Move to Jagran APP

Lockdown: लॉकडाउन के बीच जम्मू-कश्मीर में एक और सियासी दल की तैयारी

Lockdown जम्मू-कश्मीर में में नेकां कांग्रेस पीडीपी और पीपुल्स कांफ्रेंस जैसे दलों की सियासत को चुनौती देने के लिए एक और नया राजनीतिक दल सामने आने की तैयारी में है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 10:34 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 02:29 PM (IST)
Lockdown: लॉकडाउन के बीच जम्मू-कश्मीर में एक और सियासी दल की तैयारी
Lockdown: लॉकडाउन के बीच जम्मू-कश्मीर में एक और सियासी दल की तैयारी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। Lockdown: जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन के कारण सियासत थमी नजर आती है, लेकिन ऐसा नहीं है। पर्दे के पीछे सियासी गतिविधियां तेजी से चल रही हैं। प्रदेश में नेकां, कांग्रेस, पीडीपी और पीपुल्स कांफ्रेंस जैसे दलों की सियासत को चुनौती देने के लिए एक और नया राजनीतिक दल सामने आने की तैयारी में है। इसका औपचारिक एलान परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर अगले एक माह के दौरान होगा। बीते एक साल में प्रदेश में गठित होने वाला यह तीसरा राजनीतिक दल होगा।

loksabha election banner

पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समीकरण और मुद्दे बदल चुके हैं। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस और अवामी इत्तेहाद समेत इन जैसे अन्य क्षेत्रीय दलों की सियासी गतिविधियां लगभग थमी हुई हैं। आम जनता भी इन दलों में कोई रुचि नहीं ले रही है और कई नेता अब अपने लिए नए विकल्प तलाश रहे हैं। बीते एक साल के दौरान जम्मू-कश्मीर में दो नए राजनीतिक दल भी सामने आ चुके हैं। इनमें एक मीर जुनैद का संगठन जम्मू-कश्मीर वर्कर्स पार्टी है और दूसरा पीपुल्स डेमाक्रेटिक पार्टी से निष्कासित पूर्व वित्त मंत्री सईद अल्ताफ बुखारी द्वारा गठित जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी है।

इन लोगों के बीच पक रही नए दल की खिचड़ी 

कश्मीर में प्रशासनिक गलियारों से लेकर राजनीतिक हल्कों में पहुंच रखने वालों के मुताबिक, बीते एक माह दौरान कश्मीर में अंदरखाने सियासी गतिविधियां खूब तेज हुई हैं। एक नया राजनीतिक दल और तैयार हो रहा है। इसके गठन की कवायद में कश्मीर के कुछ पुराने नौकरशाह, तीन पत्रकार और कुछ बुद्धिजीवियों के अलावा कांग्रेस, नेकां व पीडीपी से जुड़े कुछ पुराने चेहरे शामिल हैं। इन लोगों के साथ अलगाववादी पृष्ठभूमि रखने वाले कुछ लोग भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बन रहे हैं। यह वह पुराने अलगाववादी हैं, जिन्होंने बीते 25-30 सालों के दौरान सुरक्षाबलों के समक्ष हथियार डाले हैं और अपनी अलगाववादी विचारधारा को बदला है। इस दल को तैयार करने में जुटे लोग वादी के लगभग हर शहर और कस्बे में अपने प्रतिनिधियों के स्थानीय लोगों में उनके प्रभाव के आधार पर संगठनात्मक ढांचा तैयार करने जा रहे हैं।

विकास और रोजगार है एजेंडा 

सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित राजनीतिक दल के गठन की कवायद में जुड़े लोग इस बात का ध्यान रखे हुए हैं कि कहीं इसमें शामिल चेहरों को लेकर लोगों में विश्वसनीयता का संकट न हो। इसके अलावा यह दल डोमिसाइल, जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट पहचान जैसे मुद्दों का जिक्र नहीं करेगा, बल्कि सीधे और स्पष्ट शब्दों में यह सिर्फ विकास, रोजगार और मुख्यधारा से जुड़े राजनीतिक एजेंडे के साथ चलेगा। प्रस्तावित दल में शामिल हो रहे नेता और पूर्व नौकरशाह इस समय टेलीफोन के जरिए ही कश्मीर और दिल्ली में अपने करीबियों के साथ लगातार संवाद-सपंर्क बनाए हुए हैं।

विधानसभा के गठन के लिए एक साल इंतजार 

प्रदेश में विधानसभा का गठन जल्द नहीं होने जा रहा है। इसमें कम से कम एक साल का समय लग सकता है। प्रदेश प्रशासन और केंद्र सरकार से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के गठन के लिए चुनाव परिसीमन प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद ही होंगे। परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग एक साल का समय लग सकता है। इसके बाद ही प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों की नई अधिसूचना जारी होगी और उसके बाद ही चुनाव कराए जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.