आतंकियों से स्वजन को बचाने के लिए ढाल बन गई थी हिमाप्रिया
जम्मू के सुंजवा सैन्य ब्रिगेड पर फिदायीन हमले के दौरान गुरूगू हिमाप्रिया अपने स्वजन को बचाने के लिए आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों के आगे वीरता से खड़ी हो गई थी। खुद और अपनी मां के घायल होने के बावजूद वह आतंकियों से उलझ गई। अंतत वह अपने स्वजन को बचाने में कामयाब हुई। हिमाप्रिया की इसी वीरता को सलाम करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसे राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू के सुंजवा सैन्य ब्रिगेड पर फिदायीन हमले के दौरान गुरूगू हिमाप्रिया अपने स्वजन को बचाने के लिए आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों के आगे वीरता से खड़ी हो गई थी। खुद और अपनी मां के घायल होने के बावजूद वह आतंकियों से उलझ गई। अंतत: वह अपने स्वजन को बचाने में कामयाब हुई। हिमाप्रिया की इसी वीरता को सलाम करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसे राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया है।
10 फरवरी, 2018 को तड़के तीन आत्मघाती आतंकी दीवार फादकर सैन्य क्षेत्र में हिमाप्रिया के क्वार्टर में घुस आए थे। हमले के समय हिमाप्रिया मात्र नौ साल की थी और केंद्रीय विद्यालय की छात्रा थी। आध्रप्रदेश के रहने वाले हिमाप्रिया के पिता सेना में जवान के पद पर तैनात थे। जब आतंकी घुसे तो उसके पिता ड्यूटी पर थे। उस समय मा पद्मावती अपने बच्चों हिमाप्रिया, ऋषिता व अवंतिका के साथ घर में थी। इस दौरान आतंकियों द्वारा घर के अंदर फेंके गए ग्रेनेड से पद्मावती का हाथ बुरी तरह से घायल हो गया था। हिमाप्रिया भी घायल हो गई थी। इस दौरान हिमाप्रिया के दरवाजा खोलने पर आतंकियों ने उन्हें बंधक बना लिया। हिमाप्रिया ने करीब चार घटे तक आतंकियों से बहस की। वह स्वजन की जान बख्शने की गुहार लगाने के साथ घायल मा को अस्पताल ले जाने की भी जिद कर रही थी। आतंकियों को बहस में व्यस्त रखकर हिमाप्रिया ने सेना को कार्यवाही करने के लिए समय दे दिया। ऐसे में सेना की सटीक कार्यवाही शुरू हुई और आतंकियों को मार गिराना संभव हुआ था। स न्य परिवारों के बच्चे भी दुश्मन से भिड़ने का हौसला रखते हैं : ले. कर्नल देवेंद्र आनंद
जम्मू में पीरआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने बताया कि हिमाप्रिया ने बहादुरी के साथ सूझबूझ का परिचय दिया था। हिमाप्रिया ने साबित किया था कि सैन्य परिवारों के बच्चे भी दुश्मन से भिड़ने का हौसला रखते हैं। आतंकियों की कोशिश थी कि वे सैन्य परिवारों को आसान निशाना बनाएं। इस चाल को नाकाम बनाने में हिमाप्रिय की वीरता सराहनीय थी। 50 घटे चला था आपरेशन, छह सैनिक हुए थे बलिदान :
जम्मू के सुंजवा ब्रिगेड पर हुए फिदायीन हमले में छह सैनिक बलिदान व एक अन्य की मौत हुई थी। 12 घायलों में अधिकतर सैन्य परिवारों के सदस्य थे। करीब 50 घटे तक चली सेना की जवाबी कार्रवाई में जैश के तीनों आतंकी मारे गए थे। इसके बाद सैन्य परिसर में दो दिन चले तलाशी अभियान में सेना की क्विक रिएक्शन टीमों ने सभी 26 ब्लाकों व 189 आवासों को एक-एक कर खंगाला था।