मरम्मत के अभाव में जीवनदायिनी बावलियां न हो जाएं लुप्त
संवाद सहयोगी ऊधमपुर हर साल जब पानी की किल्लत होती है तो लोगों को प्राकृतिक स्रोतों की याद
संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : हर साल जब पानी की किल्लत होती है तो लोगों को प्राकृतिक स्रोतों की याद आती है। जब भीषण गर्मी पड़ती है या पानी की सप्लाई नहीं आती तब बावलियां और चश्मे लोगों की प्यास बुझाते हैं। वर्तमान में शहर में कई बावलियों की हालत खस्ता है जिससे लोग परेशान है।
बात की जाए मियां बाग से सयाल जाने वाले मार्ग पर स्थित बगलामुखी मंदिर के पास बनी बावली की तो इसकी हालत इतनी खस्ता है कि बावली पर झाड़ियां उगी हुई हैं। इससे यह बात जाहिर होती है कि प्रशासन व संबंधित विभाग इन प्राचीन धरोहरों पर ध्यान नहीं दे रहा है जिससे यह लुप्त होने की कगार पर हैं।
इस बारे में स्थानीय लोगों पवन कुमार, रंजीत सिंह, शाम लाल, देवेंद्र कुमार, सुधीर कुमार, पूजा देवी, हेमलता, रानी ने कहा कि क्षेत्र में चार-पांच प्राचीन बावलियां हैं जो पानी की कमी होने पर लोगों की प्यास बुझाने के काम आती हैं पर इनकी हालत सुधारने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि अगर इन प्राचीन धरोहरों की देखभाल नहीं की गई तो यह लुप्त हो जाएगी जिससे लोगों को पानी की और समस्या हो जाएगी।
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बीडीओ से की मांग, जल्द करवाएं मरम्मत
लोगों ने कहा कि कुछ संस्थाएं शहर में बावलियों में सफाई अभियान चलाती हैं और रखरखाव भी करती हैं लेकिन इस क्षेत्र में आज तक न तो कोई संस्या पहुंची और न ही किसी विभाग के अधिकारी। लोग खुद ही इन बावलियों को साफ करते हैं। जो बावलियां जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं उनकी भी आज तक मरम्मत नहीं की गई। लोगों ने बीडीओ से मांग की कि जल्द से जल्द क्षतिग्रस्त बावलियों की मरम्मत करवाई जाए।