यात्री वाहनों में वर्दी पहनना जरूरी नहीं समझते चालक व कंडक्टर
जागरण संवाददाता ऊधमपुर सरकार द्वारा भारी भरकम जुर्माना किए जाने से यातायात नियमों का उ
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : सरकार द्वारा भारी भरकम जुर्माना किए जाने से यातायात नियमों का उल्लंघन करने में कमी तो आई है, मगर अभी भी कई ऐसे यातायात नियम हैं जिनका पालन करना वाहन चालक गैरजरूरी समझ रहे हैं। यात्री वाहनों के चालक जहां बिना वर्दी के वाहन चला रहे हैं, वहीं कंडक्टर भी बिना वर्दी के वाहन में सवार रहते हैं।
यातायात नियमों के मुताबिक बस, मेटाडोर, ऑटो, टैक्सी व अन्य यात्री वाहन चलाने वालों का वर्दी पहन कर वाहन चलाना अनिवार्य होता है। वर्दी के साथ चालक को अपनी वर्दी पर नाम की प्लेट लगाना भी अनिवार्य है। इसी तरह बस और मेटाडोर के कंडक्टरों के लिए भी वर्दी पहनना जरूरी है। उनको भी वर्दी पर नाम की की प्लेट लगानी होती है।
यात्री वाहनों में सफर करने वाले यात्री चालक और कंडक्टर को आसानी से पहचान सकें, इसलिए उनका वर्दी पहनना जरूरी है। इसके साथ ही यात्री वाहन के चालक और कंडक्टर के नाम की जानकारी यात्री को हो सके, इसलिए वर्दी पर नेम प्लेट लगना जरूरी है, ताकि किसी घटना या दुर्घटना के समय में यात्री चालक और कंडक्टर का नाम बता सकें। माल वाहक वाहनों के लिए भी यही नियम निर्धारित है। मगर ऊधमपुर में न तो किसी व्यावयायिक यात्री वाहन और न ही माल वाहक के चालक और कंडक्टर वर्दी पहनते हैं। जब वर्दी ही नहीं पहनते तो फिर नेम प्लेट लगाने का सवाल ही नहीं उठता। पिछले एक पखवाड़े से पुलिस यातायात नियमों का पालन कराने को लेकर कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन अभी तक व्यावसायिक यात्री वाहनों और माल वाहक वाहनों के चालकों को वर्दी पहनाने के लिए यातायात पुलिस की ओर से कोई विशेष कार्रवाई नहीं की गई है। इसलिए यह लोग बिना वर्दी के ही वाहन चला रहे हैं। एसआरटीसी के सरकारी वाहनों के चालकों के साथ चंद निजी चालक ही वर्दी पहन कर वाहन चलाते ही नजर आते हैं। चालक व कंडक्टर वर्दी दो कारणों से नहीं पहनते। पहला बिना वर्दी के कोई नहीं जान सकता कि वह क्या काम करते हैं। जबकि वर्दी पहनने से कोई भी जान जाता है कि यह वाहन चालक या कंडक्टर है। दूसरा घटना या दुर्घटना होने की स्थिति में वर्दी पहने होने पर चालक व कंडक्टर का भागना संभव नहीं होता। जबकि बिना वर्दी पहने चालक आसानी से भीड़ का फायदा उठाकर मौके से भागने में सफल हो जाते हैं। किसी संस्थान की वर्दी का रंग हो सकता है अलग
आम तौर पर सरकारी वाहनों के चालकों के साथ निजी यात्री व माल वाहक वाहनों के चालक और कंडक्टर के लिए पहने जाने वाली वर्दी का रंग खाकी निर्धारित है। मगर विभिन्न स्कूल या अन्य संस्थान के चालक की वर्दी का रंग अलग हो सकता है। यह स्कूल या संस्थान द्वारा निर्धारित किया नीला, पीला, खाकी या अन्य कोई रंग हो सकता है। चालक व कंडक्टर का होता है अलग चालान
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत किसी यात्री व मालवाहक वाहन में सवार चालक और कंडक्टर दोनों के लिए ही वर्दी पहनना अनिवार्य है। बिना वर्दी के लिए न्यूतनम चालान 250 रुपये और अधिकतम 500 रुपये निर्धारित है। यदि किसी वाहन में चालक और कंडक्टर दोनों ने ही वर्दी नहीं पहनी है, तो दोनों का वर्दी के लिए अलग-अलग चालान होता है। कई चालक वाहनों में रखे रहते हैं वर्दी
कई यात्री वाहन चालक अपने वाहनों में खाकी रंग की कमीज हमेशा रखते हैं। जैसे ही यातायात पुलिस या परिवहन विभाग वर्दियों को लेकर कार्रवाई करना शुरू करता है, यात्री वाहन चालक एक दूसरे को इसकी जानकारी दे देते हैं। जिसके बाद वाहन चालक पहने गए कपड़ों के ऊपर ही खाकी रंग की कमीज पहन लेते हैं। बाहर से देखने पर लगता है कि उन्होंने वर्दी पहन रखी है। मगर यदि उनको नीचे उतारा जाता तो नीचे खाकी रंग की पैंट की जगह दूसरी रंग की पैंट होती है। यात्री व माल वाहक व्यावसायिक वाहनों में वर्दी पहनना और उस पर नेम प्लेट लगाना दो कारणों से अनिवार्य है। एक तो वर्दी पहनने और नेम प्लेट से वाहन चालक और कंडक्टर की आसानी से पहचान हो जाती है और उसका नाम भी आसानी से कोई भी जान सकता है। दूसरा वर्दी पहनने से चालक दूसरे यात्रियों से जहां अलग नजर आता है, वहीं उसकी पहनी वर्दी उसको उसकी जिम्मेदारी का भी अहसास कराती है। वर्दी न पहनने वालों के चालान अक्सर कार्रवाई के दौरान किए जाते हैं। अब कुछ दिन यातायात नियमों को लेकर जागरूकता की जाएगी। इसके बाद पुलिस वर्दी न पहनने वालों के खिलाफ भी विशेष अभियान चलाएगी।
- लवकर्ण तनेजा, डीएसपी ट्रैफिक, ऊधमपुर