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वुलर फेस्टिवल में दिखे संस्कृति के विविध रंग

वह दिन दूर नहीं जब वुलर झील भी विश्व प्रसिद्ध डल झील की तरह पर्यटकों को लुभाएगी। इसी मकसद से मंगलवार को यहां एक दिवसीय वुलर फेस्टिवल में संस्कृति के विविध रंग दिखे। शिकारा रैली भी हुई। भीषण ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने फेस्टिवल में हिस्सा लिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 01:54 AM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 01:54 AM (IST)
वुलर फेस्टिवल में दिखे संस्कृति के विविध रंग
वुलर फेस्टिवल में दिखे संस्कृति के विविध रंग

संवाद सहयोगी, श्रीनगर: वह दिन दूर नहीं जब वुलर झील भी विश्व प्रसिद्ध डल झील की तरह पर्यटकों को लुभाएगी। इसी मकसद से मंगलवार को यहां एक दिवसीय वुलर फेस्टिवल में संस्कृति के विविध रंग दिखे। शिकारा रैली भी हुई। भीषण ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने फेस्टिवल में हिस्सा लिया।

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बाडीपोरा जिले में हरमुख पहाड़ियों के दामन में आबाद वुलर झील को एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील के तौर पर जाना जाता है। इस झील केकिनारे विंटेज पार्क में मंगलवार को वुलर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इसमें पर्यटन विभाग ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। पर्यटन विभाग के निदेशक जीएन यत्तू ने बताया कि हमारी कोशिश यह है कि इस झील को भी डल की तरह पर्यटकों की पहली पसंद बनाया जाए। बांडीपोरा जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी यह जिला पर्यटन के मानचित्र पर नहीं आया है। अथवटू, गुरेज व तुलैल की खूबसूरत वादिया हैं। वुलर में एडवेंचर टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं।

पर्यटन निदेशक ने कहा कि भारी हिमपात के चलते गुरेज क्षेत्र हर वर्ष तीन-चार महीनों के लिए शेष वादी से कटा रहता है। यही कारण है कि सर्दी में कश्मीर आने वाले पर्यटक इस खूबसूरत क्षेत्र के दीदार नहीं कर पाते। विभाग की कोशिश यहां साल भर पर्यटकों को लाने की है। वुलर के संरक्षण व विकसित करने के लिए प्रशासन की विकास योजनाओं के बीच पर्यटन विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है। वुलर फेस्टिवल का भी यही मकसद है।

फेस्टिवल के दौरान बांडीपोरा के उपायुक्त डा. उवैस ने वुलर के संरक्षण के लिए खाका पेश किया। उन्होंने बताया कि झील की ड्रेजिंग के लिए प्रशासन ने 200 करोड़ रुपये रखे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत वुलर के 4.35 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की ड्रेजिंग में से तीन वर्ग किलोमीटर की ड्रेजिंग हो चुकी है। इस दौरान झील से 99 हजार विलो निकालकर 19.47 करोड़ का राजस्व भी जुटाया गया है।


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