दस साल बाद दिखी थोरनी के जंगलों में आग
संवाद सहयोगी पौनी कालीधार व संगलयोट देवस्थल के जंगल आग से राख हो चुके हैं लेकिन जो जंगल आ
संवाद सहयोगी, पौनी : कालीधार व संगलयोट देवस्थल के जंगल आग से राख हो चुके हैं लेकिन जो जंगल आग से बचे हुए थे वह भी अब धधकने शुरू हो गए हैं। कालीधार के साथ लगते थोरनी क्षेत्र के जंगलों में पिछले दस वर्षो से आग नहीं लगी थी, लेकिन जब इन जंगलों में भीषण आग की लपटें देखी गई तो ग्रामीण काफी हैरान रह गए। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दस वर्षो से थोरनी के जंगलों में आग नहीं लगी थी, लेकिन पिछले दो तीन दिनों से आग कैसे लग गई इसको लेकर वह चितित हैं। उनका कहना है आग की घटना से जंगलों को नुकसान तो पहुंचा ही है, लेकिन इसके साथ-साथ कई जीव-जंतुओं की जान भी चली गई है। इसके अलावा जंगल में तैयार हो रहे कई पेड पौधे भी आग की भेंट चढ़ गए हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से थोरनी के साथ लगते जंगलों में आग पर काबू पाने की मांग की है ताकि बाकी बचे जंगल जलने से बच सकें।
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सुदीनी में भी दिख रही आग की लपटें
सुदीनी क्षेत्र के जंगलों में भी आग की लपटें देखी जा रही हैं। ग्रामीणों ने जंगलों पर लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग को ठोस कदम उठाने की मांग की है, ताकि आग के कारण जंगलों को हो रहे नुकसान को बचाया जा सके।
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इलाके में लगी आग पर काबू पाने के लिए उनके
कर्मचारी जुट गए हैं। कुछ स्थान पर आग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन देर रात आंधी तूफान चलने से आग दूसरे स्थानों पर लग गई। उबचे हुए जंगल को भी जलने से बचाने के लिए आग पर काबू पा लिया जाएगा।
सुनील शर्मा, फारेस्ट ऑफिसर भांवला-कालीधार रेंज