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अमशीपोरा मुठभेड़ में दो लोग गिरफ्तार

जम्मू कश्मीर पुलिस ने अमशीपोरा (शोपियां) मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया है। अदालत ने दोनों को आठ दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। इस बीच सेना ने भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में पाए गए तथ्यों के आधार पर आरोपितों के खिलाफ आरोपों के संबंध में सुबूत और अन्य साक्ष्यों को रिकार्ड करना (समरी ऑफ एविडेंस) शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 01:53 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 05:15 AM (IST)
अमशीपोरा मुठभेड़ में दो लोग गिरफ्तार

अदालत ने आठ दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा

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सेना ने भी आरोपितों के खिलाफ सुबूत और साक्ष्य को रिकार्ड करना शुरू किया

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राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस ने अमशीपोरा (शोपियां) मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया है। अदालत ने दोनों को आठ दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। इस बीच, सेना ने भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में पाए गए तथ्यों के आधार पर आरोपितों के खिलाफ आरोपों के संबंध में सुबूत और अन्य साक्ष्यों को रिकार्ड करना (समरी ऑफ एविडेंस) शुरू कर दिया है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अमशीपोरा मामले में जांच के दौरान दो लोगों को पकड़ा गया है। इनके खिलाफ हत्या की साजिश रचने का मामला दर्ज किया गया है। इनमें से एक शोपियां जिले में चौगाम का रहने वाला है। दूसरा पुलवामा के निकस का है। शुरुआती पूछताछ में दोनों ने मुठभेड़ के बारे में कई अहम जानकारियां दी हैं। इस बीच, सेना ने भी अमशीपोरा मुठभेड़ में समरी ऑफ एविडेंस की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह प्रक्रिया ऐसे मामलों में आरोपित सैन्य अधिकारियों व जवानों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई से पहले अनिवार्य मानी जाती है। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में पहले ही साबित हो चुका है कि अमशीपोरा अभियान में शामिल जवानों व अधिकारियों ने अफस्पा के नियमों का दुरुपयोग किया है। अब समरी ऑफ एविडेंस की प्रक्रिया शुरू की गई गई है। कुछ नागरिक गवाहों को, जिन्होंने इस अभियान के दौरान कथित तौर पर मुखबिर की भूमिका निभाई है, से सवाल जवाब करते हुए उनके बयान भी दर्ज किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि 18 जुलाई को अमशीपोरा में सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराने का दावा किया था। राजौरी के तीन परिवारों ने 10 अगस्त को स्थानीय पुलिस स्टेशन में अपने तीन परिजनों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी कि अमशीपोरा में जिन आतंकियों को मार गिराने का दावा किया गया है, वह उनके लापता परिजन ही हैं। इस मामले की जांच में सेना ने भी स्वीकार किया है कि अभियान में मरने वाले राजौरी के लापता श्रमिक ही थे। पुलिस ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है। डीएनए जांच में भी इस तथ्य की पुष्टि हुई है।


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