्य विभाग और पीएचई को उन सभी पंचायतों और विशेष रूप से उस क्षेत्र से सैंपल लेने चाहिए थे, जहां पर बच्चों की मौत हुई या बच्चे बीमार हुए हैं।
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अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं जांच टीम : बीएमओ
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर रामनगर डॉ. महबूब इकबाल के अनुसार
मामले के प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की पहुंचीं टीमें अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी हैं। न ही जांच में अभी तक कुछ ऐसा सामने आया है, जिससे पता चल सके कि यह रोग दूषित पानी पीने, गलत दवा या खाद्य पदार्थ की वजह से हुआ है। स्वास्थ्य विभाग को यह रोग वायरस के कारण भी हुआ प्रतीत नहीं हो रहा। क्योंकि यदि यह वायरस के कारण होता तो और भी बच्चे चपेट भी में आते। जबकि जिन घरों में बच्चों की मौत हुई है या बीमार हुए हैं, उन घरों में उसी आयु वर्ग के और भी बच्चे मौजूद है। जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग के लिए यह मामला ठीक वैसा है, जैसा पुलिस के लिए कोई ब्लाइंड मर्डर का मामला होता है।