25 वर्षो तक नेकां, पीडीपी चुनाव बहिष्कार कर दिखाए : सज्जाद गनी
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन और पूर्व समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन और पूर्व समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने सोमवार को निकाय और पंचायत चुनावों के बहिष्कार के लिए नेशनल कांफ्रेंस व पीपुल्स कांफ्रेंस को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि हमने 25 वर्ष तक चुनाव बहिष्कार की सियासत की है। इसका नतीजा हम जानते हैं। जिन मुद्दों को आधार बनाकर नेकां व पीडीपी ने चुनाव बहिष्कार किया है, अगर वह सही मायनों में उन्हें अहमियत देते हैं तो अगले 25 वर्षो तक चुनावों से दूर रहकर दिखाएं।
गौरतलब है कि राज्य में निकाय और पंचायत चुनावों का नेकां व पीडीपी ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य और धारा 35-ए पर जारी विवाद का हवाला देते हुए बहिष्कार कर रखा है। दोनों दलों ने केंद्र सरकार द्वारा धारा 35-ए के संरक्षण का यकीन दिलाए जाने तक चुनावों में हिस्सा नहीं लेने का एलान किया है। आज निकाय चुनावों के पहले चरण के तहत राज्य में लखनपुर से लेह तक 321 वार्डो में मतदान हो रहा है। इनमें कश्मीर संभाग के 83 वार्ड हैं।
हंदवाड़ा में एक निजी स्कूल में बने मतदान केंद्र में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद सज्जाद गनी लोन ने कहा कि यह चुनाव कश्मीर में जमीनी स्तर पर अवाम को सियासी तौर पर मजबूत बनाने और कश्मीर की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है। इन चुनावों का वही विरोधी होगा जो कश्मीर में अमन, जम्हूरियत और कश्मीरियों की तरक्की का दुश्मन होगा।
उन्होंने नेकां व पीडीपी के चुनाव बहिष्कार फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह दोनों दल आज किस मुंह से खुद को अलगाववादियों और आतंकियों से अलग कहेंगे। अलगाववादियों ने लोगों को चुनाव बहिष्कार का फरमान सुना रखा है। आतंकियों ने वोट डालने वालों को धमकी दे रखी है। नेकां व पीडीपी ने चुनाव बहिष्कार कर इन्हीं लोगों के हाथ मजबूत किए हैं। नेकां व पीडीपी के विधायकों को सभी सरकारी सुविधाएं, वेतन और विकास फंडों का परित्याग कर देना चाहिए।
सज्जाद लोन ने कहा कि यहां सभी को पता है कि पीपुल्स कांफ्रेंस ने वर्ष 2009 तक चुनावों का बहिष्कार किया है। हमने जिस तरह करीब दो दशक तक चुनावों में हिस्सा नहीं लिया और घर बैठे रहे, नेकां व पीडीपी भी ऐसा करके दिखाए। नेकां और पीडीपी को चाहिए कि वह अपने विधायकों व सांसदों से इस्तीफा दिलाए। उनके सरकारी बंगले खाली कराए और घर बैठें। उन्हें चुनाव बहिष्कार की सियासत का परिणाम पता चल जाएगा। बहिष्कार और अपने मुद्दों पर अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने, उन्हें अपने पक्ष से सहमत करने के अन्य रास्ते भी हैं। आम अवाम को चुनाव बहिष्कार के लिए मजबूर करने का कोई फायदा नहीं है।
गौरतलब है कि पीपुल्स कांफ्रेंस का गठन सज्जाद गनी लोन के पिता अब्दुल गनी लोन ने किया था। पीपुल्स कांफ्रेंस ने राज्य में 1987 में हुए विधानसभा चुनावों में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के गठन में अहम भूमिका निभाते हुए उसके ही बैनर तले चुनाव लड़ा था, लेकिन उस समय कथित धांधलियों के चलते फ्रंट के लगभग सभी उम्मीदवार हार गए थे। इनमें सलाहुदीन भी था। पीपुल्स कांफ्रेंस के तत्कालीन चेयरमैन अब्दुल गनी लोन ने बाद में हुíरयत कांफ्रेंस के बैनर तले विभिन्न अलगाववादी संगठनों को जमा करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। वर्ष 2002 में उनके निधन के तीन साल बाद पीपुल्स कांफ्रेंस दो गुटों में बंट गई। एक गुट का सज्जाद तो दूसरे का उनके भाई बिलाल गनी लोन नेतृत्व करते हैं। बिलाल गनी लोन हुíरयत की कार्यकारी परिषद के सदस्य भी हैं।