कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए सक्रिय हुआ केंद्र
Central government. केंद्र की मुहिम के तहत पहले स्तर पर डॉ फारूक अब्दुल्ला उमर अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती व सज्जाद गनी लोन सरीखे नेताओं से संपर्क साधा गया है।
श्रीनगर, नवीन नवाज। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से वादी में ठप पड़ी सियासी गतिविधियों को केंद्र सरकार तेजी से सुचारू बनाने की मुहिम में जुट गई है। कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच वादी में शांति कायम है। ऐसे में अब सियासी दलों से संवाद की प्रक्रिया में तेजी लाने की कवायद चल रही है। इसके तहत सभी दलों के दिग्गज नेताओं के साथ उनके दूसरी व तीसरी पंक्ति के नेताओं से भी संपर्क साधा गया है। केंद्र की इस मुहिम को राज्य का सियासी माहौल सामान्य बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। एक ओर बड़े नेता भले ही कुछ हिचक रहे हैं, वहीं अन्य नेता इसमें उत्सुकता दिखा रहे हैं। इसीलिए केंद्र ने भी बात आगे बढ़ाने के लिए कुछ नेताओं को हिरासत से मुक्त भी किया गया है। साथ ही, कुछ नए और पुराने नेताओं ने केंद्र से स्वयं भी संपर्क साधा है।
केंद्र की मुहिम के तहत पहले स्तर पर डॉ फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती व सज्जाद गनी लोन सरीखे नेताओं से संपर्क साधा गया है। दूसरे स्तर पर इनके करीबियों व दूसरी पंक्ति के वरिष्ठ नेताओं से भी संवाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। लक्ष्य है कि सभी मोर्चों पर तेजी से काम हो हालात सामान्य बनाए जा सकें। हालांकि डॉ अब्दुल्ला व अन्य शीर्ष नेताओं से अभी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के साथ ही रियासत में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहाल करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, पीडीएफ, माकपा और कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के सभी प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था। कुछ को उनके घरों में नजरबंद बनाया गया है। तब से जम्मू और लद्दाख में स्थिति पूरी तरह सामान्य है, लेकिन कश्मीर घाटी में अभी भी तनाव बना हुआ है और सभी सियासी गतिविधियां लगभग ठप हैं।
अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि केंद्र ने इन दलों के नेताओं को क्या आश्वासन दिया है पर सूत्रों की मानें तो उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ही नहीं, भाजपा के करीबी कहे जाने वाले पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने अभी काेई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि यह लोग कुछ मुद्दों पर आकर ठहर जा रहे हैं और इस कारण बात आगे नहीं बढ़ पा रही।
जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला ने गत 16 सितंबर को नई दिल्ली के तथाकथित प्रतिनिधियों से मुलाकात से इन्कार कर दिया था। वह कुछ बिंदुओं पर नाराज बताए जा रहे हैं। उमर अब्दुल्ला भी सभी सियासी नेताओं की रिहाई और अपनी शर्तों पर बात करना चाहते हैं। महबूबा को मनाने के लिए उनसे मिलने पूर्व पुलिस अधिकारी और पीडीपी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग की पत्नी सफीना बेग को भेजा गया था, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। इसके अलावा अन्य सियासी दलों से भी संवाद किया जा रहा है।
कुछ नए व पुराने नेताओं से बात आगे बढ़ी
संबंधित सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने नेकां, पीडीपी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के दूसरी पंक्ति के नेताओं से भी संवाद हुआ है। इनमें नेकां के सांसद मोहम्मद अकबर लोन व हसनैन मसूदी के अलावा पूर्व सांसद माेहम्मद शफी उड़ी, पीडीपी के पूर्व सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग व पीडीपी से अलग हुए पूर्व वित्तमंत्री डॉ हसीब द्राबु व पूर्व शिक्षामंत्री अल्ताफ बुखारी के अलावा कुछ बुद्धिजीवी शामिल हैं। बताया जाता है राजनीतिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के चार नेताओं को हिरासत में मुक्त किया गया है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के दो युवा नेताओं ने भी अपने स्तर पर सज्जाद लोन के अलावा पार्टी के अन्य नेताओं और एक मजहबी नेता के साथ बदले परिवेश में नए सिरे से गतिविधियों को शुरू करने पर जोर दिया हैं। सूत्रों ने बताया कि बताया कि इन लोगों के साथ बातचीत के आधार पर केंद्र सरकार जल्द ही वादी में राजनीतिक गतिविधियों की बहाली की उम्मीद कर रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र की कवायद के दौरान कश्मीर की परंपरागत राजनीतिक पार्टियों से जुड़े कई नए-पुराने नेताओं ने अपने स्तर पर संपर्क किया है।