Move to Jagran APP

लियोंडी गांव पहुंची माता सिंहासनी की छड़ी यात्रा

संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : माता सिंहासनी की छड़ी यात्रा चशोती गाव से चलकर पाडर के लियोंडी गा

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 07:08 PM (IST)
लियोंडी गांव पहुंची माता सिंहासनी की छड़ी यात्रा
लियोंडी गांव पहुंची माता सिंहासनी की छड़ी यात्रा

संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : माता सिंहासनी की छड़ी यात्रा चशोती गाव से चलकर पाडर के लियोंडी गाव में पहुंची। इस यात्रा में स्थानीय लोगों के साथ अन्य जिलों के लोग भी शामिल हुए।

loksabha election banner

छड़ी यात्रा हर साल 6 जुलाई को पाडर के चशोती गाव से चलती है। इस साल भी अपने निर्धारित दिन के मुताबिक ठाकुर लाल की अगुवाई में छड़ी मुबारक चशोती से रवाना हुई। शुक्रवार को यह यात्रा लियोंडी गाव में रुकने के बाद शनिवार को लियोंडी से चलकर सोल गाव में पहुंचेगी। शनिवार को गुलाबगढ़ में यात्रा का स्वागत होगा और जम्मू से आया जत्था भी इसके साथ ही शामिल हो जाएगा। छड़ी मुबारक रविवार को माता सिंहासनी के मंदिर चिट्टो गाव में पहुंचेगी और सोमवार को हवन यज्ञ होगा। रात को जगराता होगा और मंगलवार को यात्री वापस आना शुरू हो जाएंगे। यात्रियों के लिए लंगर व रहने की व्यवस्था सिंहासनी माता संस्था द्वारा की गई है।

मंदिर के पुजारी रामदास बताते हैं कि यह मंदिर ऐतिहासिक है और जम्मू-कश्मीर के लोग ही नहीं, हिमाचल प्रदेश से भी काफी यात्री इस यात्रा में शामिल होते हैं और माता सिंहासनी के मंदिर में माथा टेक कर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। बताया जाता है कि कई सौ वर्ष पहले गाव में अकाल जैसी स्थिति बन गई थी और पूरे इलाके के लोग परेशान थे। तभी माता सिंहासनी ने कन्या के रूप में आकर लोगों को दर्शन दिए और कहा कि गाव के अंदर मेरा एक भव्य मंदिर बनाया जाए तो आप लोगों को अकाल से छुटकारा मिल सकता है। जब पूरे गाव के लोगों ने कन्या से कहा कि पहाड़ी इलाका है और यहा पर मंदिर बनाने की कोई जगह नहीं है तो कन्या ने उन्हें एक घर के अंदर धूप जलाने के लिए कहा और साथ में यह कहा कि घर के अंदर धूप जलाने के बाद पहाड़ी के जिस हिस्से में धूप का धुआ निकलेगा वहीं पर मेरा मंदिर बनाया जाए। लोगों ने वैसा ही किया। धूप जलाने के बाद एक चट्टान के अंदर से धुआ निकलने लगा और लोगों ने वहीं पर मंदिर बनाने का निर्णय लिया। जब मंदिर का काम शुरू होने लगा तो कन्या ने कहा कि जिस गुफा के अंदर से धुआ निकला है, इस गुफा के अंदर कोई भी झाककर नहीं देखेगा। अगर किसी ने देखने की कोशिश की तो वह अंधा हो जाएगा। लोगों ने गुफा के बाहर एक पर्दा लगा दिया और उसी के ऊपर मंदिर का निर्माण हो गया। आज भी इस मंदिर के अंदर कोई मूर्ति नहीं है। बस वही पर्दा लगा हुआ है। यहा हजारों की तादाद में लोग मंदिर में जाते हैं और पर्दे के आगे माथा टेक कर अपनी दुआ मागते हैं। आज तक उस पर्दे के पीछे किसी ने झांककर किसी ने नहीं देखा। पर्दा पुराना हो जाने पर मंदिर का पुजारी उसके ऊपर ही दूसरा पर्दा टाग देता है और अंदर वाला पर्दा अपने आप ही नष्ट हो जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.