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जनता को मिलेगी ईमानदार प्रशासनिक व्यवस्था

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद बड़ा मुद्दा रहा है। इसके लिए जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पूर्व की राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था को किसी हद तक जिम्मेदार माना जाता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 08:28 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 08:28 AM (IST)
जनता को मिलेगी ईमानदार प्रशासनिक व्यवस्था
जनता को मिलेगी ईमानदार प्रशासनिक व्यवस्था

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : विधानसभा बहाली से पहले उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकार विभाजित करने से भविष्य में जनता को जिम्मेदार और ईमानदार प्रशासनिक व्यवस्था मिलेगी। गृहमंत्रालय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सचिवों के अधिकार और दायरे स्पष्ट किए हैं।

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जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद बड़ा मुद्दा रहा है। इसके लिए जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पूर्व की राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था को किसी हद तक जिम्मेदार माना जाता रहा है। कई ऐसे मामले हैं,जब एसएसपी रैंक के अधिकारियों को इसलिए हटाया क्योंकि वे उक्त इलाके में सक्रिय आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ सक्रिय था जिससे एक दल विशेष के राजनीतिक हित प्रभावित हो रहे थे। पुलिस में राजनीतिक व्यवस्था का किसी प्रकार का दखल न होने से अधिकारियों व कर्मियों को निष्पक्षता से जिम्मेदारी निभाने का मौका मिलेगा।

जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक तंत्र में बैठे कई अधिकारी दबे मुंह कहते हैं कि सतर्कता संगठन जो भ्रष्टाचार ब्यूरो बन चुका है, में दागी अधिकारियों की फाइलें बरसों तक दबी रहती थी। वह जांच को प्रभाव से लटका देते थे। उनके राजनीतिक आका मदद करते थे। कई बार जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत की जांच हो रही होती थी,उसे ही सतर्कता संगठन में स्थानांतरित कर दिया जाता रहा है। अगर कार्रवाई पूरी हो गई हो तो राजनीतिक गलियारों से आए संदेश पर फाइल मेज पर ही पड़ी रहती थी। जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री और विधायकों को उन मुद्दों तक सीमित रखा है, जिनका नारा देकर वह लोगों से वोट लेंगे। वह सड़क, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, जैसे बुनियादी मुद्दों की बात करेंगे, उन पर राजनीति करेंगे। उनके पास कानून व्यवस्था की स्थिति में व्यस्त रहने का बहाना नहीं होगा। राजनीतिक दबाव से मिलेगी आजादी :

जम्मू कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो हरि ओम ने कहा कि गृह मंत्रालय ने जिसतरह से जम्मू कश्मीर प्रदेश में उपराज्यपाल और विधानसभा व मुख्यमंत्री के अधिकारों को स्पष्ट किया है, उससे यह मान लिया जाना चाहिए कि जम्मू कश्मीर को हाल फिलहाल में पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। खैर इस समय इन अधिकिारों को विभाजित किए जाने से होने वाले असर की बात करना बेहतर होगा। पुलिस, कानून व्यवस्था और नौकरशाही को राजनीतिक दबाव से आजाद कराया गया है। यह आजादी जम्मू कश्मीर में मजबूत और इमानदार प्रशासनिक व्यवस्था की नींव तैयार करेगी। आतंकवाद पर काबू पाएगी। पुलिस व प्रशासन में घुसे जिहादी तत्वों को बेनकाब करेगी।


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