हिदू-मुस्लिम शब्द सिर्फ वर्ग के प्रतीक, विभाजन के नहीं
देश के विभाजन के जिम्मेदार लोगों ने इस भूमि पर भी धर्म के आधार पर एक लकीर खींचने की कोशिश की जिसे स्थानीय लोगों ने हमेशा नाकाम बनाया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिदू और मुस्लिम शब्द सिर्फ वर्ग का प्रतीक हैं विभाजन के नहीं।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को जनता को विकास, कल्याण और सामाजिक बदलाव का यकीन दिलाते हुए कहा कि सास्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, आध्यामिक तौर पर जम्मू कश्मीर हमेशा भारत के अस्तित्व का अभिन्न अंग रहा है। देश के विभाजन के जिम्मेदार लोगों ने इस भूमि पर भी धर्म के आधार पर एक लकीर खींचने की कोशिश की, जिसे स्थानीय लोगों ने हमेशा नाकाम बनाया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिदू और मुस्लिम शब्द सिर्फ वर्ग का प्रतीक हैं, विभाजन के नहीं।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश की जनता के नाम अपने संदेश में सिन्हा ने कहीं भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। उन्होंने कश्मीर को भारत से अलग बताने वालों को नकारते हुए कहा कि कल्हण की राजतरंगिणी से लेकर शकराचार्य के अद्वैत तक, सूफी इस्लाम से लेकर बौद्ध धर्म के मूल दर्शन, महायान तक जम्मू कश्मीर में सभी धर्मो की एक समृद्ध परंपरा रही है। धाíमक सद्भाव की सदियों पुरानी इस संस्कृति पर कई हमले हुए, लेकिन अस्तित्व को कोई कभी मिटा नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि महात्मा गाधी के अहिंसा की विचारधारा हमारे स्वतंत्रता आदोलन की मार्गदर्शक थी, लेकिन यह विचारधारा जम्मू कश्मीर के लोकाचार का हमेशा हिस्सा रही है।
उपराज्यपाल ने महावीर चक्र से सम्मानित शहीद ब्रिगेडयिर राजेंद्र सिंह से लेकर लौह पुरुष सरदार पटेल को याद किया। उन्होंने कहा कि पटेल का सपना था कि भारत सिर्फ नक्शे पर एक नजर न आए बल्कि पूरा राष्ट्र और सभी देशवासी एकसाथ मिलकर आगे बढ़ें। इसी सपने को हकीकत में बदलने के लिए शुरु किए गए अभियान एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान में जम्मू कश्मीर को तमिलनाडु से जोड़ा गया है। कुछ गलत फैसलों ने बढ़ाई दूरिया
उपराज्यपाल ने कहा कि दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता के बाद कुछ गलत फैसले लिए गए। इनसे जम्मू कश्मीर के लोगों के दिलों में फासले पैदा हुए और पीढी-दर-पीढ़ी नफरत की भेंट चढ़ती गई। जहा आजाद भारत में लोगों के लिए नए दरवाजे खुलने चाहिए थे, वहीं न जाने कितने दरवाजे बंद हुए और दूरिया बढ़ीं। सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल ने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत पर जोर दिया था। इसी पर आगे बढ़ना है। जम्मू कश्मीर के लिए पाच सूत्र बताए
जम्मू और कश्मीर में समानता और न्याय को धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है। 2019 में संवैधानिक परिवर्तन के बाद 30 दिनों के भीतर केंद्र सरकार ने राज्य की तस्वीर बदलने वाल 50 बड़े फैसले लिए। बीते एक साल में समानता और विकास का नया दौर शुरू हुआ है। मंजिल तक पहुंचने के लिए पाच लक्ष्य निर्धारित किए हैं। हम एक न्यायसंगत और ईमानदार शासन प्रणाली और दूसरा जीवंत और जमीनी लोकतंत्र स्थापित करना। तीसरा, हम सर्वाधिक जनकल्याण सुनिश्चित करना चाहते। इसके लिए सरकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाई जाएगी। चौथा विकास को गति और पांचवां सूत्र है तकनीक का इस्तेमाल कर आíथक विकास, रोजगार और आजीविका को बढ़ाना। उन्होंने युवाओं के समग्र विकास आह्वान किया। न्याय की बहाली, भ्रष्टाचार पर वार
उपराज्यपाल ने कहा कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणाíथयों, विस्थापितों, प्रवासियों, पहाड़ी बोलने वाले लोगों, अनुसूचित जनजातियों और सफाई कíमयों को आखिरकार न्याय मिला है। शिक्षा और नौकरियों में अब एक निष्पक्ष आरक्षण प्रणाली लागू की जा रही है। सुशासन के लिए सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए पुलिस स्टेशनों की संख्या दो से बढ़ाकर आठ की गई है। भरे जाएंगे पंचायतों के खाली पद
उपराज्यपाल ने कहा कि 960 पार्षदों और 27,000 से अधिक सरपंचों और पंचों के साथ, विकास सुनिश्चित करने से जमीनी स्तर पर एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हो रहा है। कोरोना का संकट दूर होते ही प्रदेश में पंचायतों के रिक्त पदों को भरने के अलावा जिला स्तर पर भी पंचायती राज के तहत बोर्ड भी गठित किए जाएंगे। लोगों में एक नया विश्वास पैदा करने तथा जम्हूरियत को मजबूत करने के लिए इस साल जनवरी में 38 केंद्रीय मंत्री राज्य के कोने-कोने में लोगो से जनसंपर्क करने गए। कोरोना योद्धाओं को अतिरिक्त बीमा
उपराज्यपाल ने कहा कि डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और नर्सो ने समर्पण के साथ काम किया है। कोविड से लड़ रहे सभी स्वास्थ्य कíमयों को केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त 50 लाख रुपये बीमा के अलावा 25 लाख रुपये का अतिरिक्त बीमा प्रदान करेंगे। इसके अलावा सरकार जेके हेल्थ स्कीम के तहत एक करोड़ लोगों को स्वतंत्रता दिवस पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने जा रही है। यह आयुष्मान भारत से लाभान्वित 30 लाख लोगों के अतिरिक्त बचे हुए एक करोड़ लोग हैं। कोरोना से जान गंवाने वालों के प्रति हमारी पूरी संवेदना है। उन्होंने बताया कि लगभग तीन लाख लोगों को सुरक्षित वापस लाया गया है। उपराज्यपाल ने शहीद सुरक्षाकर्मियों को याद किया। इसके अलावा आतंकी हमले में मारे गए अजय पंडिता और वसीम बारी का भी याद किया।