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महबूबा के बिना पीडीपी के साथ सरकार बना सकती है भाजपा

महबूबा की भाजपा विरोधी बयानबाजी से नाराज भाजपा नेताओं ने कहा है कि अगर पीडीपी के साथ दोबारा सरकार बनती है तो महबूबा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाए।

By Edited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 02:22 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 08:09 AM (IST)
महबूबा के बिना पीडीपी के साथ सरकार बना सकती है भाजपा
महबूबा के बिना पीडीपी के साथ सरकार बना सकती है भाजपा

श्रीनगर, नवीन नवाज। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठजोड़ कर भाजपा को जम्मू कश्मीर में सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले राम माधव के कश्मीर दौरे ने फिर पीडीपी के साथ सरकार बनाने की अटकलों को जन्म दे दिया है। अगर सरकार बनती है तो शायद ही महबूबा मुफ्ती या किसी गैर कश्मीरी को सरकार की कमान मिले। पीडीपी के बागियों से लेकर भाजपा का एक वर्ग महबूबा के नेतृत्व में सरकार नहीं बनाना चाहता।

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महबूबा भी अपने कुनबे को बचाए रखने के लिए सरकार बनाने से परहेज करेंगी। भाजपा भी ऐसा कोई कदम उठाने से पहले अनुच्छेद 35ए पर पैदा विवाद के ठंडा होने और कश्मीर में उन कार्यो को अंजाम देने का प्रयास करेगी, जो राष्ट्रीय सियासत में उसके वोट बैंक को मजबूत करे। बताया जा रहा है कि महबूबा की भाजपा विरोधी बयानबाजी से नाराज भाजपा नेताओं ने राम माधव को स्पष्ट कहा है कि अगर पीडीपी के साथ दोबारा सरकार बनाने के लिए समझौता होता है तो उस स्थिति में महबूबा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाए।

पीडीपी के बागी विधायकों में शामिल अब्दुल मजीद पडर ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा था कि हमारे पास सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत है। हमें पीडीपी से अलग होने की जरूरत नहीं है। हम महबूबा मुफ्ती के बिना भी सरकार बना सकते हैं। इस संदर्भ में शुक्रवार को उनके साथ जब दोबारा बात हुई तो उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सरकार बनाने में हमें कोई एतराज नहीं है। पर हमें कोई जल्दी नहीं है। हमारे कुछ मसले हैं, पहले उनका हल होना जरूरी है। दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश प्रमुख रविंद्र रैना ने कहा कि यहां सभी चाहते हैं कि लोगों को लोकतांत्रिक सरकार मिले। हम चाहते हैं कि पहले यहां हालात बेहतर हों, सुरक्षा और विश्वास का माहौल बने। श्री अमरनाथ की यात्रा संपन्न हो और स्थानीय निकायों के चुनाव हों। इसके अलावा कुछ और मुद्दे हैं, जो पिछली सरकारें हल नहीं कर पाई हैं, उन्हें हल कर लिया जाएग। इसके बाद ही हम सरकार के गठन की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

19 जून को लगा था राज्यपाल शासन

पीडीपी-भाजपा सरकार 18 जून को भाजपा के समर्थन वापस लेने से गिर गई थी। 19 जून राज्यपाल शासन लागू हुआ था। सरकार गिरने के बाद पीडीपी के कई विधायकों ने महबूबा पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनकी अक्षमता को ही सरकार के गिरने का जिम्मेदार बताया था। इसके बाद नई सरकार के गठन की कवायद को लेकर नित रोज नए घटनाक्रम हो रहे हैं। पीडीपी के एक वर्ग विशेष द्वारा भाजपा के साथ ही नहीं अन्य कुछ दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की कथित कोशिशों से घबराई महबूबा ने गत माह केंद्र सरकार को पीडीपी के विभाजन पर गंभीर परिणामों की धमकी भी दे डाली थी। हालात को देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने एलान किया था कि फिलहाल भाजपा किसी के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में पुन: सरकार नहीं बना रही है।

भाजपा की फिर हुई सज्जाद गनी लोन के घर बैठक

 राममाधव के वीरवार को समाप्त हुए दो दिवसीय कश्मीर दौरे ने फिर इन अटकलों को जन्म दिया है। कोई भी इन अटकलों को हल्के में नहीं ले रहा है, क्योंकि राम माधव की मौजूदगी में भाजपा नेताओं की पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन के घर में एक बैठक हुई थी। राम माधव के दिल्ली पहुंचने के एक दिन बाद फिर शुक्रवार सुबह श्रीनगर में भाजपा के पांच वरिष्ठ नेताओं की सज्जाद गनी लोन के घर बैठक हुई।

राज्य की सियासत में कुछ भी संभव

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद बाबा ने कहा कि जम्मू कश्मीर की सियासत में कुछ भी संभव है। जिस तरह से पीडीपी के भीतर अंतर्कलह जारी है और भाजपा दोबारा राज्य में सत्ता में लौटने के संकेत दे रही है। दूसरी तरफ महबूबा को भाजपा पसंद नहीं करेगी, इसके अलावा पीडीपी में जिस तरह से महबूबा को लेकर बगावत हुई है, उस हालात में महबूबा अपने संगठन को बचाए रखने के लिए जहर का कड़वा घूंट पीते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए अपने परिवार के बाहर पीडीपी के किसी अन्य नेता को या फिर भाजपा द्वारा समर्थित किसी उम्मीदवार जो संभवत: सज्जाद गनी लोन ही होंगे, के नाम पर हामी भर सकती हैं। वह भाजपा को बाहर से समर्थन का एलान भी कर सकती हैं। सरकार बनाने के लिए चाहिए 44 विधायक: 87 सदस्यीय जम्मू कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28, भाजपा के 25, नेशनल कांफ्रेंस के 15, कांग्रेस के 12, पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों के अलावा दो निर्दलीय और माकपा, पीडीएफ व एपीआइ का एक-एक विधायक है। सरकार बनाने के लिए 44 विधायक चाहिए। ऐसे में भाजपा के पास अपने 25 विधायक है, उसे 19 और विधायकों की जरूरत है। इसके लिए पीपुल्स कांफ्रेंस के विधायकों के साथ पीडीपी के बागी विधायक भी साथ आ जाएं तो भाजपा सरकार बना सकती है।


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