अस्पताल परिसर से होकर धार रोड जाने वाला शार्टकट रास्ता बंद
जागरण संवाददाता ऊधमपुर अस्पताल परिसर में ट्रेस पासिंग करने वालों की वजह से मरीजों
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : अस्पताल परिसर में ट्रेस पासिंग करने वालों की वजह से मरीजों व डाक्टरों को होने वाली परेशानियों के चलते बुधवार को जिला अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल रोड की तरफ स्थित अस्तपाल के गेटों को बंद कर दिया। गेट बंद होने से बुधवार को अस्पताल के अंदर हर समय रहने वाली जाम की स्थिति देखने को नहीं मिली, मगर अस्पताल रोड से धार रोड आने-जाने का शार्टकट रास्ता बंद होने की वजह से लोगों को परेशानी भी हुई।
अस्पताल मार्ग से धार रोड को जाने का शार्टकट रास्ता अस्पताल परिसर से होकर गुजरता है। शार्टकट रास्ता होने की वजह से दोनों ही तरफ से बड़ी संख्या में लोग इस रास्ते का प्रयोग करते हैं। रोजाना अस्पताल परिसर के अंदर से सैकड़ों वाहन एक से दूसरी तरफ आते-जाते हैं। यह लोगों के लिए भले ही सुविधा थी, मगर अस्पताल प्रशासन के लिए यह बड़ी परेशानी का सबब था।
लगातार बढ़ते वाहनों के चलते अस्पताल परिसर के अंदर अक्सर जाम लग जाता है, जिससे मरीजों व डाक्टरों को परेशानी तो होती थी, कई बार गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान भी संकट में पड़ जाती थी। क्योंकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को जिला अस्पताल लेकर आने वाली और जिला अस्पताल से रेफर मरीजों को जम्मू लेकर जाने वाली एंबुलेंस जाम में फंस जाती थीं, जो गंभीर रूप से बीमार या घायल मरीजों की जान के लिए बड़ा संकट बन जाती थीं।
इस समस्या के समाधान के लिए जिला अस्पताल प्रशासन ने प्रशासन को लिखा था, जिसके चलते तहसीलदार हेडक्वार्टर ने गेट बंद करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। बुधवार को जिला अस्पताल प्रशासन ने इन निर्देशों के मुताबिक अस्पताल मार्ग की तरफ स्थित मुख्य गेट को सुबह 10 बजे बंद कर दिया और शाम पांच बजे तक गेट को बंद रखा गया। अब रोज अस्पताल का यह गेट वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रहेगा, जबकि इस मार्ग से पैदल आने-जाने वाले लोगों के लिए रास्ता उपलब्ध है। पैदल आने-जाने वाले पहले की तरह आ-जा सकेंगे।
इस बारे में जिला अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. विजय रैना ने बताया कि अस्पताल परिसर में लगने वाले जाम में अक्सर एंबुलेंस फंस जाती थीं। इस वजह से मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती थी। इस वजह से अस्पताल प्रशासन को यह फैसला लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि कोई भी सुविधा किसी की जान की कीमत पर नहीं दी जा सकती। उम्मीद है कि शहरवासी इसे समझेंगे और अस्पताल प्रशासन का सहयोग करेंगे।