श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया बच्छ दुआ
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : पुत्रों की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के साथ महिलाओं न
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : पुत्रों की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के साथ महिलाओं ने वीरवार को पूरी आस्था के साथ बच्छ दुआ (वत्स द्वादशी) पर्व मनाया। महिलाओं ने देविका किनारे व प्राचीन बावलियों के पास एकत्र होकर इसकी पारंपरिक पूजा की और पुत्रों को बन्न चढ़ाने की रस्म निभाई। पर्व के चलते इन सभी स्थानों पर काफी भीड़ रही जो शाम तक जारी रही।
बच्छ दुआ के चलते सुबह से देविका किनारे महिलाओं की भीड़ एकत्रित होना शुरू हो गई थी। परिवार की महिलाओं ने गोल दायरे में बैठकर पारंपरिक पूजा-अर्चना की। इस पूजा की खासियत यह भी है कि इसमें कोई पंडित नहीं होता और महिलायें स्वयं ही पूजा-अर्चना करती है। जिन परिवारों के घर नौनिहालों का आगमन हुआ था, उन्हें भी पूजा में लाया गया और परिवार की बुजुर्ग महिलाओं ने बन्न चढ़ाने की रस्म निभाई। देविका किनारे पूजन करने पहुंची महिलाओं ने बताया कि यह त्योहार पुत्र प्राप्ति और उनके सुखी जीवन की कामना को लेकर मनाया जाता है, जिसमें पुत्रवती महिलाएं व्रत रख कर गोमाता जोकि हमारी संस्कृति और धर्म में ऐसे देवता के रूप में प्रतिष्ठित है, जिनकी नित्य सेवा और दर्शन करने का विधान हमारे शास्त्रों ने किया है, उनकी परंपरा के अनुसार पूजा की जाती है।
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क्यों होती है गोमाता की पूजा
- भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी (बच्छदुआ) मनाई जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना के साथ व्रत रखती है। गोवत्स द्वादश को बच्छ दुआ और बछ बारस नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गोमाता या उसके बछड़े की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म के बाद लड्डू गोपाल की मां यशोदा ने गोमाता की पूजा की थी। तभी से ये प्रथा चली आ रही है।