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Amarnath Yatra शुरू होने में चार दिन शेष, भोलेनाथ के भक्तों की सुरक्षा के लिए त्रिनेत्र तैयार

ड्रोन खोजी कुत्ते सीसीटीवी कैमरे आरआइएफडी त्रिनेत्र में शामिल सुरक्षाबलों की क्षमता को बढ़ाते हुए सुरक्षा कवच को पूरी तरह अभेद्य बनाएंगे। यात्रा मार्ग की निगरानी और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एकीकृत कमान कंट्रोल केंद्र भी क्रियाशील बनाया गया है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 08:05 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 08:05 PM (IST)
Amarnath Yatra शुरू होने में चार दिन शेष, भोलेनाथ के भक्तों की सुरक्षा के लिए त्रिनेत्र तैयार
तीर्थयात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए आपरेशन अमरनाथ के तहत त्रिनेत्र की रणनीति को लागू किया गया है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : अमरनाथ यात्रा 2022 को सुरक्षित, शांत और विश्वासपूर्ण माहौल में संपन्न कराने के लिए त्रिनेत्र तैयार हो चुका है। जंगल, पहाड़, दरिया और शहर, जहां भी श्रद्धालुअ होंगे, त्रिनेत्र हर जगह उनकी निगरानी करेगा। विघटनकारी तत्वों को चिह्नित कर उनका संहार भी करेगा। ड्रोन, खोजी कुत्ते, सीसीटीवी कैमरे, आरआइएफडी त्रिनेत्र में शामिल सुरक्षाबलों की क्षमता को बढ़ाते हुए सुरक्षा कवच को पूरी तरह अभेद्य बनाएंगे। यात्रा मार्ग की निगरानी और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एकीकृत कमान कंट्रोल केंद्र भी क्रियाशील बनाया गया है।  

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अमरनाथ याक्षा कश्मीर में शुरू से ही आतंकियों के निशाने पर रही है, लेकिन इस वर्ष इस पर आतंकी हमले की आशंका पहले की तुलना में ज्यादा है। प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार भी यात्रा को लेकर किसी तरह की कोताही नहीं चाहती और सुरक्षा का पहले से ज्यादा सख्त बंदोबस्त किया गया है। तीर्थयात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए आपरेशन अमरनाथ के तहत त्रिनेत्र की रणनीति को लागू किया गया है। केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के 35 हजार अतिरिक्त जवान और अधिकारी यात्रा की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। इनके अलावा सेना की राष्ट्रीय राइफल्स की विभिन्न बटालियनाें के अलावा जम्मू कश्मीर पुलिस भी यात्रा की सुरक्षा में मुख्य भूृमिका निभा रही है।

लखनपुर से लेकर बाल्टाल तक करीब 490 किलोमीटर लंबे हाइवे को आतंकी खतरे और ट्रैफिक की स्थिति के आधार पर वर्गीकृत कर सुरक्षा का प्रबंध किया गया है। जम्मू से श्रीनगर बाल्टाल तक यात्रा मार्ग के दोनों तरफ विभिन्न पहाड़ियों और जंगलों में सेना व सीआरपीएफ की अस्थायी चौकियां बनाई गई हैं। हाइवे पर यात्रा के दौरान 24 घंटे आरओपी रहेगी। सीआरपीएफ, बीएसएफ और सेना के आरओपी दस्ते ही अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सड़क की जांच कर सुरक्षित घोषित करेंगे और उसके बाद ही वहां से तीर्थयात्रियों के वाहन निकल पाएंगे। प्रत्येक आरओपी दस्ते के साथ खोजी कुत्ते, जमीन में दबे विस्फोटकों का पता लगाने वाले अत्याधुनिक सेंसर होंगे।

क्यूआरटी और क्यूएटी दस्तों को किया तैनात : किसी भी विस्फोटक को निष्क्रिय बनाने में दक्ष दो से तीन कर्मी भी मौजूद रहेंगे जो बम निरोधक दस्ते के पहुंचने तक स्थिति को संभालेंगे। यात्रा मार्ग के साथ सटे प्रमुख बाजारों, शहरों और बस्तियों में छिपे आतंकियों और उनके समर्थकों की धरपकड़ के लिए निरंतर तलाशी अभियान भी शुुरू किए गए हैं। यह अभियान औचक हैं ताकि आतंकियों को किसी भी तरह से अपने नापाक इरादों को अंजाम देने का मौका न मिल सके। किसी भी आतंकी हमले से निपटने के लिए सेना, पुलिस, सीआरपीएफ के क्यूआरटी और क्यूएटी दस्तों को तैनात किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा से हाईवे तक चौकसी बढ़ाई : लखनपुर से लेकर जम्मू तक सिर्फ हाइवे ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी चौकसी बढ़ाई गई है। इसके अलावा उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर घुसपैठ रोधी तंत्र की भी नियमित समीक्षा की जा रही है। लखनपुरञ जम्मू हाइवे अंतरराष्ट्रीय सीमा से पांच से 25 किलोमीटर की दूरी पर ही है। इसके अलावा कई नदी नाले ऐसे हैं जो हाइवे और अंतरराष्ठ्रीय सीमा के बीच प्राकृतिक संपर्क मार्गाें का काम करते हैं।इसके अलावा तीर्थयात्रा पर हमले के लिए आत्मघाती आतंकी दस्तों को एलओसी के रास्ते भी घुसपैठ कराई जा सकती है,जिसे देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है।


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