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बैक टू विलेज कार्यक्रम के पहले व दूसरे चरण के लिए 50 करोड़ की राशि मंजूर

जम्मू कश्मीर सरकार ने गांव की ओर बैक टू विलेज कार्यक्रम के पहले व दूसरे चरण के तहत शुरू किए गए विकास कार्यो को पूरा करने के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। प्रत्येक जिला उपायुक्त को इस राशि में से 2.5-2.5 करोड़ रुपये मिलेंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 02:23 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 02:23 AM (IST)
बैक टू विलेज कार्यक्रम के पहले व दूसरे चरण के लिए 50 करोड़ की राशि मंजूर
बैक टू विलेज कार्यक्रम के पहले व दूसरे चरण के लिए 50 करोड़ की राशि मंजूर

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर सरकार ने गांव की ओर बैक टू विलेज कार्यक्रम के पहले व दूसरे चरण के तहत शुरू किए गए विकास कार्यो को पूरा करने के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। प्रत्येक जिला उपायुक्त को इस राशि में से 2.5-2.5 करोड़ रुपये मिलेंगे।

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उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में बैक टू विलेज कार्यक्रम का पहला चरण जून 2019 में संपन्न हुआ था। वित्त विभाग ने पहले दो चरणों के दौरान चिन्हित किए गए कार्याें को पूरा करने के लिए प्रत्येक जिला उपायुक्त को 2.5-2.5 करोड़ रुपये जारी करने के आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि बैक टू विलेज कार्यक्रम के पहले दो चरणों के दौरान शुरू किए गए कार्याें की सूची वित्त विभाग को उपलब्ध करायी जाए। अगर किसी पंचायत में बैक टू विलेज के पहले दो चरणों में कोई भी काम मंजूर नहीं किया गया है तो वहां मौजूदा योजना की निर्देशावाली के अनुरूप 14वें वित्तायोग के तहत उपलब्ध निधि के तहत किसी एक काम को चिन्हित कर शुरू किया जाए।

वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश में परियोजनाओं की निगरानी पल्स(एंड्रायड मोबाइल एप) के जरिए करने, उनकी जिया टैगिग करने और प्रत्येक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित बनाने के लिए उनके जमीनी स्तर पर सत्यापन के लिए भी कहा गया है। वर्ष 2019-20 और 2020-21 के दौरान चिन्हित किए गए बैक टू विलेज के कार्यो की प्रगति से जुड़ी सभी जानकारियों को संबधित पंचायत संस्थानों व जिला विकासायुक्तों की निगरानी में सार्वजनिक किया जाए।

वित्त विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग और योजना विकास एवं निगरानी विभाग को एक केंद्रीय कोष भी बनाने व उसकी देखभाल के लिए कहा है। इसके अलावा प्रत्येक गांव के लिए एक समग्र परसंपत्ति रजिस्टर भी तैयार करने को कहा गया जो हमेशा आम जनता द्वारा जांच के लिए उपलब्ध रहेगा।


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