Srinagar Temples: श्रीनगर के 30 मंदिरों का होगा जीर्णाेद्धार, शीतलनाथ मंदिर में लंबे समय बाद हुआ हवन
कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की सियासत पर ताला लगने के बाद अब हिंदू धर्मस्थलों के संरक्षण की कवायद शुरू हो गई है। प्रशासन जल्द श्रीनगर में 30 मंदिरों का जीर्णाेद्धार कराने और उन्हेंं धार्मिक पर्यटन मानचित्र में शामिल करने जा रहा है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की सियासत पर ताला लगने के बाद अब हिंदू धर्मस्थलों के संरक्षण की कवायद शुरू हो गई है। प्रशासन जल्द श्रीनगर में 30 मंदिरों का जीर्णाेद्धार कराने और उन्हेंं धार्मिक पर्यटन मानचित्र में शामिल करने जा रहा है। इस बीच, लालचौक को हब्बाकदल से अलग करने वाले करालखुड इलाके में स्थित शीतलनाथ भैरव मंदिर में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद मंगलवार को पहली बार बसंत पंचमी पर बड़े धार्मिक समागम के रूप में पूजा व हवन का आयोजन किया गया।
यह मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए पौराणिक, धार्मिक सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से बेहद अहमियत रखता है।
कश्मीरी पंडितों की आस्था के प्रतीक इसी शीतलनाथ भैरव मंदिर के प्रांगण में 1990 से पूर्व कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के कई राजनीतिक व सामाजिक आंदोलनों की रणनीति बनी है। महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू इस मंदिर परिसर में लोगों को संबोधित कर चुके हैं।
आतंकवाद के दौर में कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन होने के बाद यह मंदिर पूरी तरह वीरान हो गया था। वर्ष 2010 में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने इस मंदिर को फिर से पूजा अर्चना के लिए खोला था। उसके बाद से मंदिर में नियमित तौर पर पूजा होती आई है। अलबत्ता, वर्ष 2014 की बाढ़ और उसके बाद कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति से शीतल नाथ मंदिर में होने वाले प्रमुख धार्मिक समागम प्रभावित रहे हैं।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद मंगलवार को पहली बार बसंत पंचमी पर पूजा व हवन का आयोजन किया गया। शीतलनाथ भैरव आश्रम समिति द्वारा आयोजित इस धार्मिक समागम में बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित श्रद्धालुओं ने भाग लिया। स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम भी मंदिर में पूजा के प्रबंधों का हाथ बंटाते नजर आए।
यहां बता दें कि कश्मीर में हजारों मंदिर कश्मीरी पंडितों के बाद वीरान हो गए और बाद में क्षतिग्रस्त हो गए। कुछ मंदिरों की जमीनों पर बाद में कब्जे जमा लिए गए।
मंदिरों की जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराएंगे :
श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टू भी पूजा में शामिल होने मंदिर पहुंचे। उन्होंने शीतलनाथ भैरव के दर्शन करने और प्रसाद ग्रहण करने के बाद कहा कि यह मंदिर सिर्फ कश्मीरी पंडितों का नहीं है, यह हमारी सदियों पुरानी प्राचीन सभ्यता की धरोहर है। यह कश्मीरियत का प्रतीक है, इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। श्रीनगर में जितने भी मंदिर हैं, हम उनका संरक्षण और विकास करेंगे। उनकी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराएंगे। हमने श्रीनगर में 30 मंदिर चिन्हत किए हैं, जिनका जीर्णाेद्धार प्राथमिकता के आधार पर इसी साल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शीतलनाथ मंदिर परिसर में स्थित स्कूली इमारत की मरम्मत भी की जाएगी। इसके अलावा यहां एक यात्री निवास भी बनाया जाएगा और इसके लिए संबंधित अधिकारियों को डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
उम्मीद है अब पहले की तरह बड़े धार्मिक समागम हुआ करेंगे :
शीतनाथ भैरव आश्रम समिति के सदस्य उपेंद्र हांडू ने कहा कि 1990 से पहले यहां बसंत पंचमी पर खूब चहल-पहल होती थी। आतंकवाद के कारण यह चहल-पहल समाप्त हो गई। अब यहां हालात फिर सुधरे हैं, इसलिए उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ सालों में यहां फिर पहले की तरह बड़े धार्मिक समागम हुआ करेंगे।