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राज्य के हितों की खातिर पीडीपी से मिलाया था हाथ : उमर

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : विधानसभा भंग होने के बाद बाद पैदा हुए राजनीतिक हालात पर नेशनल कांफ

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 02:02 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 02:02 AM (IST)
राज्य के हितों की खातिर पीडीपी से मिलाया था  हाथ : उमर
राज्य के हितों की खातिर पीडीपी से मिलाया था हाथ : उमर

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : विधानसभा भंग होने के बाद बाद पैदा हुए राजनीतिक हालात पर नेशनल कांफ्रेंस की अहम बैठक हुई। इसमें पार्टी के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमारे साथ न्याय नहीं किया गया है। राज्यपाल आज कह रहे हैं कि अलग-अलग सोच रखने वाली पाíटयां एक साथ कैसे आ सकती हैं? मैं पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने यह सवाल पहले पीडीपी और भाजपा से नहीं पूछा था। भाजपा और पीडीपी का राजनीतिक एजेंडा और विचारधारा कहीं भी मेल नहीं खाता, दोनों में मतभेदों की खाई गहरी और चौढ़ी है। लेकिन पीडीपी, कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस के बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद बहुत कम हैं। हम लोग तो अपने मन से, राज्य के हितों की हिफाजत के लिए एक मंच पर आ रहे थे। उमर ने कहा कि यह सभी को पता है कि पीडीपी हमारी सियासी दुश्मन है और उसकी नीतियां व तौर तरीके किसी तरह से रियासत के हित में नहीं रही है। हमें पता था कि अगर हम उसके साथ जाएंगे तो हमें इसका सियासी नुक्सान होगा। हमने राज्य की विशिष्ट पहचान और संवैधानिक दर्जे की हिफाजत के लिए उससे समझौता किया पीडीपी ने हमसे समर्थन पत्र मांगा था। मैंने कहा कि पहले मैंअपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से इस बारे में विचार विमर्श करूंगा। मैंने उन्हें कहा था कि हमें एक दो दिन लग जाएंगे। नेकां, पीडीपी व कांग्रेस के होने जा रहे गठबंधन जो नहीं हो पाया है, की सरकार में मुख्यमंत्री पद की पेशकश की पुष्टि करते हुए उमर ने कहा कि मैने इस जिम्मेदारी से इन्कार किया था। मैं यह फैसला अपने स्तर पर नहीं ले सकता था।

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राज्य विधानसभ को भंग करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि यह पीडीपी को तय करना है कि वह अदालत में जाएगी या नहीं। मैं इसमें शामिल नहीं हूं, लेकिन मेरा नैतिक समर्थन उन्हें प्राप्त रहेगा। राज्य में नए चुनावों पर उन्होंने कहा कि पंचायत चुनावों के फौरन बाद विधानसभा चुनाव होने चाहिए और अगर उस समय संभव नहीं हैं तो यह संसदीय चुनावों के साथ ही कराए जाने चाहिए। ज्यादा देर तक राष्ट्रपति शासन अनुचित रहेगा। आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावों में पीडीपी के साथ तालमेल की संभावना को नकारते हुए उन्होंने कहा कि हमने मौजूदा हालात को देखते हुए उनके साथ मिलकर चलने और सरकार बनाने का ईमानदार कदम उठाया था। जहां तक विधानसभा और लोकसभा चुनावों की बात है, मुझे नहीं लगता कि हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे, यह जम्मू कश्मीर के हित में नहीं होगा। हमारा पीडीपी के साथ कोई चुनावी तालमेल नहीं है।


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