Move to Jagran APP

खौफ का हथियार..कट्टरपंथी मानसिकता का विस्तार कर सांप्रदायिक दंगों की साजिश

बदलते हालात से खुश जब आम कश्मीरी अलगाववाद की छाया से बाहर निलकर उजाला तलाशने लगे हैं तो आंतकी गैर कश्मीरियों को निशाना बनाकर नफरत की आग भड़काने की साजिश रच रहे हैं। ज्वेलर संचालक पर हमला कर कट्टरवादी ताकतों का समर्थन पाने की कोशिश इसका सबसे बड़ा सबूत है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 12:25 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 12:25 PM (IST)
खौफ का हथियार..कट्टरपंथी मानसिकता का विस्तार कर सांप्रदायिक दंगों की साजिश
श्रीनगर में ज्वेलर्स की हत्या के बाद शोक संतप्त परिवार को देख दहशत का अंदाजा। फाइल फोटो

नवीन नवाज, श्रीनगर। 31 दिसंबर 2020 को जब देश-दुनिया के पर्यटक कश्मीर में नए साल का जश्न मनाने पहुंचे थे, इसी बीच श्रीनगर की हाई स्ट्रीट में आतंकियों ने नामी ज्वेलर सतपाल निश्चल की निर्ममता से हत्या कर दी। इसके लगभग डेढ़ माह बाद 17 फरवरी की शाम आतंकियों ने पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र श्रीनगर के प्रख्यात कृष्णा ढाबे के काउंटर पर बैठे ढाबा संचालक के बेटे को गोली मार दी। दोनों बार कश्मीर में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया। दोनों ही परिवार दशकों से कश्मीर में रोजगार चला रहे थे।

loksabha election banner

कश्मीर में आतंकियों पर कसते शिकंजे के बीच यह दोनों घटनाएं धर्मांध इस्लामी कट्टरपंथी ताकतों की सोच और उनकी खीझ को उजागर करती हैं। साथ ही धाíमक अलगाव बढ़ाकर कश्मीर के हितों को निशाना बनाने की साजिश का भी खुलाता करती हैं।जम्मू कश्मीर में तीन दशक से जारी आतंक ने कई बार चेहरे बदले हैं और चोला भी। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद कश्मीर भी बदला और कश्मीरियों की सोच भी। नतीजा आतंक के लिए जमीन तंग हो गई। इसके बाद आतंक के आकाओं ने रणनीति बदली और धर्मांध युवाओं को फुसलाकर आगे किया। पुराने संगठन किनारे लगने के बाद अब नए संगठनों को हवा दी गई। द रजिस्टेंस फ्रंट अब कश्मीर में सक्रिय सबसे खूंखार आतकी संगठन में से एक है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स, पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स, लश्कर ए मुस्तफा और कश्मीर टाइगर्स जैसे संगठन अस्तित्व में आए। यह संगठन सीधे इस्लाम के नाम पर खून बहाने के लिए लोगों को उकसाते हैं। अब कश्मीर की आजादी के नारे पीछे छोड़ मजहबी अलगाव ही हथियार बन चुका है।

गैर कश्मीरी अल्पसंख्यक हैं निशाना: ज्वेलर और ढाबा संचालक पर हमले के पीछे साजिश और भी बड़ी है। दोनों ही कश्मीर में हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर कश्मीरी नामी चेहरे हैं। ज्वेलर सतपाल निश्चल को निशाना बनाने का कारण डोमिसाइल बताया गया। साजिश थी कि डोमिसाइल प्रक्रिया बाधित कर दी जाए। कृष्णा ढाबा पर हमला माहौल को सामान्य होने से रोकने की साजिश का ही हिस्सा है। यह ढाबा सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों और नौकरशाहों के लिए भी पहली पसंद है। यह हमला कश्मीर में आरंभ हो रहे पर्यटन सीजन को तबाह करने, नफरत व खौफ पैदा करने की साजिश है। श्रीनगर के बागात बरजुला में दो निहत्थे पुलिसकíमयों पर कायराना हमला आमजन में खौफ पैदा करने की साजिश का ही हिस्सा है।

गर्मियों के दौरान कश्मीर में सुरक्षा व सावधानी दोनों जरुरी: गर्मियों का मौसम कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से गर्म हो सकता है। इसी समय कश्मीर में पर्यटन जोरों पर होता है। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्र भी इसी दौरान चलती है। टीआरएफ, गजनवी फोर्स,लश्कर-ए-मुस्तफा, कश्मीर टाइगर्स जैसे आतंकी संगठन गर्मियों में कश्मीर आने वाले पर्यटकों को निशाना बनाने की साजिश रच सकते हैं। आइईडी धमाके, ग्रेनेड हमले और टारगेट किलिंग के जरिए सुरक्षाबलों पर दबाव बढ़ाने की साजिश होगी। हालांकि आइपीएस अधिकारी इम्तियाज हुसैन कहते हैं कि इन साजिशों का वही हश्र होगा जो अब तक होता आया है। जो भी आएगा मारा जाएगा।

सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की साजिश: इस्लाम के नाम पर गैर कश्मीरियों को निशाना बना जेहादी कट्टरपंथी मानसिकता का विस्तार करना चाहते हैं। उनके आका मानते हैं कि इस तरह की कार्रवाइयों की पूरे हिंदुस्तान में प्रतिक्रिया होगी और सांप्रदायिक तनाव पैदा होगा और किसी भी समय सांप्रदायिक दंगे भड़का दिए जाएंगे।

समर स्ट्रेटजी के साथ सुरक्षाबल है तैयार: कश्मीर के आइजीपी विजय कुमार ने बताया कि आतंकियों के वित्तीय और ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क के खिलाफ लगातार प्रहार किया जा रहा है। संभावित ठिकानों पर सुनियोजित तरीके से दबिश दी जा रही है। आइईडी धमाकों, ग्रेनेड हमलों से निपटने के लिए एक विशेष रणनीति अपनाई गई है। अफवाहें फैलाने वाले तत्वों की इंटरनेट मीडिया पर भी लगातार निगरानी की जा रही है। उन जगहों को भी चिह्न्ति किया जा रहा है जहां आतंकी पर्यटकों और अल्पसंख्यकों को निशाना बना सकते हैं। थाना स्तर पर क्षेत्र के युवाओं के साथ संवाद समन्वय बढ़ाया जा रहा है।

दबाव में पाकिस्तान ने बदल दिया अब आतंक का मुखौटा: पूर्व पुलिस महानिरीक्षक के अशकूर वानी ने बताया कि पुलवामा के बाद जैश, लश्कर और हिजबुल जैसे संगठन अत्यंत दबाव में हैं। सभी पुराने कमांडर मारे जा चुके हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने इन संगठनों के सहयोग से आतंक का मुखौटा बदल दिया। साजिश है कि पाकिस्तान कहेगा कि यह संगठन कश्मीरी हैं और हिंसा से उसका नाता नहीं है। नए संगठनों को स्थानीय स्नोत से ही पैसा जुटाने का जिम्मा दिया गया है। इसका सुबूत नवंबर 2020 में शोपियां और फिर बड़गाम में एक पेट्रोल पंप पर हुई लूट से भी मिला है। इन्हीं संगठनों की मदद कर वारदात को अंजाम देने की तैयारी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.