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रशीद-फैसल गठजोड़ घाटी में भाजपा को करेगा मजबूत

राज्य ब्यूरो श्रीनगर पीपुल्स यूनाइटेड फ्रंट (पीयूएफ) बनाकर विधानसभा चुनाव के लिए इंजीनियर र

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 08:01 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 06:49 AM (IST)
रशीद-फैसल गठजोड़ घाटी  में भाजपा को करेगा मजबूत
रशीद-फैसल गठजोड़ घाटी में भाजपा को करेगा मजबूत

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: पीपुल्स यूनाइटेड फ्रंट (पीयूएफ) बनाकर विधानसभा चुनाव के लिए इंजीनियर रशीद व शाह फैसल के गठजोड़ को राजनीतिक विश्लेषक कश्मीरियों के वोट बांटने, जम्मू कश्मीर में भाजपा को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने में मददगार बता रहे हैं।

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पीयूएफ का जन्म पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद के संगठन अवामी इत्तेहाद पार्टी और नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में सक्रिय हुए डॉ. शाह फैसल की पाटी जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के बीच आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने के लिए एक समझौते के तहत गत मंगलवार को ही हुआ है। भाजपा के करीबी कहे जाने वाले सज्जाद गनी लोन ने, हालांकि इस पर खुद कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन उनके सहयोगी और उनकी पार्टी के महासचिव इमरान रजा अंसारी ने पीयूएफ को सद्भावना गठजोड़ कहा है। उन्होंने परोक्ष रूप से इस गठजोड़ को सेना द्वारा तैयार किया गया सियासी मंच बताया है।

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद ने कहा कि इमरान रजा अंसारी द्वारा पीयूएफ को सदभावना गठजोड़ करार देने से लोगों में यह संदेश जाएगा कि यह दिल्ली द्वारा बनाया गया सियासी मंच है और इसका नुकसान पीयूएफ को चुनाव में होगा। इंजीनियर रशीद और शाह फैसल का उत्तरी कश्मीर में ही मजबूत आधार है। उधर, पीपुल्स कांफ्रेंस भी उत्तरी कश्मीर में ही ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर ध्यान लगाए हुए हैं। इसलिए समझा जा सकता है कि पीयूएफ को सद्भावना गठजोड़ क्यों कहा गया है।

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उमर ने अब तक साध रखी है चुप्पी

हालांकि, नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अभी पीयूएफ पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन वह पहले कई बार कह चुके हैं कि कश्मीर घाटी में चुनाव के समय ही राजनीतिक दल और मोर्चाें का गठन सामान्य नहीं है। यह सिर्फ कश्मीरियों के वोट बांटने और कश्मीरियों को राजनीतिक रूप से कमजोर बनाने की साजिश है। उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता मुबारक गुल ने कहा है कि पीयूएफ का गठन यूं ही नहीं हुआ है। नई दिल्ली को डर है कि नेकां अगर सत्ता में आ गई तो फिर यहां दिल्ली और आरएसएस का एजेंडा नहीं चलेगा। दिल्ली अपनी साजिश में कामयाब नहीं होगी।

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कश्मीरियों को राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश

इस्लामिक यूनिवर्सिटी अवंतीपोरा के पूर्व उपकुलपति और कश्मीर मामलों के जानकार प्रो. सिद्दीक वाहिन ने कहा कि यह बहुत खतरनाक है। अगर आज कश्मीरियों को अपने मुस्तकबिल को बचाना है तो उन्हें किसी एक दल का साथ देना होगा। कश्मीरियों को अपने वोटों को नहीं बंटने देना चाहिए। यह जो नया गठजोड़ सामने आया है, यह किसी बड़े प्लान का हिस्सा हो सकता है। इसे भाजपा का समर्थन भी हो सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार वर्षो से कश्मीरियों को राजनीतक रूप से कमजोर बनाने के लिए इस तरह के सियासी दलों और मोर्चाें को कश्मीर में तैयार रही है।


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