जिला विकास परिषद का निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित नहीं होगा
राज्य ब्यूरो श्रीनगर जम्मू कश्मीर में पंचायत राज व्यवस्था के तहत जिला विकास परिषद का निर्वाचन क्षेत्र स्थायी तौर पर किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं होगा।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में पंचायत राज व्यवस्था के तहत जिला विकास परिषद का निर्वाचन क्षेत्र स्थायी तौर पर किसी वर्ग विशेष के लिए आरक्षित नहीं होगा। प्रत्येक चुनाव के समय आरक्षित सीट में बदलाव होगा। जिला विकास परिषदों के चुनाव में अनुसूचित जाति,जनजाति के साथ महिलाओं के लिए सीटें संबंधित नियमों के मुताबिक आरक्षित रहेंगी। यह सब शनिवार को पंचायती राज अधिनियम 1989 की धारा 80 के तहत जम्मू कश्मीर पंचायती राज नियम, 1996 में किए संशोधन से सुनिश्चित हुआ है।
धिसूचना के मुताबिक सरपंच, पंच या ब्लॉक विकास परिषद के अध्यक्ष को जिला विकास परिषद का सदस्य चुने जाने के बाद और जिला विकास परिषद के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करने से पहले सरपंच, पंच या ब्लाक विकास परिषद के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना होगा। उन्हें इस्तीफा जिला विकासायुक्त को सौंपना होगा जो इसे स्वीकार करन के बाद चुनाव प्राधिकरण और सरकार को सूचित करेगा। उपनियम (3ए) के मुताबिक प्रत्येक जिला विकास परिषद में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति और महिलाओं के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या धारा 45-ए के तहत प्रत्येक वर्ग के लिए निर्धारित अनुपात की दर से य की जाएंगी। अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए आरक्षित सीटें विभिन्न क्षेत्रीय निर्वाचिन क्षेत्रों में संबंधित निर्वाचन क्षेत्र की कुल आबादी में घटते क्रम के आधार पर अनुसचित जातियों वजनजातियों की आबादी के अनुपात में होगी। जिस क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रमें अनुसूचित जातियों व जनजातियों की बादी ज्यादा होगी, वही उन्हें आबंटित होगी। जब भी चुनाव हुआ करेंगे। अनुसूचित जातियों व जनजातियों को ऐसी कोई भी निर्वाचन क्षेत्र आरक्षण के आधार पर आबंटित नहीं किया जाएगा जो पहले कभी उनके लिए आरक्षित रहा हो। महिलाओं के लिए आरक्षण का रोस्टर तीन बिंदुओं पर आधारित है सामान्य वर्ग, महिला आरक्षण, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिएआरक्षित सीटों में आरक्षण संशोधित नियमों के मुताबिक किसी वर्ग विशेष के लिए किसी वर्ष विशेष में चुनाव के लिए आरक्षित क्षेत्र पहले ही संबधित वर्ग पहले से आरक्षित हो तो क्रमानुसार उक्त निर्वाचन क्षेत्र के बाद आने वाला निर्वाचन क्षेत्र ही बाद के चुनाव के लिए आरक्षित किया जाएगा। अगर किसी जिले में अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियें की आबादी के अनुपात आधार पर संबंधित जातियों के लिए सिर्फ एक ही सीट आरक्षित होती हो तो तो ऐसी सीट को महिला आरक्षण के लिए सामान्य वर्ग की सीट के तौर पर ही माना जाएगा।