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Jammu Kashmir : अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के बाद कश्मीर में मजबूत हुई मुख्यधारा और राष्ट्रवाद की राजनीति

मुख्यधारा के राजनीतिक मंच पर सामने आए संगठनों में सिर्फ इक्कजुट जम्मू ही ऐसा है जो पूरी तरह से जम्मू संभाग पर केंद्रित है। इक्कजुट जम्मू जिहादी तत्वों के खिलाफ लोगों को राजनीतिक रूप से एक मंच पर जमा करने पर जोर देता है।

By naveen sharmaEdited By: Rahul SharmaPublished: Wed, 28 Sep 2022 07:53 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 07:53 AM (IST)
Jammu Kashmir : अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के बाद कश्मीर में मजबूत हुई मुख्यधारा और राष्ट्रवाद की राजनीति
जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट भी कश्मीर की मुख्यधारा की सियासत में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा है।

श्रीनगर, नवीन नवाज : अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाए जाने का असर जम्मू कश्मीर की राजनीति पर भी स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है। मुख्यधारा और राष्ट्रवाद पर आधारित राजनीति कश्मीर में लगातार आने पांव मजबूत कर रही है। अलगाववाद की सियासत से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ा कोई नया संगठन सामने नहीं आया है। बीते तीन वर्ष के दौरान मुख्यधारा की सियासत से जुड़े नौ नए राजनीतिक संगठनों का उदय हुआ और उन्होंने अपना पंजीकरण कराया, जबकि इस दौरान सिर्फ कागजों तक सिमटे मुख्यधारा के आठ संगठनों का पंजीकरण चुनाव आयोग ने समाप्त भी किया है।

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पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू कश्मीर की सियासत में अलगाववाद और आतंकवाद का प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थन करने वाले संगठनों का ही बोलबाला था। मुख्यधारा की सियासत सिर्फ कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, अवामी नेशनल कांफ्रेंस, अवामी लीग, पैंथर्स पार्टी, पीपुल्स लीग के आसपास ही सिमटी नजर आती थी। हालांकि भाजपा के अलावा अन्य सभी दल प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से अलगाववाद को पोषण देने वाली सियासत करते हुए अनुच्छेद 370, आटोनामी, सेल्फ रूल का समर्थन करते थे। वहीं, हुर्रियत कांफ्रेंस की बात करें तो उसमें छोटे-बड़े करीब 26 अलगाववादी संगठन शामिल थे। इसके अलावा हुर्रियत से अलग भी करीब एक दर्जन अलगाववादी संगठन सक्रिय रहे हैं।

तीन वर्षों में नौ नए दल बने, 10वें की तैयारी : अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद बीते तीन वर्षाें में नौ नए राजनीतिक दल नेशनल इक्कजुट जम्मू, अवामी यूनाइटेड पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी इंडियन, अमन और शांति तहरीके जम्मू कश्मीर, वायस आफ लेबर पार्टी जम्मू कश्मीर, हक इंसाफ पार्टी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी का चुनाव आयोग ने पंजीकरण किया है। कांग्रेस छोडऩे के बाद गुलाम नबी आजाद ने भी बीते सोमवार को अपने नए सियासी संगठन डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के गठन का एलान किया है। यह संगठन भी अगले चंद दिनों में पंजीकृत होने जा रहा है। यह 10वां संगठन होगा।

विकल्प के रूप में साने आ रहे ये संगठन : मुख्यधारा के राजनीतिक मंच पर सामने आए संगठनों में सिर्फ इक्कजुट जम्मू ही ऐसा है, जो पूरी तरह से जम्मू संभाग पर केंद्रित है। इक्कजुट जम्मू जिहादी तत्वों के खिलाफ लोगों को राजनीतिक रूप से एक मंच पर जमा करने पर जोर देता है। अन्य आठ नए संगठनों में सिर्फ पूर्व मंत्री सैयद अल्ताफ बुखारी की जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ही ऐसी है, जो कश्मीर से बाहर जम्मू संभाग में भी अपनी राजनीतिक गतिविधियों को तेज कर रही है। जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट भी कश्मीर की मुख्यधारा की सियासत में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा है।

इन दलों का पंजीकरण रद हो चुका: चुनाव आयोग ने आठ दलों पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, सेव कश्मीर फ्रंट के अलावा जम्मू कश्मीर पीपुल्स पैट्रियाटिक फ्रंट, डेमोक्रेटिक जनता दल जम्मू कश्मीर, जम्मू कश्मीर नेशनल यूनाइटेड फ्रंट, जम्मू कश्मीर सिटीजंस पार्टी, जम्मू कश्मीर डेमोके्रटिक पार्टी नेशनिलस्ट और जम्मू कश्मीर अवामी लीग का पंजीकरण रद भी किया है।

  • कश्मीर के लोग चाहते हैं कि उनके भीतर के राष्ट्रवाद को आवाज देने के लिए और उनके रोजमर्रा के मुद्दों के समाधान के लिए कोई राजनीतिक दल हो। इसलिए हमने यह संगठन बनाया है। यहां लोग आजादी नहीं शांति और विकास चाहते हैं। राष्ट्रीय मुख्यधारा में आगे बढऩा चाहते हैं। -शेख मुजफ्फर, जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट फ्रंट के अध्यक्ष
  • एक सुनियोजित साजिश के तहत जम्मू में जनसांख्यिकी बदलाव किया गया है। यहां जिहाद चलाया गया, ताकि जम्मू के राष्ट्रवादी लोगों को दबा दिया जाए। इसलिए हमने इक्कजुट जम्मू बनाया है। -एडवोकेट अंकुर शर्मा, इक्कजुट जम्मू के अध्यक्ष
  • पांच अगस्त 2019 से पहले यहां जो सत्ता में आया, उसने अलगाववाद का ही प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से समर्थन किया। अब ऐसा नहीं। यहां लोगों का अलगाववादियों व परंपरागत राजनीतिक दलों से मोहभंग हो चुका है। इसलिए अब यहां मुख्यधारा के राजनीतिक दलों का आना तय है। -बिलाल बशीर, कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ  

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