मारे गए लश्कर कमांडर ने पाक में ली थी ट्रे¨नग
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : उत्तरी कश्मीर के बिन्नर बारामुला में बुधवार को सुरक्षाबलों के साथ मु
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : उत्तरी कश्मीर के बिन्नर बारामुला में बुधवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया लश्कर का जिला कमांडर सुहैब फारूक अखून उर्फ कमांडो ने पाकिस्तान में विध्वंसकारी गतिविधियों की ट्रे¨नग ली थी। वह करीब 14 माह तक सक्रिय रहा।
इस दौरान उसने बारामुला, सोपोर, हंदवाड़ा व रफियाबाद में आतंकराज कायम करते हुए लश्कर के स्थानीय और विदेशी आतंकियों का एक नेटवर्क तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। उसके साथ मारे गए उसके दो अन्य साथी मोहसिन मुश्ताक और नासिर अहमद दर्जी भी बारामुला के ही रहने वाले थे। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, यह तीनों दिसंबर 2017 में एक ही दिन आतंकी संगठन में सक्रिय हुए थे। सूत्रों की मानें तो यह तीनों नवंबर 2017 में सक्रिय हो चुके थे।
सहुैब अखून उर्फ कमांडो ने आतंकी संगठन में सक्रिय होने से पहले पाकिस्तान का दौरा किया था। वह अगस्त 2017 में पाकिस्तान गया था। उसके बाद वहां करीब डेढ़ माह लश्कर के ट्रे¨नग कैंपों में बिताया था। उसके करीबियों की मानें तो उसने एक सप्ताह तक पाकिस्तानी सेना के विशेष दस्ते एसएसजी के साथ ट्रे¨नग की थी। पाकिस्तान जाने से पहले वह बारामुला और उससे सटे इलाकों में सक्रिय आतंकियों के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर भी काम करता था। पाकिस्तान से लौटने के बाद वह जिहादी संगठन का सक्रिय सदस्य बन गया और उसके साथ ही उसने स्थानीय लड़कों की भर्ती भी शुरू कर दी।
12वीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले सहुैब अखून ने मोहसिन मुश्ताक और नासिर दर्जी के साथ मिलकर अप्रैल 2018 में बारामुला में तीन युवकों की एक साथ हत्या की थी। इस हत्याकांड में इन तीनों का साथ देने वाला आतंकी एजाज अहमद गोजरी बीते साल ही पकड़ा गया था। सुहैब, नासिर व मुश्ताक ने बारामुला, सोपोर और हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों के दलों पर हमला करने, विभिन्न जगहों पर आइईडी लगाने और आम नागरिकों को धमकाने व छह नागरिकों की हत्या की वारदात को भी अंजाम दिया था।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक सहुैब के साथ मारा गया नासिर 30 साल का था और वह आठवीं तक ही पढ़ा था। जबकि मोहसिन मुश्ताक की उम्र 25 साल थी और वह भी आठवीं पास ही था। इन तीनों आतंकियों के पास तीन एसाल्ट राइफलें व अन्य साजोसामान मिला है।
एसएसपी बारामुला इम्तियाज हुसैन मीर के अनुसार, इन तीनों आतंकियों के मारे जाने से बारामुला को आतंकवाद मुक्त एक शांत जिला बनाने में बहुत मदद मिलेगी। इनकी मौत से बारामुला में सक्रिय विदेशी आतंकियों के लिए अब ज्यादा दिनों तक ¨जदा रहना मुश्किल है क्योंकि सुहैब अपने नेटवर्क के जरिये ही उनके लिए सुरक्षित ठिकानों, राशन व अन्य चीजों का बंदोबस्त करता था।