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नेकां, पीडीपी व पीसी में कांटे की टक्कर

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय सीट के लिए मंगलवार को चुनाव प्रचार थमने के साथ ही

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 02:29 AM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 07:59 AM (IST)
नेकां, पीडीपी व पीसी में कांटे की टक्कर

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय सीट के लिए मंगलवार को चुनाव प्रचार थमने के साथ ही चुनावी समीकरण भी पूरी तरह स्पष्ट हो गए हैं। सांसद बनने के लिए मैदान में उतरे नौ प्रत्याशियों में सिर्फ तीन के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला नजर आ रहा है। नेकां ,पीडीपी और पीसी में नजर आ रहे त्रिकोणीय संघर्ष में अगर कोई खलल डालते हुए कोई बड़ा उल्ट फेर करेगा तो वह इंजीनियर रशीद ही हैं।

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पहले चरण में शामिल बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय सीट पर नौ प्रत्याशियों में कांग्रेस के हाजी फारूक अहमद मीर, भाजपा के मोहम्मद मकबूल वार, जेकेएनपीपी के जहांगीर खान, जेकेपीडीपी के अब्दुल कयूम वानी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन, जेकेपीस के मोहम्मद अकबर अली और निर्दलीय जावेद अहमद कुरैशी, इंजीनियर रशीद है। इन सभी के भाग्य का फैसला वीरवार को 1317738 मतदाता पूरे क्षेत्र में बने 1749 मतदान केंद्रों में अपने वोटिग मशीन का बटन दबाकर करेंगे।

इस पूरे क्षेत्र में लगभग 98 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम ही हैं। अन्य दो प्रतिशत मतदाताओं में सिख, कश्मीरी पंडित व अन्य अल्पसंख्यक है। कश्मीरी पंडित मतदाताओं में करीब 10 हजार विस्थापित हैं। मुस्लिम समुदाय का वोटर पहाड़ी,गुज्जर, शिया-सुन्नी वर्ग में बंटा हुआ है। इंजीनियर रशीद कर सकते हैं उल्टफेर

15विधानसभा क्षेत्रों पर आधारित इस संसदीय सीट के लिए नौ उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं, लेकिन जो तस्वीर अभी तक सामने आई है, उसके आधार पर साफ हो चुका है कि यहां मुकाबला सिर्फ नेशनल कांफ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन, पीपुल्स कांफ्रेंस के मोहम्मद अकबर अली उर्फ राजा एजाज अली और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के अब्दुल क्यूम वानी के बीच ही है। निर्दलीय इंजीनियर रशीद भी अपनी उपस्थिति का पूरा अहसास करा रहे हैं और राजीनीतिक पंडित कह रहे हैं कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। वह तीन प्रमुख प्रत्याशियों की लड़ाई में सभी को हैरान कर सकते हैं। कांग्रेस के हाजी फारुक व अन्य प्रत्याशी सिर्फ वोट काटने तक ही सीमित हैं।

सोपोर में नेकां की स्थिति मजबूत

पिछले विधानसभा चुनाव में सोनवारी से चुनाव जीतने वाले अकबर लोन का न सिर्फ जिला बांडीपोर में अपना वोट बैंक है बल्कि उन्हें नेकां का उम्मीदवार होने का भी क्षेत्र में फायदा मिलेगा। नेकां का वोटर तीनों जिलों में फैले हैं। इसके अलावा उड़ी, गुरेज, बारामुला जिले के निचले हिस्सों और सोपोर में नेकां की स्थिति मजबूत है। इतना ही नहीं, पीडीपी के प्रति लोगों में गुस्सा भी उनके हक में जा रहा है। पीसी प्रत्याशी को पहाड़ी वोटरों पर भरोसा

सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कांफ्रेंस के उम्मीदवार राजा एजाज अली को अपने निजी वोट बैंक के अलावा लोन व शिया नेता इमरान रजा अंसारी के समर्थकों का पूरा साथ मिलेगा। इस क्षेत्र में लोन के लगभग एक लाख समर्थक हैं, जिनमें से साठ से सत्तर प्रतिशत वोट डालने आएंगे। इसके अलावा राजा एजाज अली पहाड़ी हैं और उन्हें पहाड़ी समुदाय का सहयोग मिलेगा। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने उड़ी सीट पर पीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस समय उन्होंने करीब 19 हजार वोट लिए थे। हंदवाड़ा, पटटन, उड़ी, कुपवाड़ा व करनाह मे पीपुल्स काफ्रेंस की मजबूती का उन्हें फायदा मिलेगा।

पीडीपी का भी है जनाधार

वर्ष 2014 में पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन ने यह सीट जीती थी। लेकिन इस बार मुजफ्फर हुसैन यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे। कर्मचारी संगठन के नेता रहे अब्दुल क्यूम वानी को पीडीपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उत्तरी कश्मीर में पीडीपी के कई वरिष्ठ नेता उससे किनारा कर चुके हैं, लेकिन पीडीपी को इस क्षेत्र में खत्म हुआ नहीं माना जा सकता। अब्दुल क्यूम वानी के साथ कर्मचारी संगठनों का वोटर है। इसके अलावा बारामुला व उसके आसपास के इलाकों में आज भी पीडीपी का अच्छा खास जनाधार है। महबूबा मुफ्ती ने भी इस इलाके मे जो रैलियां की हैं, उनमें लोगों की भीड़ बताती है कि क्यूम वानी चुनाव में कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इंजीनियर रशीद को फैसल का समर्थन

चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस की मौजूदगी का अहसास सिर्फ उन्हीं इलाकों में हुआ जहां पीडीपी व पीपुल्स कांफ्रेंस का प्रभाव साफ नजर आता है। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने टेक्नीकल तौर पर नेकां की मदद की है। गत दिनों नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में शामिल हुए डॉ. शाह फैसल और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के चेयरमैन गुलाम हसन मीर ने भी इंजीनियर रशीद के समर्थन का एलान किया है। वह लोगों से कह रहे हैं कि आपने पीडीपी, कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स कांफ्रेंस सभी को आजमाया है, एक बार मुझे मौका दो।

शहरों व कस्बों में कम होती है मतदान

कश्मीर में चुनाव बहिष्कार की सियासत के बीच जिस तरह से बीते दो दशकों में मतदान का ट्रेंड रहा है,उसके मुताबिक शहरी इलाकों व कस्बों में मतदान का प्रतिशत कम रहता है। गुरेज, करनाह,टंगडार, लोलाब, उड़ी, कुपवाड़ा और बांडीपोर के ऊपरी इलाकों मे मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहता है। कश्मीर की सियासत के पंडितों का मानना है कि चुनाव में प्रत्याशियों की जीत एलओसी के साथ सटे और ग्रामीण इलाकों में जहां जहां उनका प्रभाव है, में होने वाले मतदान से ही तय होगी। विधानसभा क्षेत्र

-करनाह -कुपवाड़ा -लालोब -हंदवाड़ा -लंगेट -उड़ी -रफियाबाद -सोपोर -गुरेज -बांडीपोरा -सोनावारी -संग्र्रामा -बारामुला -गुलमर्ग -पट्टन अब तक रहे सांसद

1967-सैयद अहमद आगा, कांग्रेस  1971- सैयद अहमद आगा, कांग्रेस 1977-अब्दुल अहद वकील, नेकां 1980- खवाजा मुबारक शाह, नेकां 1984: सैफुदीन सोज, नेकां

1989- सैफुदीन सोज, नेकां

1996- गुलाम रसूल कार, कांग्रेस  1998  सैफुदीन सोज, नेकां

1999  अब्दुल रशीद शाहीन, नेकां 2004  अब्दुल रशीद शाहीन, नेकां 2009  शरीफुदीन शारिक, नेकां

2014  मुजफ्फर हुसैन बेग, पीडीपी


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