आइएस के साथ जुड़ रहे स्थानीय आतंकी संगठन
लश्कर-ए-इस्लाम का कमांडर अब्दुल क्यूम नजार जो गत माह उड़ी में सेना के जवानों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था, वह कश्मीर में आइएस का संगठन ही खड़ा करने आ रहा था।
श्रीनगर, [नवीन नवाज] । अलकायदा की ओर से कश्मीर में अंसार गजवा उल हिंद के गठन के बाद अब स्थानीय आतंकी संगठन अबु बकर अल बगदादी के संगठन आइएसआइएस के साथ अपनी निष्ठा घोषित करने लगे हैं। फिलहाल, तीन माह पुराने आतंकी मुहम्मद ईसा फाजली के आइएसआइएस के साथ हाथ मिलाने का तथाकथित दावा किया जा रहा है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि गत अगस्त माह के दौरान श्रीनगर में भाजपा कार्यालय में एक रहस्यमय विस्फोट हुआ था, जिसे भाजपा कार्यकर्ताओं ने ग्रेनेड हमला बताया था, जबकि पुलिस ने धमाके को नकारा था। लेकिन इसकी जिम्मेदारी आइएस ने अपनी वेबसाइट अमाक पर लेते हुए कहा था कि कश्मीर में आइएस के लोगों ने अपनी पहली कार्रवाई को अंजाम दिया है। अलबत्ता, सभी सुरक्षा एजेंसियां इस नए घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और कुछ भी सार्वजनिक करने से कतरा रही हैं।
सूत्रों की मानें तो कश्मीर घाटी से दो आतंकी गुटों ने इसी माह की शुरुआत में दुनिया में इस्लामिक राज अथवा खिलाफत कायम करने के अबु बकर अल बगदादी के मिशन को सही ठहराते हुए आइएस के साथ वलैया अथवा निष्ठा व्यक्त करते हुए उसके झंडे के तहत कश्मीर में अपनी गतिविधियां जारी रखने की कवायद शुरू की थी, लेकिन यह दो संगठन कौन से हैं, यह किसी को पता नहीं चल रहा था।
हालांकि अभी भी सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह पुष्टि करने में समर्थ नहीं हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो अगस्त माह के अंत में राजौरी स्थित बाबा गुलाम बादशाह यूनिवर्सिटी से गायब होने वाला छात्र ईसा फाजली व उसके साथियों ने आइएस के एजेंडे का कश्मीर में आगे बढ़ाने का जिहादी बीड़ा उठाया है। गत माह बकरीद के दौरान भी ईसा ने एक वीडियो में जिहाद और तौहीद का जिक्र कर खिलाफत को सही ठहराया था।सूत्रों की मानें तो ईसा ने विश्वविद्यालय से भागने के बाद तहरीक-उल-मुजाहिदीन आतंकी संगठन का दामन थामा था। वह कुछ दिनों तक जाकिर मूसा के साथ भी रहा था। तहरीक उल मुजाहिदीन से जुड़े कई पुराने आतंकी इस समय अफगानीस्तान में आइएस और अलकायदा के बैनर तले ही जिहादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते चार साल से कश्मीर में जिस तरह से आइएस के झंडे नजर आ रहे थे, उसके बाद से ही इस आतंकी संगठन के लिए कश्मीर में लगातार कैडर तैयार होने की सूचनाएं भी मिल रही थीं। उन्होंने बताया कि इस समय गांदरबल का एक युवक शेख अजहर अल इस्लाम आइएस के साथ संबंधों के चलते एनआइए की हिरासत में है, जबकि श्रीनगर के जवाहरनगर इलाके का रहने वाला आदिल फैयाज वर्ष 2013 से ही आइएस का सक्रिय कमांडर है और वह तुर्की या इराक में कहीं बैठा है। इस साल भी श्रीनगर के खनयार का एक युवक अफशान परवेज आइएस में शामिल होने तुर्की पहुंचा था, लेकिन पकड़ा गया।
सूत्रों की मानें तो लश्कर-ए-इस्लाम का कमांडर अब्दुल क्यूम नजार जो गत माह उड़ी में सेना के जवानों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था, वह कश्मीर में आइएस का संगठन ही खड़ा करने आ रहा था। वह बीते एक साल के दौरान पाकिस्तान में आइएस और तहरीके तालिबान से जुड़े आतंकी कमांडरों के साथ लगातार संपर्क में रहा था। उसके मारे जाने पर बेशक पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया था कि वह हिज्ब को मजबूत बनाने आ रहा था, लेकिन उससे जो दस्तावेज मिले थे, वह कथित तौर पर आइएस और अंसार गजवा उल हिंद की कहानी ही सुना रहे थे।
जीनत भी मूसा के साथ : आइएस के एक संगठन को कश्मीर में खड़ा करने की तैयारियों के दौरान ही अलकायदा से जुड़े अंसार गजवा उल हिंद के कमांडर जाकिर मूसा के साथ लश्कर का मोस्ट वांटेड आतंकी जीनत उल इस्लाम भी दक्षिण कश्मीर में कहीं मिला है। हालांकि आतंकी कमांडरों के बीच हुई इस मुलाकात के बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि जीनत अब जाकिर मूसा के साथ मिलकर जिहादी गतिविधियों को अंजाम देगा। कुछ लोगों का दावा है कि जीनत ने भी लश्कर छोड़ जाकिर मूसा की अगुआई वाले अंसार गजवा उल हिंद का दामन थामने का फैसला किया है।
यहां यह बताना भी असंगत नहीं होगा कि 20 दिन पहले जिला बड़गाम के जंगलों में सरहद पार से आए लश्कर व जैश के विदेशी आतंकियों के एक दल ने मूसा के साथ भेंट कर न सिर्फ उसे हथियारों का एक बड़ा जखीरा सौंपा था बल्कि सरहद पार बैठे अपने कमांडरों की तरफ से कश्मीर में जिहादी गतिविधियों के लिए हर संभव सहयोग का भी यकीन दिलाया था।