सेखों ने आसमान में ही उड़ा दिए थे पाक के दो जेट विमान
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : दुनिया के किसी भी मुल्क की वायुसेना द्वारा जंग में निभाई भूमिका का उल्ल
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : दुनिया के किसी भी मुल्क की वायुसेना द्वारा जंग में निभाई भूमिका का उल्लेख होता है तो 14 दिसंबर 1971 के दिन का खास जिक्र कोई नहीं भूलता। उस दिन श्रीनगर में भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट निर्मलजीत ¨सह सेखों ने शहीद होने से पूर्व पाकिस्तानी वायुसेना के दो सेबर जेटों को गिराया था। अगर वह पलभर भी चूक जाते तो श्रीनगर एयरपोर्ट तबाह होने के साथ भारत को उत्तरी कश्मीर में भारी सैन्य नुक्सान भी उठाना पड़ता। 26 साल की उम्र में शहादत पाने वाले सेखों वायुसेना के अकेले अधिकारी हैं, जो परमवीर चक्र से सम्मानित हैं। शहीद के पिता भी थे वायु सेना अधिकारी
पंजाब के लुधियाना जिले के इस्वाल दाखा गांव में 17 जुलाई 1943 को पैदा हुए सेखों के पिता तारालोचन ¨सह भी भारतीय वायुसेना में अधिकारी थे। वह बचपन से फाइटर पायलट बनना चाहते थे। चार जून 1967 को वह वायुसेना में पायलट के रूप में कमीशन हुए थे।
पाक के निशाने पर थे कई हवाई अड्डे
करीब चार साल बाद वर्ष 1971 में भारत-पाक के बीच जंग शुरू हो गई। पाकिस्तानी वायुसेना जिसे पीएफ कहते हैं, अमृतसर, पठानकोट और श्रीनगर के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों को ध्वस्त करने के लिए निरंतर हमले कर रही थी। श्रीनगर की सुरक्षा के लिए तैनात भारतीय वायुसेना आइएफ की 18 स्कवाड्रन की टुकड़ी में निर्मलजीत ¨सह सेखों शामिल थे। 14 दिसंबर 1971 की सुबह वे फ्लाइट लेफ्टिनेंट बलधीर ¨सह घुम्मन के साथ श्रीनगर एयरफील्ड में स्टैंड-बाय-2 ड्यूटी पर तैनात थे। यानी लड़ाई के आदेश मिलने पर दो मिनट के भीतर हवाई जहाज में बैठ हमला करना। दोस्तों और सहयोगियों में घुम्मन जीमैन के नाम से मशहूर थे। वह सेखों के वरिष्ठ अधिकारी और प्रशिक्षक भी थे। सेखों को उनकी स्कवाड्रन में भाई कहा जाता था। उस समय कश्मीर में विमानों की गतिविधि का पता लगाने वाला कोई राडार नहीं था। वायुसेना ने श्रीनगर एयरबेस के आसपास की चोटियों पर पोस्टें बना रखी थी, जिनमें मौजूद जवान आसमान में संदिग्ध गतिविधि देखकर सूचित करते थे। पाकिस्तान वायुसेना ने श्रीनगर एयरपोर्ट तबाह करने और घाटी में भारतीय सेना के ठिकानों को निशाना बनाने का हुक्म दिया था। पलभर में ही आग का गोला बने पाक के जेट
पाकिस्तानी वायुसेना के हमलावर दस्ते की कमान 1965 की जंग के अनुभवी ¨वग कमांडर चंगेजी के पास थी। उनके साथ दस्ते में फ्लाइट लेफ्टिनेंट्स दत्तानी, अंद्राबी, मीर, बेग और यूसुफजई शामिल थे। जब यह दस्ता भारतीय सीमा में दाखिल हुआ तो कोहरा था। किसी की नजर में नहीं आया। वायुसेना की निगरानी पोस्ट में तैनात जवानों ने पाकिस्तानी विमानों को देख एयरबेस के लिए अलर्ट जारी कर दिया। बलधीर ¨सह और सेखों ने उसी समय जहाज निकाल उड़ान भर दी। रेडियो नेटवर्क काम नहीं कर रहा था। समय बहुत कम था। उन्होंने हालात की नजाकत को समझा और दुश्मन के विमानों को आसमान में मार गिराने के लिए उड़ान भरने का फैसला किया। अगर उस समय जरा देरी होती तो घुम्मन और सेखों दोनों रनवे पर शहीद हो जाते व हमारा एयर डिफेंस टूट जाता। वह उड़ान भरने मे कामयाब रहे। उनके जहाज जैसे ही निकले, रनवे पर पाक जेट बमवर्षा करने लगे थे। दो बम धमाके रनवे पर हुए। किसी का ध्यान उस समय रनवे पर नहीं था, सब अपने लिए सुरक्षित जगहों से आसमान में पाक जेटों व भारतीय विमानों के बीच लड़ाई देखने लगे। सेखों ने दो सेबर जेटों को दूसरे रनवे पर हमला करने बढ़ते देखा तो उन्होंने अपना जेट घुमाते हुए पीछा किया। चंगेजी ने जब एक भारतीय जेट को पीछे देखा तो उन्होंने तुरंत टीम को नीचे कूदने और हवा में गोता लगाने को कहा। सेखों के पीछे दो और सेबर जेट आ गए। यह अकेला जेट था जो पाकिस्तानी वायुसेना के चार जेटों से लड़ रहा था। घुम्मन और सेखों का रेडियो संपर्क भी टूट चुका था। सेखों ने अकेले चार सेबर जेट का मुकाबला किया। उन्होंने अपने जेट को घुमाते दुश्मन के जहाजों पर फाय¨रग जारी रखी। तभी कंट्रोल रूम के रेडियो पर सेखों की आवाज सुनाई पड़ी। मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूं मैं उन्हें जाने नहीं दूंगा। कुछ देर में आसमान में जोरदार धमाका हुआ और एक सेबर जेट आग का गोला बनकर गिर पड़ा। सेखों का दूसरा रेडिया संदेश आया मैं मुकाबले पर हूं। मेरे आसपास दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक जेट का पीछा कर रहा हूं, लेकिन दूसरा मेरे साथ चल रहा है। फिर जोरदार धमाका हुआ और दूसरा सेबर जेट भी जमीन पर गिर पड़ा। कंट्रोल रूम में सभी खुश थे,लेकिन यह माहौल ज्यादा देर तक नहीं रहा। सेखों का अगला रेडियो संदेश अच्छा नहीं था। मेरा जेट निशाने पर आ गया है, घुम्मन अब तुम मोर्चा संभालो। यह उसका अंतिम संदेश था और उनका जेट भी बड़गाम में क्रैश हो गया और वह शहीद हो गए।