Kashmir Situation: जम्मू कश्मीर पुलिस को मिलेगी ये सुविधा, ताकि दोबारा न हो पुलवामा जैसा आत्मघाती हमला
जम्मू कश्मीर पुलिस अंडर-व्हीकल इंस्पेक्शन सिस्टम व डीप सर्च मेटल डिटेक्टर जैसे आधुनिक उपकरणों से होगी लैस ताकि दोबारा न हो पुलवामा जैसा आत्मघाती हमला
जम्मू, दिनेश महाजन। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन पुलवामा जैसे आत्मघाती हमला फिर न दोहरा पाएं, इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर पुलिस को और सशक्त करने का फैसला किया है। राज्य पुलिस को अंडर-व्हीकल इंस्पेक्शन सिस्टम (यूवीआइएस) और डीप सर्च मेटल डिटेक्टर (डीएसएमडी) जैसे आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा। यह उपकरण विस्फोटकों के साथ सड़क पर दौड़ रहे वाहनों की पहचान करने और जमीन के कई फीट अंदर तक छुपाए गए विस्फोटक को ढूंढ निकालने में कारगर साबित होगा।
अंडर-व्हीकल इंस्पेक्शन सिस्टम व डीप सर्च मेटल डिटेक्टर जैसे आधुनिक उपकरणों से लैस
अक्सर आतंकी सड़क किनारे आइईडी लगाकर सुरक्षाबलों के काफिले को निशाना बनाते हैं। यह उपकरण आइईडी की पहचान करने में अचूक हथियार साबित होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस मुख्यालय ने इस उपकरणों की खरीद के लिए टेंडर जारी कर दिया है।
अंडर-व्हीकल इंस्पेक्शन सिस्टम (यूवीआइएस) में इमेजिंग सिस्टम होता है, जो नाकों पर लगाया जाता है। इसका प्रयोग विशेष रूप से वाहनों के नीचे छिपाकर लगाए गए विस्फोटकों का पता लगाने के लिए किया जाता है। जैसे ही कोई भी वाहन जब चेक प्वाइंट पर आएगा तो इस उपकरण के ऊपर से गुजरने पर स्कैन होने के साथ उसकी छवि कैमरे में कैद हो जाएगी। यह उपकरण उसे तुरंत कंट्रोल रूम में मॉनिटर पर प्रदर्शित करेगा, जिससे उसकी पूरी जांच कर हमले को टाला जा सकता है। वहीं डीप सर्च मेटल डिटेक्टर (डीएसएमडी) का इस्तेमाल धातु से जुड़े सामान का पता लगाने में किया जाता है।
इसके अलावा लैंड माइन और अन्य हथियारों का भी पता लगाया जा सकता है। डीप सर्च मेटल डिटेक्टर विद्युत चुंबकीय के सिद्धांत पर काम करता है। अलग-अलग कामों के इस्तेमाल के लिहाज से मेटल डिटेक्टरों की संवेदनशीलता अलग बनाई जाती है। विस्फोटक में लगे चुंबकीय क्षेत्र (बैटरी या बिजली के उपकरणों) में होने वाले परिवर्तन के आधार पर विस्फोटक की जांच की जाती है। मेटल डिटेक्टर में लगे माइक्रोप्रोसेर इस बात का पता लगाते हैं कि वह कौन सी धातु है।
टेंडर प्रक्रिया पूरी, जल्द होगी खरीद :
राज्य पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एआइजी) मुबस्सर लतीफी का कहना है कि इन उपकरणों को बेचने वाली कंपनियों से टेंडर मंगवा लिए गए हैं। टेंडरों की जांच पूरी होने के बाद इन उपकरणों को खरीद लिया जाएगा। इस प्रक्रिया में छह माह का समय लग सकता है।
यूवीआइएस होता तो टल सकता था पुलवामा हमला :
देश को अपने 40 से अधिक वीर जवानों को खोने का गम ना सहना पड़ता, यदि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर यूवीआइएस जैसे उपकरण लगे होते। हमले के समय जिस वाहन में विस्फोटक लगा कर उसे जवानों की बस के साथ टकराया गया था, उसकी जानकारी यूवीआइएस के जरिए लगाई जा सकती थी। राज्य पुलिस यूवीआइएस का प्रयोग जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करने जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी वारदात फिर से ना हो।