शाह फैसल, पारा, इंजीनियर रशीद समेत 40 की सुरक्षा हटाई व घटाई
राज्य ब्यूरो श्रीनगर राज्य प्रशासन ने बुधवार को करीब 40 लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को हटान
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य प्रशासन ने बुधवार को करीब 40 लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को हटाने व उसमें कटौती का फैसला किया है। इनमें नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में आए शाह फैसल, पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद और पीडीपी की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद रहमान पारा के अलावा कई पूर्व नौकरशाह भी हैं।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सुरक्षा व्यवस्था में कटौती के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यहां सियासी नेताओं की सुरक्षा को एक सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह चुनावों से पहले धांधली जैसा है। चुनाव आयोग को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
राज्य प्रशासन ने सरकारी सुरक्षा व्यवस्था का लाभ ले रहे अलगाववादियों से लेकर मुख्यधारा के कई राजनीतिक दलों के नेताओं को उपलब्ध सुरक्षा चक्र हटाने या उसमें कटौती की प्रक्रिया गत फरवरी माह में शुरू की थी। सबसे पहले मीरवाइज मौलवी उमर फारूक समेत पांच वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटाई गई थी। इसके बाद 21 फरवरी को 155 लोगों की सुरक्षा हटाई या उसमें कटौती की गई थी। इसमें सभी अलगाववादियों की सुरक्षा को हटाया गया था, जबकि शाह फैसल और वहीद पारा की सुरक्षा में कटौती की गई थी।
बुधवार को एक बार फिर करीब 40 ज्यादा लोगों की सुरक्षा को राज्य पुलिस के सुरक्षा विग ने संबंधित सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर हटाया या फिर इसमें कटौती की है। शाह फैसल, वहीद पारा और निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद समेत 17 लोगों की सुरक्षा को पूरी तरह हटाया गया है। जिन लोगों की आज सुरक्षा हटाई गई है, उनमें पीडीपी से जुड़े एक दर्जन लोग बताए जा रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस का कोई कार्यकर्ता या नेता इस सूची में नहीं है।
एसएसपी सिक्योरिटी इम्तियाज हुसैन मीर ने कहा कि मैं अभी संख्या के बारे में तो नहीं बता सकता, लेकिन यह तीन दर्जन से ज्यादा हैं। कइयों की सुरक्षा हटाई गई है और कइयों की सुरक्षा में कमी की गई है। इनमें सिर्फ सियासी लोग ही नहीं है, हमारे पुलिस विभाग के कई पूर्व अधिकारी और पूर्व नौकरशाह भी हैं। कई ऐसे लोग भी हैं जो नियमों के आधार पर सुरक्षा चक्र के अधिकारी नहीं हैं। कई समाजसेवी, धाíमक नेता और सीविल सोसाइटी से जुड़े लोग भी हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था को हटाने या उसमें कटौती का फैसला संरक्षित लोगों की सुरक्षा व उन पर किसी खतरे की लगातार समीक्षा के आधार पर ही लिया जाता है। अगर हम आज किसी की सुरक्षा व्यवस्था में कमी लाते हैं और कुछ दिन बाद हमें लगता है कि उसे खतरा है तो फिर सुरक्षा बढ़ा दी जाती है। हम किसी की जान खतरे में नहीं डाल सकते। उन्होंने बताया कि जिन लोगों की सुरक्षा हटाई गई है, उन्हें उपलब्ध कराए गए पुलिसकर्मियों को तत्काल अपने अधिकारियों को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।