स्टील से बनी गोलियों का इस्तेमाल कर रहे आतंकी
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में सक्रिय आतंकियों द्वारा एके-47 राइफल में अत्याधुनिक और घ्
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में सक्रिय आतंकियों द्वारा एके-47 राइफल में अत्याधुनिक और घातक स्टील से बनी गोलियों का इस्तेमाल किए जाने से सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गई हैं। ये गोलियां बुलेटप्रूफ वाहनों और बंकरों को उड़ाने में पूरी तरह समर्थ हैं।
कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकियों के पास स्टील बुलेट हैं, इसका पता इसी साल जनवरी माह की शुरुआत में लेथपोरा पुलवामा सीआरपीएफ कैंप पर हमले की जांच के दौरान पता चला था। हमले में लिप्त जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने इन्हीं गोलियों का इस्तेमाल किया था। इस हमले में लिप्त आतंकियों को मार गिराने के अभियान में जुटे पांच सीआरपीएफकर्मी एक बुलेटप्रूफ शील्ड के पीछे थे। लेकिन आतंकियों द्वारा दागी गई गोली इस ढाल को चीरते हुए एक जवान को लगी और उसकी मौत हो गई थी। लेथपोरा हमले में पांच सीआरपीएफ कर्मी शहीद हुए थे।
उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर एके-47 की गोली में इस्तेमाल स्टील हल्का होता है। वह बुलेटप्रूफ शील्ड को नहीं भेद सकता। लेकिन लेथपोरा हमले में पहली बार इस्तेमाल हुई गोली मजबूत स्टील और टंगस्टन कार्बाइड से बनी है। उन्होंने बताया कि त्राल के जंगलों में करीब दो माह नष्ट किए गए जैश ए मोहम्मद के ठिकानों से भी ये गोलियां भारी मात्रा में मिली हैं। अब इनका इस्तेमाल सिर्फ जैश ए मोहम्मद के आतंकियों तक सीमित नहीं हैं, वादी में सक्रिय लश्कर और हिज्ब के आतंकी भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि यह गोलियां बुलेट प्रूफ वाहनों और बुलेट प्रूफ शील्ड को भेदने में पूरी तरह समर्थ हैं। दक्षिण कश्मीर में लगभग सभी बड़े आतंकी हमलों में इन गोलियों का इस्तेमाल हुआ है। अभी तक बैलेस्टिक और फोरेंसिकजांच विशेषज्ञों और हमारे तंत्र ने जो पता लगाया है कि यह गोलियां पाकिस्तानी सेना ने चीन से मिली तकनीक की मदद से तैयार की हैं। इस तकनीक के तहत एके-47 गोलियों में इस्तेमाल होने वाले सीसे व अन्य विस्फोटकों पर हार्ड कोर स्टील अथवा टंगस्टन कार्बाइड को खोल चढ़ा उनकी मारक क्षमता बढ़ाई जा रही है।