भारत से बेहतर मुसलमानों के लिए कोई देश नहीं, पाकिस्तान का जिहाद के लिए उकसाना शर्मनाक
कई प्रतिनिधिमंडलों से मिले और स्थानीय लोगों से बातचीत करने के बाद पाया कि पाकिस्तान जो भी कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार कर रहा है वह सही नहीं है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आल इंडिया सूफी सजदानशीन काउंसिल के चीफ पेट्रन और ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी सईद नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि मुसलमानों के रहने के लिए भारत से बेहतर देश कोई नहीं है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जिस जिहाद के लिए मुसलमानों को उकसा रहे हैं, वह शर्मनाक है। जिस बदस्लूकी का हवाला देकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आए दिन बयान देते रहे हैं, वह फिलस्तीन और चीन में मुसलमानों के साथ हो रही अनदेखी के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते। उन्हें तो इन दोनों देशों के खिलाफ जंग शुरू कर देनी चाहिए।
चिश्ती ने कहा कि भारत में रह रहा हरेक मुस्लिम सुरक्षित है। उन्हें अपने देश की परवाह करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर में कुछ दिनों में वह कई जगह गए। लोगों से मिले, उनसे बातचीत भी की परंतु किसी ने भी उनके साथ मानवाधिकार उल्लंघन का मामला नहीं उठाया। पाकिस्तान कश्मीर के बारे में जो सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कर रहा है, वह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में मोबाइल सेवाएं जरूर ठप थी जिस कारण लोगों को परेशानी भी हुई लेकिन जब इतने बड़े फैसले लिए जाते हैं तो इस प्रकार के प्रतिबंध लगाना स्वाभाविक है।
वहीं संगठन के मीडिया प्रभारी दीपक शर्मा ने कहा कि कश्मीर में हालात सामान्य हैं। देश के विभिन्न भागों से कश्मीर दौरे पर आए सूफी संतों ने स्वयं लोगों के बीच जाकर यह बात देखी है। तीन दिनों तक वे कश्मीर के विभिन्न भागों में दरगाहों में गए, कई प्रतिनिधिमंडलों से मिले और स्थानीय लोगों से बातचीत करने के बाद पाया कि पाकिस्तान जो भी कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार कर रहा है वह सही नहीं है। रोजमर्रा की जिंदगी में स्थानीय लोगों को कुछ समस्याएं जरूर हैं लेकिन हालात पूरी तरह से सामान्य हैं। यह पहली बार है कि कश्मीर को लेकर अगर कोई बड़ा फैसला हुआ है तो एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। सबकुछ सामान्य है और हालात में तेजी के साथ सुधार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालात के बारे में वे प्रधानमंत्री और केंद्र गृहमंत्री को भी जानकारी देंगे। प्रयास करेंगे कि कश्मीर के लोगों की जो चंद शिकायतें हैं, उन्हें भी दूर किया जाए। उनका यह कश्मीर का पहला दौरा था लेकिन कश्मीर में सूफिजम को बढ़ावा देने के लिए और शांति स्थापित करने के लिए वे बार-बार यहां आएंगे।