त्राल मे आतंकी हमले के खिलाफ स्थानीय लोगो ने की हड़ताल
पिछले एक दशक के दौरान कश्मीर मे विशेषकर दक्षिण कश्मीर मे किसी आतंकी हमले के खिलाफ लोगों द्वारा हड़ताल किए जाने की यह पहली घटना है।
श्रीनगर,[राज्य ब्यूरो] कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के दिन लद चुके है। इसका संकेत शुक्रवार को दक्षिण कश्मीर मे आतंकियों का गढ़ बन चुके त्राल कस्बे मे हुई हड़ताल ने दिया। हड़ताल किसी आतंकी या अलगाववादी संगठन के आह्वान पर नही बल्कि स्थानीय लोगों ने वीरवार को आतंकी हमले के खिलाफ स्वेच्छा से की थी।
पिछले एक दशक के दौरान कश्मीर मे विशेषकर दक्षिण कश्मीर मे किसी आतंकी हमले के खिलाफ लोगों द्वारा हड़ताल किए जाने की यह पहली घटना है।
वीरवार को त्राल कस्बे मे आतंकियो ने आरएंडबी मंत्री नईम अख्तर के काफिले पर हमला किया था। इस हमले मे एक युवती समेत दो लोग मारे गए, जबकि 30 से ज्यादा जख्मी हुए थे। हमले मे नईम अख्तर बाल-बाल बच गए। इस हमले को लेकर लोगों में आतंकी संगठनों के खिलाफ बहुत रोष है।
शुक्रवार को पूरे त्राल मे एक भी दुकान नही खुली। सड़कों पर वाहनो की आवाजाही भी नाममात्र रही। सरकारी कार्यालय खुले थे, लेकिन अधिकारियो व कर्मियों की हाजिरी सामान्य से कही कम थी। प्रशासन ने नमाज-ए-जुमा के बाद हिंसक प्रदर्शनो के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। आतंकियो के समर्थक भी लगभग शांत रहे और दोपहर बाद त्राल मे किसी तरह का हिंसक प्रदर्शन नही हुआ।
मुश्ताक अहमद वानी नामक एक नागरिक ने बताया कि हड़ताल का किसी ने ऐलान नही किया था। लोगो ने खुद ही वीरवार को हुए ग्रेनेड हमले मे दो नागरिको की मौत और 30 अन्य के जख्मी होने पर रोष जताते हुए अपने कारोबार बंद रखने का फैसला किया था। यहां कोई खुलकर ऐसी घटनाओ पर एतराज नही जता सकता, लेकिन अपने दिल की बात आगे बढ़ाने के लिए हड़ताल भी एक तरीका है। मेरे ख्याल से हमला करने वालो को यह बात समझ आनी चाहिए।
श्रीनगर स्थित एक स्कूल मे कार्यरत सलीम बट नामक त्राल निवासी ने कहा कि ग्रेनेड हमले के खिलाफ हमारे इलाके मे दिनभर हड़ताल रही। सुबह श्रीनगर के लिए गाड़ी पकड़ने के लिए मुझे दो किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ा। उसने कहा कि मै खुद इस हड़ताल से हैरान हूं। मैंने जब से होश संभाला है त्राल मे सिर्फ सुरक्षाबलो के खिलाफ या किसी आतंकी के मारे जाने पर ही हड़ताल देखी है।
अवंतीपोर स्थित पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि अगर वीरवार को हुए ग्रेनेड हमले मे कोई पुलिस अधिकारी या बड़ा नेता मारा गया होता तो सभी आतंकी संगठन बड़े-बड़े बयान जारी कर हमले की जिम्मेदारी ले रहे होते। आम कश्मीरी आतंकियो से तंग आ चुका है। आतंकी कमांडर भी यह जानते है। लोग खुलकर सड़को पर न आ जाएं इसलिए हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा ने हमले मे अपना हाथ होने से इन्कार किया है। जिस तरह हड़ताल रही है, उससे आतंकियो और उनके संरक्षको को समझ लेना चाहिए कि आम अवाम उनके साथ नही है। बेहतर है कि वह हिंसा छोड़ कर सही रास्ते पर चले।