Srinagar: हताश आतंकी अब सड़क हादसों को भी बता रहे अपना हमला, सीमा पार बैठे आकाओं से फंड पाने के लिए चली नई चाल
Srinagar News जम्मू-कश्मीर में आतंकी अब सड़क हादसों को भी अपना हमला बताने लगे हैं। सीमा पार बैठे अपने आकाओं से फंड पाने के लिए आतंकी संगठनों ने नई चाल चली है। सुरक्षाबल कश्मीर में आतंकियों को हमलों के लिए सिर उठाने का मौका तक नहीं दे रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकी संगठन अब सड़क हादसों को भी अपना हमला बताने लगे हैं। ऐसा वह सीमा पार बैठे अपने आकाओं को खुश करने के लिए कर रहे हैं ताकि आतंकी फडिंग मिल सके और कश्मीर में अपनी सक्रियता भी दिखा सकें। इसके लिए वह सड़क हादसों व उनमें जख्मी अथवा मृत लोगों की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उन्हें इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर रहे हैं। यही नहीं, आतंकी प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमले या उनके शिविरों पर हमले की अफवाह फैलाने की भी कोशिश कर रहे हैं।
बता दें कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ कश्मीर में सक्रिय आतंकियों और ओवरग्राउंड वर्करों को फंडिंग उनके हमलों के आधार पर ही करती है। हथियार भी आतंकी संगठनों को उनकी सक्रियता के आधार पर उपलब्ध कराए जाते हैं। आतंकी अगर वह अपनी सक्रियता नहीं जताते हैं तो उन्हें फंड देना बंद कर दिया जाता है। सुरक्षाबल कश्मीर में आतंकियों को हमलों के लिए सिर उठाने का मौका तक नहीं दे रहे हैं। आतंकियों की रीढ़ तोड़ दी गई है।
जी-20 के दौरान आम लोगों ने अफवाहों पर भी ध्यान नहीं दिया
जी-20 पर्यटन कार्य समूह के सम्मेलन के दौरान उनकी गीदड़भभकियां धरी रह गईं। आम लोगों ने अफवाहों पर भी ध्यान नहीं दिया। इससे हताश आतंकी संगठनों को अपने आकाओं से फंड मिलना बंद होने का डर सता रहा है। इसीलिए वह सड़क हादसों को भी अपना हमला बताने पर उतर आए हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड द रजिस्टेंस फ्रंट और जैश-ए-मोहम्मद, अल-बदर व तहरीकुल मुजाहिदीन का संयुक्त हिट स्क्वाड बताए जा रहे पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ जम्मू कश्मीर जैसे आतंकी संगठन भी शामिल हैं।
सड़क हादसे में सात श्रमिकों की मौत को भी आतंकी हमलों का दिया नाम
जम्मू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह ने कहा कि यह यहां हालात बिगाड़ने और लोगों में डर पैदा करने का एक नया षड्यंत्र हैं। उन्होंने बताया कि 21 मई को कटड़ा में एक बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से एक यात्री की मौत और 23 जख्मी हुए थे। आतंकी संगठनों ने इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों से इसे हमला साबित करने का प्रयास किया।
पुलिस ने तुरंत स्थिति स्पष्ट की और वीडियो जारी कर लोगों को बताया कि यह कोई आतंकी हमला नहीं है। गत बुधवार सुबह किश्तवाड़ में सड़क हादसे में सात श्रमिकों की मौत को भी आतंकी संगठनों ने आइईडी हमले में बस उड़ाने की अफवाह फैलाई कि मरने वाले मजदूरों के भेष में सुरक्षाकर्मी थे।
आतंकियों के इस दावे की पोल सड़क हादसे में घायल लोगों ने ही खोल दी। आतंकियों की यह नई चाल है कश्मीर मामलों के जानकार सलीम रेशी ने कहा कि पूरा खेल सीमा पार से आतंकी फंडिंग पाने का है। मौजूदा परिस्थितियों में जम्मू कश्मीर में आतंकी नेटवर्क को सुरक्षाबलों ने लगभग नष्ट कर दिया है। अधिकांश आतंकी कमांडर मारे जा चुके हैं।
अब वह लोगों में डर पैदा करने और सरहद पार बैठे अपने आकाओं को दिखाने के लिए सड़क हादसों को अपना हमला बता रहे हैं ताकि अपनी सक्रियता दिखाकर फंड ले सकें। उन्होंने कहा कि इसमें भी हैरानी नहीं होगी कि अगर यहां किसी सुरक्षाकर्मी की सड़क हादसे या किसी बीमारी से मौत हो जाती है तो आतंकी संगठन उसे भी अपना काम बताएंगे।
इसलिए वह किसी भी फर्जी खबर और अफवाह को इंटरनेट मीडिया पर फैलाकर लोगों को डराने की कोशिश करेंगे। वहीं, सुरक्षाबल जब कहेंगे कि ऐसा कुछ नहीं हुआ तो शरारती तत्व चाल चलेंगे कि सच छिपाया जा रहा है।