राज्यपाल फिर नेकां व कांग्रेस के निशाने पर
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : श्रीनगर नगर निगम के मेयर के लिए विदेश से पढ़े किसी शिक्षित युवक क
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : श्रीनगर नगर निगम के मेयर के लिए विदेश से पढ़े किसी शिक्षित युवक का जिक्र कर राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं। दोनों राजनीतिक दलों ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा कि राज्यपाल के बयान ने मौजूदा निकाय चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर ही सवाल पैदा कर दिया है।
गौरतलब है कि राज्यपाल ने गत दिनों एक न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में दावा किया था कि श्रीनगर नगर निगम का मेयर विदेश में पढ़ा लिखा एक स्थानीय युवक बनने जा रहा है। हालांकि उन्होंने नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनके बयान के बाद कयास लगाया जा रहा है कि नेकां के प्रवक्ता जुनैद अजीम मटटु मेयर बन सकते हैं क्योंकि उन्होंने निकाय चुनावों में हिस्सा लेने के लिए ही नेकां से इस्तीफा दिया है।
जम्मू कश्मीर कांग्रेस के उपाध्यक्ष गुलाम नबी मोंगा ने राज्यपाल के बयान पर हैरानी जताते हुए कहा कि निकाय चुनावों की विश्वसनीयता भंग हो गई है। भाजपा और आरएसएस पहले ही श्रीनगर के मेयर को तय कर चुकी है। राज्यपाल ने राजभवन की मर्यादा को नुकसान पहुंचाया है। उन्हें संविधान की सुरक्षा को यकीनी बनाते हुए भाजपा व आरएसएस के हाथ की कठपुतली नहीं बनना चाहिए। राज्यपाल द्वारा गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी किए जाना अत्यंत आश्चर्यजनक है। उनकी बयानबाजी से राज्य में जारी चुनावी प्रक्रिया को भारी क्षति पहुंची है। इससे उन लोगों का पक्ष मजबूत होगा,जो इन चुनावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने राज्यपाल को चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले ही श्रीनगर नगर निगम का मेयर चुनने का काम सौंपा है।
नेकां ने बयान जारी कर कहा कि राज्यपाल का मेयर संबंधी बयान आपत्तिजनक और उनकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान है। इससे साफ है कि मौजूदा चुनाव प्रक्रिया सिर्फ छलावा है, जो राज्यपाल के कार्यालय से रियासत में लोकतंत्र को समाप्त करने की जारी साजिशों पर पर्दा डालने का जरिया है। नेकां ने कहा कि श्रीनगर नगर निगम का मेयर कौन बनता है। इससे हमें कोई सरोकार नहीं है, लेकिन जिस तरह राज्यपाल एक व्यक्ति विशेष को मेयर बनाए जाने का संकेत दे रहे हैं, उससे पूरी चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता ही सवालों के घेरे में आ जाती हे। मेयर का चुनाव विभिन्न वार्डो से चुनकर आए पार्षद ही करते हैं और यह उनका अधिकार है। पहले ही यहां चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर सवाल कर रहे हैं। ऐसे में राज्यपाल ने एक व्यक्ति विशेष को मेयर बनाने का संकेत देकर साबित किया है कि यह चुनाव सिर्फ लोगों को भ्रम में रखने के लिए हैं।