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J&K में मोदी सरकार के सामने अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर क्‍या हो सकते हैं विकल्‍प, जानें

जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ अमरनाथ यात्रियों पर्यटकों और बाहर के छात्रों को घाटी के निकालने की कोशिशों के बीच कई तरह की अफवाहों को बाजार गर्म है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 08:50 PM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 11:02 PM (IST)
J&K में मोदी सरकार के सामने अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर क्‍या हो सकते हैं विकल्‍प, जानें

नीलू रंजन, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ-साथ अमरनाथ यात्रियों, पर्यटकों और बाहर के छात्रों को घाटी से निकालने की कोशिशों के बीच कई तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है। इनमें अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने से लेकर राज्य को तीन भागों में विभाजित करने तक की बातें की जा रही हैं।

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अनुच्छेद 370 और 35ए में हो सकता है जरूरी संशोधन
कश्मीर मामलों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों की मानें तो सरकार अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बजाय उनमें जरूरी संशोधनों के साथ भी आगे बढ़ सकती है। इससे जहां कश्मीर के भीतर इन अनुच्छेदों को हटाने को लेकर हो रहे विरोध के स्वर कमजोर होंगे, वहीं इनके कारण विभिन्न वर्गो के साथ हो रहे पक्षपात को समाप्त करने और निजी निवेश को आकर्षित कर विकास की गति को तेज करने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

पीएम के भाषणों पर ध्‍यान से देखने की सलाह
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कुछ महीनों के भाषणों को ध्यान से देखने की सलाह देते हुए कहा कि उन्होंने 370 और 35ए की आलोचना सिर्फ इस आधार पर की है कि इसके कारण पिछले 70 साल में कश्मीर का विकास नहीं हो सका। पिछले हफ्ते अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री ने बताया था कि किस तरह कश्मीर की आम जनता विकास और अमन चाहती है। उन्होंने कहा था, 'जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, वे कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते।'

अनुच्छेद 370 निजी निवेश के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा
कश्मीर पर नीति निर्धारण से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए राजनीतिक मुद्दा तो हो सकता है, लेकिन इन्हें पूरी तरह निरस्त किए बिना भी जरूरी लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। अनुच्छेद 370 निजी निवेश के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है।

यदि इसमें संशोधन कर निवेश की इच्छुक कंपनियों और व्यक्तियों को लंबी लीज पर जमीन उपलब्ध कराने का प्रावधान कर दिया जाए तो राह आसान हो जाएगी। इसी तरह, 35ए में संशोधनों के साथ राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से शादी करने वाली महिला को पैतृक संपत्ति में अधिकार और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता से रोकने जैसे प्रावधानों को आसानी से बदला जा सकता है।

संवैधानिक संशोधन का रास्ता खुला
विशेषज्ञों का भी मानना है कि अनुच्छेद 370 और 35ए को पूरी तरह निरस्त करने के बजाय इसमें संशोधनों के साथ आगे बढ़ना ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है। अनुच्छेद 370 के लिए सरकार को संवैधानिक संशोधन का रास्ता चुनना होगा। जबकि 35ए में संशोधन के लिए ऐसी कोई मजबूरी नहीं होगी।

यहां सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद सरकार 35ए में संशोधनों के साथ आगे बढ़ सकती है और बाद में सुप्रीम कोर्ट को इन संशोधनों की जानकारी दे सकती है। 35ए की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और अब तक इस पर सुनवाई शुरू नहीं हो पाई है।

कश्‍मीरी नेता भी संशोधन की बात करने लगे
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन अनुच्छेदों को हटाने का विरोध करने वाले कश्मीरी नेता भी अब इनमें संशोधनों की बात करने लगे हैं। उन्होंने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के साक्षात्कार हवाला दिया। इसमें फारूक साफ-साफ 35ए में संशोधन की जरूरत स्वीकार रहे हैं। उनकी शर्त सिर्फ इतनी है कि यह संशोधन जम्मू-कश्मीर विधानसभा से कराया जाए और उसके लिए पहले विधानसभा चुनाव हों।

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