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DDC Poll in Jammu Kashmir: सूर्यदेव की पहली अंगड़ाई से पहले ही कश्‍मीर के गांदरबल में जुट गए थे वोटर, जोश देख Polling Team भी थी हतप्रभ

जिला विकास परिषद के सातवें चरण के चुनाव में गांदरबल के शालाबाग मतदान केंद्र में मतदाताओं का जोश देख सब दंग थे। सुबह सात बजे से पहले ही अंधेरे में ही महिलाएं बड़े-बुजुर्ग पहुंचने शुरू हो गए। देखते ही देखते केंद्र के बाहर कतार लगनी शुरू हो गईं।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 07:10 AM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 01:58 PM (IST)
कश्मीर के गांदरबल के शालाबाग में सुबह होने से पूर्व ही मतदान केंद्रों पर लोगों का जोश दिखने लगा था।

श्रीनगर, जागरण संवाददाता: कश्मीर के गांदरबल (Ganderbal) का शालाबाग इलाका। बुधवार सुबह तापमान माइनस में था और सूर्यदेव अभी पहली अंगड़ाई भी नहीं ले पाए थे कि उम्‍मीदों की मशाल यहां रोशन हो चुकी थी। बुधवार को जिला विकास परिषद के सातवें चरण का मतदान था और लोगों का जोश सुबह होने से पूर्व ही मतदान केंद्रों पर दिखने लगा था।

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इसे लोकतंत्र की जय कहें या कट्टरपंथियों को जवाब देने का तरीका, गांदरबल के शालाबाग मतदान केंद्र में सुबह सात बजे से पहले ही अंधेरे में ही महिलाएं, बड़े-बुजुर्ग पहुंचने शुरू हो गए। देखते ही देखते केंद्र के बाहर कतार लगनी शुरू हो गईं। प्रशासन से लेकर सुरक्षा अधिकारी भी दंग रह गए।

मतदाताओं को सर्दी से बचाने के लिए इंतजाम किए गए थे। हालांकि, शोपियां में मतदान फीसद सबसे कम है, लेकिन शालाबाग क्षेत्र के लोगों की विकास और अमन को लेकर कड़ाके की सर्दी में बाहर आना अलगाववादियों को स्पष्ट संदेश था।

बुजुर्ग मोहम्मद अशफाक ने कहा कि परिवार ने रात को ही फैसला कर लिया था कि वह जरूर वोट देगा। सभी तड़के ही जाग गए थे। महिला रबीना ने कहा कि हमारे गांव के लगभग सभी लोग वोट देने पहुंचे थे।

एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि वाकई शालाबाग क्षेत्र की अवाम का जुनून देखा जो तड़के सर्दी में वोट देने निकल पड़े थे। बांडीपोरा, बारामुला, कुपवाड़ा, गांदरबल और बडग़ाम में भी मतदाताओं के जोश के आगे कड़ाके की सर्दी का काफूर थी।

कश्मीर के राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अरसे बाद इस बार चुनाव में लोगों में इतना जोश दिखा है। निश्चित तौर पर कश्‍मीर की उम्‍मीदें बहुत बढ़ चुकी हैं और नए चुने जाने वाले प्रतिनिधियों के समक्ष इन उम्‍मीदों काे पूरा करने की चुनौती होगी। अब कश्‍मीरी पुरानी सियासत और सियासतदानों से थक चुका है।


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