Move to Jagran APP

जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सिनेमा के फिरने वाले हैं दिन

राज्य ब्यूरो श्रीनगर जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सिनेमा के दिन फिरने वाले हैं। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को क्षेत्रीय सिनेमा की स्थापना और संस्कृति नीति बनाने के लिए यथोचित कदम उठाने के लिए कहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 09:33 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 09:33 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सिनेमा के फिरने वाले हैं दिन
जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सिनेमा के फिरने वाले हैं दिन

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सिनेमा के दिन फिरने वाले हैं। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को क्षेत्रीय सिनेमा की स्थापना और संस्कृति नीति बनाने के लिए यथोचित कदम उठाने के लिए कहा है। कश्मीरी, डोगरी, पहाड़ी और गोजरी भाषा में स्थानीय कलाकारों व फिल्मकारों द्वारा फिल्में बनाई जाती हैं। इनमें अधिकांश छोटे पर्दे के लिए होती हैं। बड़े पर्दे के लिए डोगरी और पहाड़ी भाषा में फिल्में बन चुकी हैं। सबसे ज्यादा फिल्में डोगरी भाषा में बनती हैं।

loksabha election banner

भारतीय कला संगम के अध्यक्ष और कलाकार रमेश चिब ने गृहमंत्रालय के जारी निर्देश पर कहा कि हमने याचिका दायर का क्षेत्रीय सिनेमा और संस्कृति नीति के गठन का आग्रह किया था। हमने याचिका 23 फरवरी 2019 को दायर की थी। लगभग एक साल बाद हमें गृहमंत्रालय का जवाब प्राप्त हुआ है। गृहमंत्राल ने चार फरवरी 2020 को कला संस्कृति सचिव को उचित कार्रवाई के लिए कहा है।

भारतीय कला संगम बीते कई वर्षो से विभिन्न समाजसेवी संगठनों और कलाकारों के साथ मिलकर क्षेत्रीय सिनेमा व संस्कृति नीति के लिए विभिन्न विभागों, केंद्र सरकार और पुनर्गठन से पहले के जम्मू कश्मीर में सत्तासीन रही सरकारों के समक्ष इस मुद्दे को कई बार उठा चुका है। गृहमंत्रालय के निर्देश से हमें हमारा संघर्ष रंग लाता नजर आ रहा है। चिब ने कहा कि हमने याचिका में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सिनेमा की मांग की है जिस भी राज्य में क्षेत्रीय सिनेमा है वहां संबंधित राज्य सरकार स्थानीय भाषाई सिनेमा और थियेटर व संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए वित्तीय मदद व सब्सिडी प्रदान करती है। हम बरसों से यहां सिनेमा और संस्कृति नीति की मांग करते आए हैं, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नही दिया। जम्मू कश्मीर विभिन्न प्रकार की लोक संस्कृतियों वाला प्रदेश है। जम्मू कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, लेकिन संस्कृति नीति के अभाव में स्थानीस सांस्कृतिक संगठन, फिल्म निर्माता निर्देशक, कलाकार,लेखक कभी आगे नहीं बढ़ पाए। इसका नुकसान हमारी संस्कृति के संरक्षण और विकास कार्याें को भी पहुंचा है। कुछ गिनी चुनी ही सिनेमाघरों में पहुंच पाती

वरिष्ठ कलाकार सुधीर जंवाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हर साल करीब 150 छोटी बड़ी फिल्में बनती हैं। इनमें से कुछ गिनी चुनी ही सिनेमाघरों में पहुंच पाती हैं, शेष अन्य प्लेटफार्म पर रिलीज होती हैं। क्षेत्रीय सिनेमा और संस्कृति नीति के बनने से यहां हर भाषा के कलाकार को लाभ होगा। यहां पंजाब और उत्तर प्रदेश की तरह स्थानीय सिनेमा उभेरगा। सैकड़ों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। बड़ी बात यह कि लोक कला, भाषा और संस्कृति का संरक्षण और विकास भी होगा। यहां बहुत से काबिल कलाकार, फिल्म निर्माता व लेखक वित्तीय मदद न होने के कारण कभी आगे नहीं बढ़ पाए। सिनेमा व संस्कृति नीति होने पर सब्सिडी मिलेगी,फिल्मों पर टैक्स माफ भी होगा। कश्मीर में हमारे बहुत से साथियों ने भी इस दिशा में बड़ी मेहनत की। हमारे एक साथी रमेश चिब ने तो बाकायदगी से अभियान चला रखा है। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पांच अगस्त 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर में जो भी वर्ग में सत्ता में रहा है, उसने एक कारण विशेष के तहत जम्मू कश्मीर में स्थानीय सिनेमा व संस्कृति के प्रचार प्रसार को अहमियत नहीं दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.