गांव खाली कर विस्थापित शिविर मे पहुंचने के आदेश, बार-बार उजड़ते सीमांत के आशियाने
भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसने वाले लोगो के आशियाने कई बार उजड़ चुके है। इन लोगो के लिए यह हालात किसी युद्ध से कम नही होते है।
श्रीनगर, [जेएनएन]। पुलिस व प्रशासन ने बार्डर पर रहने वाले लोगो से अपील की है कि वे शाम 6 बजे तक गांव खाली कर सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। प्रशासन ने जनता के ठहरने के लिए हायर सेकेंडरी स्कूल सलैड़ में विस्थापित शिविर बनाया है।
तहसीलदार अरनिया गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पाकिस्तान की नीयत का कोई भरोसा नही। कब वह निहत्थे लोगों पर गोलीबारी कर दे। इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए लोगों को शाम 6 बजे तक गांव खाली करने का आदेश दिया है। उन्होने लोगो से कहा कि सलैड़ में बनाए गए शिविर में लोगों के रहने व खाने-पीने के लिए जगह बनाई है जो भी चाहे वह यहां रह सकता है।
यशपाल, बसंत सैनी ने कहा कि अब पाकिस्तान की रोज की आदत बन गई है। अब लोग घर बाहर त्याग कर कहां जाएं। माल मवेशियो को कहां छोड़े। बार्डर के लोगो के लिए चारो ओर मुसीबत है न सरकार सुनती है न पाकिस्तानी गोली बारी हमे जीने देती है। कहां ठंड मे शरणार्थी शिविरों मे बैठें।
बार-बार उजड़ते है सीमांत लोगो के आशियाने
भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसने वाले लोगो के आशियाने कई बार उजड़ चुके है। इन लोगो के लिए यह हालात किसी युद्ध से कम नही होते है। सांबा जिले का 55 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कोई भी ऐसा गांव नही है, जो इस गोलाबारी से प्रभावित न हुआ हो।
चचवाल गांव की विजय कुमारी आज भी गवाह है जो कि लगभग डेढ़ दशक पूर्व पाकिस्तानी रेंजरो की गोलाबारी का निशाना बनी थी जिसके बाद वह हमेशा के लिए अपाहिज बन गई। इसी तरह गांव चचवाल के एक दंपती को गोलियां लगी थी। दो वर्ष पूर्व चलैडि़यां मे एक ही परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई थी। राजपुरा तहसील से लेकर रामगढ़ तहसील तक लगभग दर्जनो गांव है जो कि पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित होते है।
वहींं, जिला जम्मू का जो सीमावर्ती गांव पिंडी है वहां पर इस तरह से किसी लड़की को गोली लगने से मौत होने का यह दूसरा हादसा है। इससे पहले लगभग 20 वर्ष पूर्व आठवी कक्षा की छात्रा को गोली लगने से मौत हुई थी। इस बार भी पाकिस्तानी गोलीबारी मे एक युवती की मौत हुई, जो कि अपने मामा के घर आई हुई थी। क्षेत्र निवासी बलदेव चंद ने कहा कि यहां के नेता तो सिर्फ वोटो की खातिर आते है। चुनाव के समय वह बड़े-बड़े दावे करते है जबकि उनकी सुरक्षा को लेकर कोई भी गंभीर नही है।
सुरक्षित जगहो पर प्लॉट देने की मांग
लोगों ने कहा कि, वह पिछले कई वर्षो से सुरक्षित जगहों पर प्लॉट देने की मांग कर रहे हैं परन्तु आज तक उनकी किसी ने भी सुध नही ली। किसान कृष्ण सिंह, शमशेर सिंह, अशोक कुमार ने कहा कि अगर यह सीमावर्ती किसान सीमा पर अपनी जमीनों को बोना छोड़ दे तो यहां पर जंगल ही जंगल बन जाएंगे जिससे सुरक्षा और अधिक जटिल बन सकती है इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इन लोगों के लिए जल्द सुरक्षित जगहों पर प्लॉट देकर उनकी आने वाली पीढ़ी के बारे मे सोचे।