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ईद-उल-जुहा पर कश्मीर को दहलाने की साजिश

पुलिस ने लश्कर का नाम नहीं लिया है, लेकिन यह जरूर कहा है कि ईद के मुबारक मौके पर आतंकी कश्मीर में बड़े पैमाने पर खूनखराबे की साजिश रच रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 31 Aug 2017 09:57 AM (IST)Updated: Thu, 31 Aug 2017 09:57 AM (IST)
ईद-उल-जुहा पर कश्मीर को दहलाने की साजिश
ईद-उल-जुहा पर कश्मीर को दहलाने की साजिश

श्रीनगर, [नवीन नवाज] इस्लाम की दुहाई देने वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने पिछले सप्ताह जिला पुलिस लाइन पर जैश के आत्मघाती दस्ते के हमले से भी बड़ा हमला ईद-उल-जुहा के मुबारक मौके पर कश्मीर में करने की साजिश रची है। इसका सूत्रधार हाफिज सईद का दामाद वलीद बताया जा रहा है।

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लश्कर कमांडर अबु इस्माइल सरहद पार बैठे अपने आकाओं की इसी साजिश को अंजाम देने की जमीन तैयार करने के लिए पिछले दो दिनों के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी के बाहरी क्षेत्रों में अपने सूत्रों के साथ संपर्क बनाने का प्रयास करते भी देखा गया है। उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने कई जगह छापेमारी भी की। वलीद ही गुलाम कश्मीर में लश्कर के ट्रेनिंग कैंपों का संचालन करने के अलावा कश्मीर घाटी में प्रमुख आतंकी कार्रवाईयों के लिए लश्कर के आत्मघाती दस्तों को भेजने और उनके लिए टारगेट तय करने का भी काम करता है।

हालांकि पुलिस ने लश्कर का नाम नहीं लिया है, लेकिन यह जरूर कहा है कि ईद के मुबारक मौके पर आतंकी कश्मीर में बड़े पैमाने पर खूनखराबे की साजिश रच रहे हैं। आइजीपी कश्मीर मुनीर अहमद खान ने भी इस तथ्य की पुष्टि करते हुए बताया कि इस समय वादी में जैश के दो आत्मघाती दस्ते मौजूद हैं। इन दस्तों के अलावा गुलाम कश्मीर से भी आत्मघाती आतंकियों के दो या तीन दस्ते वादी में घुसपैठ कर चुके हैं और करने वाले हैं।

उन्होंने बताया कि जिला पुलिस लाइन पुलवामा में जैश के आत्मघाती दस्ते अफजल गुरु स्क्वाड के हमले के बाद पुलिस के इलेक्ट्रानिक सर्वेलांस दस्ते ने दो आतंकी कमांडरों की रेडियो बातचीत को रिकार्ड किया है। उन्होंने बताया कि गुलाम कश्मीर स्थित आतंकी कमांडर वलीद रेडियो सेट पर कश्मीर में सक्रिय अपने एक साथी से पुलवामा हमले से पैदा हालात पर चर्चा कर रहा था। उसने जैश के आतंकियों की कार्रवाई की सराहना करते हुए कुर्बानी को लेकर कुरान की आयतों को भी पढ़ा और उसके बाद कहा कि इससे भी बड़ी खबर जल्द ही मिलेगी।

वलीद ने रेडियो सेट पर कश्मीर में सक्रिय अपने साथी को कहा कि अब जो खबर मिलेगा, वह हम सभी को खुश कर देगी। हम नए ताजा दम लड़कों का एक दस्ता भेज रहे हैं। वह अगले एक दो दिन में आपको मिल जाएगा। ईद-ए-कुर्बान को या उसके आगे पीछे बहुत से बनिये कुर्बान होंगे।आइजीपी ने कहा कि हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। वलीद ने जिन आतंकियों का जिक्र किया है, वह कश्मीर में हैं या कश्मीर पहुंचने वाले हैं, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती, लेकिन इस समय आत्मघाती आतंकियों के दो से तीन दस्ते कश्मीर में हैं। इनमें से एक श्रीनगर शहर के आसपास ही है, जबकि दो अन्य दक्षिण कश्मीर में हैं। दक्षिण कश्मीर में आत्मघाती आतंकियों का एक दस्ता जिला अनंतनाग में देखा गया है, जबकि एक अन्य जिला पुलवामा में त्राल और पांपोर के बीच कहीं बैठा हुआ है। हम इन लोगों को उनकी मांद में ही मार गिराने के लिए तलाशी अभियान चला रहे हैं।

लश्कर आउटसोर्स कर सकता है हमला

राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जरूरी नहीं कि आत्मघाती हमला लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ही करें। लश्कर-ए-तैयबा इसके लिए वादी में पहले से बैठे जैश के आत्मघाती दस्ते का भी इस्तेमाल कर सकता है। हमला जैश करेगा और जिम्मेदारी लश्कर लेगा। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। लश्कर के आतंकियों ने 6 जनवरी 2010 को लाल चौक में आत्मघाती हमला किया था, लेकिन यह हमला हरकतुल मुजाहिदीन के डिविजनल कमांडर बशारत सलीम और ऑपरेशनल कमांडर नौमान ने कराया था। इस हमले पर लश्कर को लगभग 10 लाख की राशि खर्च करनी पड़ी थी।

उड़ी हमला भी लश्कर ने कराया था

उत्तरी कश्मीर में जिला बारामुला के अंतर्गत एलओसी से सटे उड़ी सेक्टर में सेना के एक ब्रिगेड हमले में भी लश्कर-ए-तैयबा का ही हाथ था। हालांकि मारे गए आतंकियों से मिले दस्तावेजों के आधार पर पता चला था कि वह जैश से जुड़े थे। जैश ने जिम्मेदारी भी ली, लेकिन बाद में जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला था कि हमला लश्कर की कारस्तानी थी। इसे अंजाम देने के लिए जैश की मदद ली गई ताकि कहीं भी लश्कर का नाम न आए। लश्कर के लिए हमला

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार आसिफ के मुताबिक पिछले सात-आठ माह के दौरान कश्मीर में लश्कर को को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। दक्षिण कश्मीर में सक्रिय उसके सभी प्रमुख कमांडर मारे गए हैं। उत्तरी कश्मीर में भी लश्कर का कैडर कोई बड़ी कार्रवाई को अंजाम नहीं दे पा रहा है। कैडर का मनोबल गिरा हुआ है। हथियारों की पूर्ति भी बराबर नहीं हो पा रही है। ऐसे हालात में उसके लिए कश्मीर में अपने कैडर का मनोबल बनाए रखने और कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा में अपनी जमीन बचाए रखने के लिए कोई बड़ा हमला जल्द करना उसकी मजबूरी है।


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