Move to Jagran APP

तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों पर छाई खमोशी

सब हेड -गायब हुआ गुपकार रोड का रसूख न लाल बत्ती वाली कारें और न हाथों में फाइल लिए कतार में खड़े लोग ----बदल गया कश्मीर ----- -महबूबा चश्मा शाही अतिथिगृह उमर हरि निवास में रखे गए हैं हिरासत में -डॉ. फारूक अब्दुल्ला अपने घर पर ही नजरबंद अब कोई मिलने नहीं आता -------------------

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 08:01 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 06:38 AM (IST)
तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों पर छाई खमोशी
तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगलों पर छाई खमोशी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर :

loksabha election banner

कश्मीर में एक पखवाड़े में ही बहुत कुछ बदल गया है। वीआइपी रोड कहलाने वाले गुपकार पर बुलेट प्रूफ जिप्सियां और सुरक्षाबलों के अवरोधक तो हैं, लेकिन अब न सड़क पर लाल बत्ती वाली खड़ी कारें नजर आती हैं और न हाथों में फाइल लिए लोगों की कतार। सियासी नेता और बड़ी हस्तिया भी अब यहा नजर नहीं आ रहीं। गुपकार मार्ग पर राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के सरकारी बंगले हैं, जहां अब सन्नाटा पसरा है। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अपने घर में ही नजरबंद हैं, जबकि नेकां उपाध्यक्ष उमर को हरि निवास और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा को चश्माशाही के अतिथिगृह में हिरासत में रखा गया है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से पहले चार अगस्त को दोनों को एहतियातन हिरासत में लिया गया था।

गुपकार रोड पर डॉ. फारूक और उमर के निवास सटे हुए हैं। महबूबा का सरकारी बंगला फेयर व्यू नेका नेताओं के निवास से करीब डेढ़ किलोमीटर आगे राज्य के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरिसिंह के पुत्र एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह के निवास कर्ण महल के सामने है। जब्रवान की तलहटी में स्थित महबूबा के बंगले से डल झील का खूबसूरत नजारा साफ नजर आता है। उमर और महबूबा के निवास के बीच ही पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व नेका महासचिव डॉ. मुस्तफा कमाल का भी आवास है। वहा भी अब सुरक्षाकर्मी ही नजर आते हैं।

तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के घरों के भीतर और बाहर हमेशा मिलने वालों का ताता रहता था। इससे कभी फर्क नहीं पड़ा कि वह सत्ता में हों या बाहर। लेकिन अब इन बंगलों के बाहर ही नहीं भीतर से भी कोई आवाज नहीं आती। महबूबा के निवास के बाहर कंटीली तारें पहले की तरह ही हैं। सब इंस्पेक्टर रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि यहा कोई नहीं है। महबूबा को अब चश्माशाही ले गए हैं। घर के बाकी लोग भी किसी अन्य जगह चले गए हैं। कोई मिलने भी नहीं आता। अंदर जो हैं वह भी अब बाहर नहीं आते। गुपकर मार्ग पर अवरोधक के पास खड़े एक पुलिसकर्मी ने कहा कि मैं यहा बीते दो साल से ड्यूटी दे रहा हूं, लेकिन पहली बार इस सड़क पर खामोशी देखी है। उसने कुछ ही दूरी पर स्थित पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के किलेनुमा बंगले की तरफ संकेत करते हुए कहा कि वहा कोई नजर नहीं आता है। महबूबा के आवास का भी कोई पता नहीं पूछ रहा।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला हालाकि अपने ही घर में नजरबंद हैं पर उनसे मिलने भी कोई नहीं आ रहा। मकान के बाहर खड़े एक सुरक्षाकर्मी ने कहा कि डॉ. साहब करीब 11 दिन पहले ही अपने मकान की बाहरी दीवार पर खड़े नजर आए थे। उस समय यहा मीडिया के भी बहुत लोग थे, लेकिन तब से आज तक कोई नहीं आया। ईद के दिन भी यहा कोई उनसे मिलने नहीं आया। ..अब यहां कोई नहीं आता :

डॉ. फारूक के मकान के साथ सटी संकरी गली में रहने वाले बैंक कर्मी राजकुमार सनोत्रा ने कहा कि मेरा सारा बचपन यहीं बीता है। मेरी उम्र 50 साल हो चुकी है। मैंने पहली बार डॉ. अब्दुल्ला के घर यूं खामोशी देखी है। कश्मीर की सारी सियासत यहीं से चलती थी। वर्ष 2005 में जब मुफ्ती मोहम्मद सईद ने उधर फेयर व्यू में डेरा जमाया तो यहा रौनक और बढ़ गई। ऐसे लगता था कि गुपकार ही पूरी रियासत को चला रहा है। पर अब लगता है सबकुछ बदल गया है। यहां कोई नहीं आता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.