पंडित महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा
हिला का निधन हो गया। स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने कश्मीरियत की परंपरा को बरकरार रखते हुए कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के बीच ही उसके अंतिम दाह संस्कार का प्रबंध किया।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : बांडीपोर में 75 वर्षीय कश्मीरी पंडित महिला का निधन हो गया। स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने कश्मीरियत की परंपरा को बरकरार रखते हुए कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के बीच ही उसके अंतिम दाह संस्कार का प्रबंध किया। बांडीपोर के कलूसा गांव के मोती लाल भट्ट ने आतंकियों की धमकियों के बावजूद गांव नहीं छोड़ा। वह अपने परिवार के साथ गांवमें ही रहे। बीती रात उनकी पत्नी रानी भट्ट का निधन हो गया। उसके निधन की खबर फैलते ही पूरे गांव में शोक पैदा हो गया। मोती लाल के पड़ोसी व गांव के अन्य लोग रात को ही उनके घर में जमा हो गए। उन्होंने परिजनों को सांत्वना देते हुए दिवंगत के दाह संस्कार की तैयारी की। कोविड-19 लाकडाउन के कारण मोती लाल के रिश्तेदार भी कलूसा नहीं पहुंच सके। इससे दिवंगत के दाह संस्कार में कुछ मुश्किलें थी,लेकिन स्थानीय मुस्लिमों ने दिवंगत परिवार की पूरी मदद की। मुस्लिमों ने दिवंगत की अर्थी को कंधा देने से लेकर उसकी चिता को अग्नि देने तक पूरा सहयोग किया। आशिक हुसैन नामक युवक ने कहा कि रानी भट्ट हमारे गांव की सबसे बुजुर्ग महिलाओं में एक थी। उनके निधन से यहां सभी दुखी हैं। उनके निधन पर उनके कई रिश्तेदार नहीं आ सके। कोरोना के कारण उनके परिजन भी डरे हुएथे,लेकिन हमने उन्हं समझाया कि घबराने की बात नहीं हैं,हम यहीं पर हैं। हम सभी एक हैं। हमने शारीरिक दूरी के सिद्धांत का पूरा ध्यान रखने का प्रयास किया। हमने हिदू धर्म की रिवायतो के मुताबिक रानी भट्ट की चितातैयार करने मे उनके परिजनों की मदद की ताकि उन्हें नहीं लगे कि वह यहां अकेले हैं।