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जिले में एक चौथाई फसल तबाह कर देते हैं बंदर

अमित माही ऊधमपुर ऊधमपुर जिला में किसान बंदरों की वजह से भारी नुकसान झेल रहे है

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 09:36 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 09:36 AM (IST)
जिले में एक चौथाई फसल तबाह कर देते हैं बंदर
जिले में एक चौथाई फसल तबाह कर देते हैं बंदर

अमित माही, ऊधमपुर :

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ऊधमपुर जिला में किसान बंदरों की वजह से भारी नुकसान झेल रहे हैं। पूरे जिले में उपलब्ध कृषि योग्य भूमि में तकरीबन 20 फीसद जमीन की फसलें बंदरों की वजह सें प्रभावित हैं। इस वजह से फसलों की पैदावार भी 25 से 35 फीसद तक प्रभावित हो रही है। बंदरों द्वारा किए जाने वाले नुकसान के कारण कई किसान तो वह फसलें लगा रहे हैं, जिन्हें बंदर नहीं खाते।

ऊधमपुर में पैदावार के साथ आय बढ़ाने के लिए कृषि विभाग और किसान निरंतर प्रयासरत हैं, मगर विभाग और किसानों दोनों के प्रयासों को बंदर काफी झटका दे रहे हैं। क्योंकि ये जिले में प्रतिवर्ष 25 से 35 फीसद तक फसल को तबाह कर देते हैं। कृषि विभाग के मुताबिक जिले में 75,500 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें से 43,200 हेक्टेयर जमीन पर खेती होती है। जिले के 388 गांवों में मौजूद कृषि योग्य जमीन पर जिले के 65200 किसान परिवार खेती करते हैं। गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में कड़ी मेहनत से अन्न उगाने वाले अन्नदाता की मेहनत पर बंदर पानी फेर रहे हैं। कृषि विभाग के पास इस समस्या का अभी तक कोई हल भी नहीं है। किसान अपने स्तर पर फसलों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, मगर इसके बावजूद हर साल नुकसान झेल रहे हैं।

ऊधमपुर जिले का शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जो बंदरों की वजह से प्रभावित नहीं होगा। ऊधमपुर शहर व साथ लगते जगानू, बरेडियां, जगानू, जिब, क्रिमची मानसर, पंचैरी, सतैनी, चिनैनी, समलोरी, लाटी, अमरोह, बाडी, घोरड़ी, मजालता, रसली सहित लगभग सभी क्षेत्रों में किसान प्रभावित हैं। किसी क्षेत्र में बंदरों की वजह से जगह कम प्रभावित है, तो कई जगह पर काफी ज्यादा। मजालता में सबसे ज्यादा क्षेत्र प्रभावित

बंदरों की वजह से कृषि विभाग के रामनगर सब डिवीजन का मजालता क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां पर जिले में सर्वाधिक 1885 हेक्टेयर जमीन बंदरों की वजह से प्रभावित है। दूसरे नंबर पर ऊधमपुर का बरेडियां क्षेत्र है। जहां 1074 हेक्टेयर जमीन प्रभावित है। तीसरे नंबर पर 916 हेक्टेयर जमीन के साथ पंचैरी है, चौथे नंबर पर 865 हेक्टेयर प्रभावित क्षेत्र वाला जिब है और पांचवें नंबर पर समरोली है, जहां 844 हेक्टेयर खेत प्रभावित हैं। रामनगर सबडिवीजन में 20 और ऊधमपुर में 35 फीसद फसलें होती हैं प्रभावित

कृषि विभाग के मुताबिक बंदर जिले में लगने वाली हर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। विभाग के मुताबिक रामनगर सब डिवीजन में आते इलाकों में बंदर फसलों की पैदावार को 20 से 22 फीसद तक प्रभावित करते हैं। जबकि ऊधमपुर में फसलों का प्रभावित होने का प्रतिशत ज्यादा है। ऊधमपुर सब डिवीजन में आते क्षेत्रों में नुकसान का आंकड़ा 25 से लेकर 35 फीसद तक होता है। किसानों की सारी मेहनत पर फिर रहा पानी

जिले में बंदरों की वजह से प्रभावित किसान शाम लाल, शोंकू राम, मूलराज, फारुख अहमद, वेली राम, गिरधारी लाल, कौशल्या देवी, सत्या देवी, सत्यप्रकाश, थोड़ू सिंह, रमेश कुमार ने बताया कि जहां पर भी बंदर हैं, वे फसलों को नुकसान पहुंचाते ही हैं। बदरों से फसलों को बचाने के लिए परिवार का एक सदस्य सुबह तड़के से अंधेरा होने तक खेतों में ड्यूटी देता है। इसके अलावा किसान खेतों में कुत्तों को भी ले जाते हैं। कुछ जगह पर किसानों ने बदली फसलें

बंदरों के कारण फसलों को पहुंच रहे नुकसान के कारण जिले में कुछ किसानों ने फसलें बदलनी शुरू कर दी है। इन किसानों ने मक्की, गेहूं व सब्जी की फसलों को छोड़ कर एलोवेरा, लेमन ग्रास, भिडी और चरी बाजरा जैसी फसलें लगानी शुरू कर दी है, जिनको बंदर नुकसान नहीं पहुंचाते। ऐसे फसलें लगाने से किसानों को बहुत ज्यादा आमदनी नहीं होती। बंदरों की वजह जिले में फसलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इससे पैदावार कम होती है, जिससे किसानों को होने वाला मुनाफा भी कम होता है। बंदरों से किसानों की फसलों और नुकसान को बचाने के लिए खेतों में खुद रखवाली करने के साथ कुत्तों को बांधने का विकल्प ही उपलब्ध है। आतिशबाजी और गनशॉट करना ज्यादा कारगर नहीं है। बंदर एक बेहद चालाक जीव है, जिससे उनके द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्या न केवल देश बल्कि विश्व भर में बनी है। इसका अभी तक कोई उचित समाधान नहीं निकल पाया है।

- जहांगीर शफी, मुख्य कृषि अधिकारी, ऊधमपुर ऊधमपुर सब डिवीजन (कुल प्रभावित क्षेत्र 5558 हेक्टेयर)

बरेडियां 1074

चिनैनी 676

जिब 865

मानसर 537

पंचैरी 916

समरोली 844

टिकरी 646 रामनगर सब डिवीजन (कुल प्रभावित क्षेत्र- 2830 हेक्टेयर)

जगह हेक्टेयर

अमरोह 150

बाड़ी 255

घोरड़ी 270

कघोट 230

मजालता 1885

रसली 40


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