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बिरमा बैली पुल का लोड टेस्ट सफल, छोटे यात्री वाहनों की आवाजाही शुरू

जागरण संवाददाता ऊधमपुर क्षतिग्रस्त हुए बिरमा पुल के ऊपर बनाए जा रहे बैली पुल का लोड ट

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 06:32 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 06:32 AM (IST)
बिरमा बैली पुल का लोड टेस्ट सफल, छोटे यात्री वाहनों की आवाजाही शुरू
बिरमा बैली पुल का लोड टेस्ट सफल, छोटे यात्री वाहनों की आवाजाही शुरू

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : क्षतिग्रस्त हुए बिरमा पुल के ऊपर बनाए जा रहे बैली पुल का लोड टेस्ट कर लिया गया। सफल लोड टेस्ट के साथ ही बिरमा पुल को लोगों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। पुल पर से छोटे यात्री वाहनों को ही गुजरने की अनुमति दी गई है। इस बैली पुल के निर्माण में प्रशासन ने सेना से मदद मागी थी। सेना की 54 इंजीनियर्स रेजिमेंट के जवानों ने तीन दिन में ही 190 फीट लंबा बैली पुल बनाकर तैयार कर दिया।

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पिछले मंगलवार को अबटमेंट क्षतिग्रस्त होने की वजह से असुरक्षित घोषित किए गए पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से को बाईपास कर बनाए गए बैली पुल का मंगलवार दोपहर को लोड टेस्ट किया गया। लोड टेस्ट सफल रहा। उसके बाद दोपहिया और छोटे चारपहिया वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई। पुल बनकर तैयार हो जाने से पिछले कई दिनों पुल क्षतिग्रस्त होने की वजह से परेशान लोगों को बड़ी राहत मिली है।

पुराना पुल क्षतिग्रस्त व असुरक्षित होने के चलते लोगों की इस पर से आवाजाही बंद हो गई थी। इससे लोग या तो जान जोखिम में डालकर बिरमा नदी के बीच से उसे पार कर रहे थे, या फिर लंबे वैकल्पिक रास्तों से जा रहे थे। लोगों को राहत देने के लिए प्रशासन ने सेना की मदद से पुराने पुल के ऊपर एक बैली पुल बनवाने का काम शुरू करवाया। प्रशासन के आग्रह पर सेना ने यह काम अपनी 54 इंजीनियर्स रेजिमेंट को सौंपा। शनिवार को सामान पहुंचने के बाद रात से पुल बनाने का काम शुरू कर दिया गया। मंगलवार सुबह 190 फीट लंबा पुल बनाकर तैयार कर दिया गया। इस पुल को अधिक मजबूत बनाने के लिए डबल पैनल रेलिग बनाई गई है। पुल 12 टन क्षमता का बनाया गया है।

इस बैली पुल पर से दोपहिया वाहन के अलावा छोटे चारपहिया वाहन और मेटाडोरों को ही जाने की अनुमति दी गई है। ट्रक, बस, जेसीबी जैसे भारी वाहनों को जाने की अनुमति नहीं होगी। पिछले साल पहली बार क्षतिग्रस्त हुआ था पुल

बिरमा नदी पर बना पुल पिछले वर्ष क्षतिग्रस्त हुआ था। उस समय पुल की अप्रोच रोड की सुरक्षा दीवार पानी की मार पड़ने की वजह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद पुल को कई हफ्तों तक बंद रखकर सुरक्षा दीवार की मरम्मत कर पुल को खोला गया था। उस दौरान भी लोगों को आने-जाने में परेशानी हुई थी। पिछले माह 24 जुलाई को बारिश की मार पड़ने से एक बार फिर से पुल क्षतिग्रस्त हो गया। पिछले वर्ष मरम्मत किए गए हिस्से में बारिश का पानी सीपेज होने की वजह से अप्रोच रोड बनाने के लिए भरी गई मिट्टी और रेत पानी के साथ बह गई। इससे जगह खाली हो गई और अप्रोच रोड धंसने से वह फिर से क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद एहतियातन पुल को चार पहिया वाहनों के लिए बंद कर दिया गया, मगर दोपहिया वाहनों को जाने की अनुमति रही। तीन दिन तक बंद रखकर धंसे हिस्से में पत्थरों और कंकड़ों की ठोस भराई कर पुल के धंसकर क्षतिग्रस्त हुए हिस्से को ठीक कर मंगलवार सुबह से यातायात के लिए खोल दिया गया, मगर 24 घंटों के बाद ही पुल का मरम्मत किया गया हिस्सा फिर से क्षतिग्रस्त हो गया। इस बार अप्रोच रोड के साथ वह अबटमेंट भी क्षतिग्रस्त हो गई, जिस पर पुल टिका होता है। इस वजह से पुल हल्का सा टिल्ट भी हो गया। इससे पुल को असुरक्षित घोषित करते हुए वाहनों के साथ पैदल आने-जाने वालों की आवाजाही के लिए पुल को बंद कर दिया गया, जिससे लोग परेशान थे। लोगों ने लगाए भारतीय सेना जिंदाबाद के नारे

बिरमा पुल क्षतिग्रस्त होने की वजह से लोग काफी परेशान थे। पिछले तीन दिन से दिन-रात पुल बनाने में जुटे सेना के जवानों ने मंगलवार को सुबह तक पुल पूरी तरह से तैयार कर दिया। इसके बाद सफल लोड टेस्ट भी हो गया। पुल बनने की खुशी जहां 54 इंजीनियर्स के जवानों और अधिकारियों के चेहरे पर झलक रही थी, वहीं पुल बनने से स्थानीय लोग भी काफी खुश थे। विशेष रूप से पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद से जिनके लिए चंद मिनटों का सफर घंटों का हो गया था, पुल बनने के बाद मंगलवार को स्थानीय लोगों ने पुल बनाने वाली 54 इंजीनियर रेजिमेंट और भारतीय सेना जिंदाबाद के नारे लगाए।

54 इंजीनियर्स रेजिमेंट के जवानों ने ऊधमपुर के लोगों को राहत देने में बड़ी राहत पहुंचाई है। दिन-रात चिलचिलाती धूप और बारिश की परवाह न करते हुए आवाम को जल्द से जल्द राहत देने के लिए 190 फीट का पुल बनाकर तीन दिन से कम समय से तैयार कर दिया। इस बैली पुल को बनाने के लिए जवानों ने 258 किलो वजन के तकरीबन 250 पैनलों को उठा कर एक से दूसरी जगह पहुंचाया। जहां पर इन पैनलों को आपस में नट-बोल्ट की मदद से आपस में जोड़कर पुल का निर्माण किया। इस बारे में पीआरओ उत्तरी कमान कर्नल अभिनव नवनीत ने कहा कि सेना सदा ही आवाम की रक्षा और मदद के लिए काम करती रही है। यह बैली पुल भी आवाम को राहत पहुंचाने की कड़ी का हिस्सा है। धूप और बारिश के बीच इस पुल को रिकार्ड समय में बनाने का काम करने वाली 54 इंजीनियर्स रेंजिमेंट के जवान व अधिकारी बधाई के पात्र हैं। पुल का लोड टेस्ट कर लिया गया है। पुल को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। भारी वाहनों के लिए भी तैयार किया जा रहा एक और बैली पुल

बिरमा नदी के क्षतिग्रस्त पुल पर बनाए गए बैली पुल से तकरीबन 300 मीटर की दूरी पर एक और बैली पुल तैयार किया जा रहा है। यह पुल 15 अगस्त के बाद बनकर तैयार होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह पुल अधिक वजन सहने की क्षमता वाला होगा और इस पर से बस और ट्रक गुजर सकेंगे। मगर मल्टी एक्सेल ट्रकों को इस पर से जाने की अनुमति नहीं होगी। पुल बनाने के लिए उसके दोनों छोरों पर अबटमेंट बनाने का काम अंतिम चरण में चल रहा है। मंगलवार शाम यह काम पूरा कर लिया जाएगा।


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