रक्षा ही नहीं, प्रहार का भी दम... यह है बदलता नया भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के लगभग 15 दिन बाद राजनाथ ङ्क्षसह लद्दाख पहुंचे। उनके दौरे से तीन दिन पहले पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव घटाने
श्रीनगर, नवीन नवाज । चाहे चीन हो या फिर पाकिस्तान... दुश्मनों से अब भारत अपनी रक्षा करना तो जानता ही है, साथ ही प्रहार करने में भी दम रखता है। रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह का जम्मू कश्मीर और लद्दाख का दो दिवसीय दौरा बदलते भारत की नई छवि पेश कर गया। यह बात बीङ्क्षजग और इस्लामाबाद भी अच्छी तरह से समझ गया है। इसलिए ये दोनों देश भारत के खिलाफ कुछ भी करने या बोलने से पहले सौ बार हिचकिचाएंगे।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य तनाव और जम्मू कश्मीर में एलओसी पर जंगबंदी का उल्लंघन एवं आतंकी घुसपैठ की बढ़ती घटनाओं के बीच लद्दाख से लेकर नियंत्रण रेखा तक रक्षा मंत्री ने चीन और पाकिस्तान के साथ मुकाबले में खुद बीस होने का दो टूक संदेश दे दिया। उन्होंने अपने भाषणों में जो शब्द चयनित किए उनसे बदलते भारत की पूरी तस्वीर पेश होती है। इस तस्वीर में देश रक्षा की भावना से आगे बढ़कर प्रहार करने की नीति स्पष्ट रूप से झलकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के लगभग 15 दिन बाद राजनाथ ङ्क्षसह लद्दाख पहुंचे। उनके दौरे से तीन दिन पहले पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव घटाने के मुद्दे पर भारत-चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच बैठक हुई थी। दोनों मुल्क विवादित क्षेत्रों से अपने सैनिक हटाने की प्रक्रिया में हैं। ऐसे में रक्षा मंत्री का चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थल सेना प्रमुख व अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ लद्दाख पहुंचना और फिर सेना की एक ऑपरेशनल ड्रिल में हिस्सा लेना... बहुत कुछ कहता है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक जिस इलाके में युद्ध जैसी स्थिति से बचने के लिए शांति प्रक्रिया चल रही हो, वहां ऑपरेशनल ड्रिल जो एक तरह से सैन्य तैयारी व ताकत का प्रदर्शन होता है, सामान्य नहीं मानी जाती। यह एक तरह से विरोधी को उकसाने वाली कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसा आप तभी करेंगे, जब आप काफी आरामदायक और फायदे की स्थिति में हों।
केरन सेक्टर में चौकी का चुनाव भी अहम
रक्षा मंत्री ने उत्तरी कश्मीर में केरन सेक्टर की वह चौकी अपने दौरे के लिए चुनी जो अक्सर पाकिस्तानी गोलाबारी का निशाना बनती है। यह चौकी गुलाम कश्मीर के जोढ़ा गांव में है, जहां आतंकियों का लांङ्क्षचग पैड और पाकिस्तान सेना की एसएसजी का एक प्रतिष्ठान भी है। वहां वह करीब एक घंटे तक रहे। सिख रेजिमेंट के जवानों के साथ उन्होंने भारत माता की जय का जयघोष किया। उन्होंने सिख रेजिमेंट का युद्धवाक्य जो बोले सो निहाल-सत श्री अकाल और फतह भी बुलाते हुए वाहे गुरु जी का खालसा-वाहेगुरु जी की फतह का एलान किया। सभी जानते हैं कि इस समय उत्तरी कश्मीर में एलओसी के पार क्या चल रहा है और चीनी सेना के अधिकारी वहां अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। उत्तरी कश्मीर में जवानों के बीच रहकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों का जिस तरह से उत्साह बढ़ाया, वह बहुत अहम है।
बातचीत की प्रक्रिया सफल होगी, इसकी गारंटी नहीं...मतलब भारत हर चुनौती से निपटने को तैयार
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल दिलावर ङ्क्षसह ने कहा कि रक्षा मंत्री ने लद्दाख में जो भाषण दिया है, उसमें उन्होंने एक बात बहुत अहम कही है। उन्होंने कहा कि मसला बातचीत से हल हो, यही बेहतर है। इसलिए चीन के साथ बातचीत की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन यह प्रक्रिया सफल होगी, इसकी गारंटी नहीं है। मतलब यह कि भारत किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार बैठा है। उनके इस भाषण को चीन ने भी सुना होगा। इसलिए यह मान लीजिए कि यह एक तरह से चीन को चेतावनी थी कि भारत अब ङ्क्षहदी-चीनी, भाई-भाई के झांसे में नहीं आने वाला। इसके अलावा उन्होंने वहां पीका मशीन गन पर भी अपना हाथ आजमाया है।
लद्दाख और उत्तरी कश्मीर में दौरे का समय के भी हैं कई मायने
भारत-पाक के संबंधों पर पकड़ रखने वाले डॉ. अजय चुरुंगु के मुताबिक, आप इस दौरे के समय को समझें। कुछ दिन पूर्व चीन की तरफ से एक बयान आया था, जिसमें कहा गया था कि भारत को अमेरिका के साथ गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। इसलिए रक्षामंत्री का यह दौरा चीन को चेतावनी देने के साथ-साथ पाकिस्तान को यह समझाने के लिए भी था कि वह यह मत समझे कि ड्रैगन आग उगलेगा और भारत सहम जाएगा। ड्रैगन की फुंकार गलवन दरिया के ठंडे पानी में शांत हो चुकी है। वह भारत के खिलाफ अपनी हिमाकत बंद रखे, अन्यथा अंजाम भुगतने के तैयार रहे।