Kashmir : महबूबा मुफ्ती को मंजूर नहीं कश्मीर की एतिहासिक ईदगाह की जमीन पर कैंसर अस्पताल
पूरा कश्मीरी समाज इस पूरे मामले पर लगातार नजर रखे हुए हैं। अगर कश्मीरियों को नमाज की जगह से वंचित किया जाता है तो उसके परिणाम खतरनाक होंगे। लोगों के सब्र का इम्तिहान लेने के बजाय प्रशासन को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन को ऐतिहासिक ईदगाह की जमीन के बजाय टट्टु मैदान की जमीन पर कैंसर अस्पताल और खेल परिसर के निर्माण के लिए कहा है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि टट्टु मैदान की जमीन का एक हिस्सा वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर में सत्तासीन तत्कालीन भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार ने सेना से खाली कराया था।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बीते कुछ समय से कश्मीर के विभिन्न हल्कों मे ईदगाह की जमीन को लेकर विभिन्न अटकलें चल रही रही हैं। कभी इस पर कैंसर अस्पताल बनाए जाने की बात होती है तो कभी इसपर खेल परिसर बनाए जाने का बात सुनने को मिलती है। शायद प्रशासन यह भूल चुका है कि यह जमीन सामुदायिक तौर पर नमाज अदा करने के लिए ही दान दी गई थी। ईदगाह की जमीन का मसला मजहबी तौर पर भी बहुत संवेदनशील है। इसके संदर्भ में कोई भी फैसला लेने से पूर्व प्रशासन को मुस्लिम समाज से जरुर विचार विमर्श करना चाहिए।
रिहायशी इलाके के बीच नहीं होना चाहिए कैंसर अस्पताल : पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि ईदगाह की जमीन पर कैंसर अस्पताल नहीं बनाया जाना चाहिए। यह जगह एक घनी आबादी के पास है और कैंसर अस्पताल से निकलने वाला कचरा कई तरह की समस्याओं और बिमारियों का जन्म देगा। अगर भारत सरकार श्रीनगर में ही कैंसर अस्पताल और खेल परिसर अथवा कोई बड़ा स्टेडियम बनाना चाहती है तो वह इसके लिए टट्टु मैदान की जमीन का उपयोग कर सकती है। बटमालू में स्थित टट्टु मैदान एक लंबे समय से सेना द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।
खाली पड़ा है टट्टु मैदान : जम्मू कश्मीर सरकार ने सेना को टट्टु मैदान की एक हजार कनाल जमीन खाली करने को कहा था। वर्ष 2015 में प्रदेश सरकार ने सेना से करीब 136 कनाल जमीन खाली कराई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व मुफ्ती मोहम्मद सईद ने खाली कराई गई जमीन के एक हिस्से पर चिल्ड्रन पार्क की स्थापना का नींव पत्थार भी रखा था। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि टट्टु मैदान की जमीन का एक बड़ा हिस्सा खाली पड़ा है जिस पर कैंसर अस्पताल और स्टेडियम आराम से बनाया जा सकता है।
सामुदायिक नमाज अता करने के लिए दान दी थी यह जमीन : महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमारे पास यहां विभिन्न इलाकों में जमीन खाली पड़ी है, लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर सरकार ईदगाह की जमीन के पीछे ही क्यों पड़ी है। इसलिए मैं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से आग्रह करती हूं कि वह ईदगाह की जमीन के बजाय टट्टु मैदान की जमीन का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों के साथ छेड़खानी केे परिणाम खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए प्रशासन को अपनी नीतियों की समीक्षा कर उन्हें नए सिरे से तय करना चाहिए। ईदगाह की जमीन करीब 600 साल पहले मीर सैयद अली हमदानी ने कश्मीरियों को सामुदायिक तौर पर नमाज अदा करने के लिए दान दी थी। इस जमीन का किसी अन्य कार्य के लिए इस्तेमाल वक्फ के नियमों के खिलाफ है।
लोगों के सब्र का इम्तेहान न ले सरकार : पूरा कश्मीरी समाज इस पूरे मामले पर लगातार नजर रखे हुए हैं। अगर कश्मीरियों को नमाज की जगह से वंचित किया जाता है तो उसके परिणाम खतरनाक होंगे। लोगों के सब्र का इम्तिहान लेने के बजाय प्रशासन को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए। प्रशासन यहां प्रैशर कुक्कर जैसी स्थिति पैदा करने पर तुला है। वह कश्मीरियों के आर्थिक,सामाजिक,राजनीतिक और धार्मिक हितों पर लगातार हमले किए जा रहा है। प्रशासन ने एक तरह से कश्मीरियों के खिलाफ जंग का एलान कर रखा है। हरेक चीज की एक हद होती है और लोग रोज रोज अपनी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर पांएगे। पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि मौजूदा सरकार एक निवा्रचित सरकार नहीं है और उसे किसी समुदाय की तरफ से विशेषकर मुस्लिम समुदाय की तरफ से और वह भी वक्फ संपत्ति से संबधित फैसला लेने का अधिकार नहीं है।