कश्मीर का सेब फिर खरीदेगा नैफेड
कश्मीर के सेब उत्पादकों की मांग केंद्र सरकार ने मान ली है। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी नैफेड कश्मीर के व्यापारियों से सेब खरीदेगा।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: कश्मीर के सेब उत्पादकों की मांग केंद्र सरकार ने मान ली है। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी उनका सेब नैफेड के माध्यम से खरीदा जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को जम्मू कश्मीर के सेब उत्पादकों और व्यापारियों की मदद के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआइएस) को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत मौजूदा सीजन में 12 लाख टन सेब खरीद का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कश्मीर में पांच मंडियां चिह्नित की गई हैं।
जम्मू कश्मीर में यह योजना दूसरी बार लागू की जा रही है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 2019 में सेब उत्पादकों के लिए एमआइएस को पहली बार लागू किया था। अलबत्ता, इस बार शुरू में यह योजना लागू नहीं की गई थी, लेकिन सेब उत्पादक इसे फिर से लागू करने की मांग कर रहे थे। इस योजना के तहत 12 लाख टन सेब खरीद का लक्ष्य रखा गया है। एमआइएस के तहत सेब खरीद की प्रक्रिया में ग्रामीण आबादी के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। सेबों की पैकिग, गाड़ियों में उनकी लदाई-ढुलाई और मंडियों तक पहुंचाने के काम में कई लोगों को रोजगार मिलेगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्र सरकार के फैसले को सेब उत्पादकों के लिए बड़ी राहत बताया है। यह उन्हें किसी भी रुकावट और आपात परिस्थिति में पर्याप्त बीमा लाभ पहुंचाएगी। इसके अलावा सेब उत्पादकों को अपनी उपज मंडियों तक पहुंचाने, उसके विपणन की दिक्कतों से राहत के साथ-साथ फसल की उचित कीमत मिलेगी। उन्होंने कहा कि बागवानी क्षेत्र के विकास-प्रोत्साहन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। ये पांच मंडियां चिह्नित
एमआइएस के तहत नेशनल एग्रीकल्चर कापोरेटिव मार्केटिग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैफेड) किसानों और व्यापारियों से सीधे सेब खरीदेगा। इसके लिए सोपोर, परिपोरा (श्रीनगर), शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग में पांच मंडियों को चिन्हित किया गया है। सेब की कीमत उसकी ग्रेडिंग के आधार पर होगी। किसानों से खरीदे गए सेब का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में होगा। सरकारी गारंटी पर 2500 करोड़ रुपये खर्च करने को भी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नैफेड को सेब खरीदने के लिए 2500 करोड़ रुपये सरकारी गारंटी के साथ इस्तेमाल करने की इजाजत भी दी गई है। अगर इस प्रक्रिया के दौरान कोई नुकसान होता है तो केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन इसे 50:50 के अनुपात में वहन करेगा।