एक महीने में झोपड़ी से पक्के मकान वाले हुए लेखराज
संवाद सहयोगी रियासी रियासी के शपानू में शनिवार को लेखराज के मकान की छत पर स्लैब डालने का
संवाद सहयोगी, रियासी : रियासी के शपानू में शनिवार को लेखराज के मकान की छत पर स्लैब डालने का काम भी पूरा हो गया। लेखराज की बेटी संतना ने अपने नन्हे हाथों कंक्रीट मिश्रण की पहली कड़ाही डालकर स्लैब का काम शुरू करवाया। इस दौरान लेखराज तथा उनके परिवार के अलावा वहा मौजूद हर किसी को बीते जनवरी माह की 20 तारीख याद आ गई, जब लेखराज के परिवार ने श्री राम मंदिर निर्माण के लिए 500 रुपये धन संग्रह में दिए थे। उसी दिन से लेखराज के परिवार का कायाकल्प होना शुरू हो गया था। 20 जनवरी को लेखराज का परिवार किसी की जमीन पर बनाई झोपड़ी में था। ठीक एक माह बाद 20 फरवरी को लेखराज की अपनी भूमि पर पक्के मकान की स्लैब का काम भी पूरा हो गया। हर कोई 20 जनवरी और 20 फरवरी की तुलना कर कह रहा था कि भगवान चाहे तो क्या नहीं हो सकता। मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाते हैं लेखराज
बता दें कि लेखराज मूलत: डोडा जिले के निवासी हैं। आतंकवाद के कारण वर्ष 1991 में पलायन कर उनका परिवार रियासी जिले की काजली पंचायत के शपानू गाव में आ गया था। लंबे समय तक बीमार और दो दुर्घटनाओं में लेखराज के दो हाथ और एक पैर ने सही तरह से काम करना बंद कर दिया। उसके बावजूद वह मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते रहे। शपानू में ही किसी की जमीन पर बनाई झोपड़ी में यह परिवार दयनीय हालत में गुजारा करता रहा। दैनिक जागरण ने प्रमुखता से छापी थी खबर
बीते 20 जनवरी को जब अयोध्या स्थित श्री राम मंदिर निर्माण के लिए गाव की निधि समर्पण समिति में शामिल स्थानीय निवासी हरबंस लाल, रामराज तथा अन्य सदस्य धन संग्रह अभियान पर निकले थे तो इस परिवार ने अपनी हैसियत से कहीं अधिक 500 रुपये दिए थे। खुद खाने के लाले तथा झोपड़ी पर ढंग की तिरपाल तक नहीं और धन संग्रह में 500 रुपये देने से समिति सदस्य भी प्रभावित हुए। इस परिवार की दशा और आस्था के बारे में अगले ही दिन तथा सबसे पहले दैनिक जागरण में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हुई थी। इसके बाद चर्चा में आए इस परिवार की तरफ मदद के हाथ बढ़ने लगे। लखनपुर नगर पालिका के पूर्व प्रधान रंजू ने इस परिवार को 50 हजार रुपये नकद सहायता दी तो शपानू के ही रहने वाले बागवानी विभाग के जिला अधिकारी राजेंद्र कुमार ने अपनी एक कनाल 5 मरला भूमि इस परिवार को दान कर दी। इसी के साथ मकान बनाने के लिए निर्माण सामग्री तथा कई अन्य तरह की मदद आने लगी तो देखते ही देखते पक्के मकान का भी निर्माण कार्य शुरू हो गया। स्थानीय लोग भी इस परिवार की मदद में पीछे नहीं रहे। वार्ड नंबर 6 के पंच हरबंस लाल ने निर्माण कार्य में अपनी मिक्सचर मशीन और शटरिंग उपलब्ध करवा दी तो राजमिस्त्रियों और श्रमिकों ने भी एक दिन का मेहनताना छोड़ दिया। चंद ही रोज में मकान की दीवारें खड़ी हो गई तो 20 फरवरी को पक्की छत भी डाल दी गई। लोगों ने कहा कि किसी चमत्कार जैसा यह मामला इस बात का भी ताजा उदाहरण है कि जब भगवान कृपा करने पर आ जाए तो देखते ही देखते सब कुछ बदल जाता है।