केरन से दिखेगा लाल किले का प्राचीर
ऐसा नहीं कि गांव में टेलीविजन नहीं है या दूरदर्शन का सिग्नल नहीं आता लेकिन बिजली आपूर्ति सिर्फ रात को तीन घंटे रहती थी। अब 24 घंटे बिजली आपूर्ति की सुविधा है। केरन समेत एलओसी से सटे अग्रिम इलाकों में ग्रिड के जरिए बिजली आपूर्ति नहीं है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करेंगे तो उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे केरन (कुपवाड़ा) में पहली बार लोग टेलीविजन पर उन्हें देखेंगे और सुनेंगे।
ऐसा नहीं कि गांव में टेलीविजन नहीं है या दूरदर्शन का सिग्नल नहीं आता, लेकिन बिजली आपूर्ति सिर्फ रात को तीन घंटे रहती थी। अब 24 घंटे बिजली आपूर्ति की सुविधा है। केरन समेत एलओसी से सटे अग्रिम इलाकों में ग्रिड के जरिए बिजली आपूर्ति नहीं है। सिर्फ डीजल जेनरेटर से पैदा होने वाली बिजली है और वह भी शाम को सिर्फ छह से नौ बजे तक मिलती है। डीजल जेनरेटर की बिजली महंगी होने के साथ वायु व ध्वनि प्रदूषण भी पैदा करती है। बीते 72 वर्र्षो से केरन के लोग इसी बिजली पर निर्भर थे। अलबत्ता, बीते दिनों प्रदेश प्रशासन ने केरन में ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के साथ ही इसे ग्रिड से जोड़ दिया और 24 घंटे बिजली आपूर्ति को संभव बनाया।
जिला उपायुक्त कुपवाड़ा अंशुल गर्ग ने कहा कि इस साल पहली बार केरन के लोग घर में बैठ कर लाल किले पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम एक साल से इस इलाके में विद्युतीकरण को मिशन मोड पर पूरा करने में लगे हुए थे। हमने सिर्फ विद्युतीकरण ही नहीं किया है बल्कि इस पूरे क्षेत्र में सड़क नेटवर्क को भी मजबूत बनाने में लगे हुए हैं।
किशनगंगा दरिया के किनारे बसा केरन सर्दियों में छह माह लगभग जिला मुख्यालय कुपवाड़ा समेत देश के विभिन्न हिस्सों से जमीनी तौर पर कटा रहता है। इस दौरान हेलीकाप्टर ही एकमात्र साधन होता है। अंशुल गर्ग ने कहा कि हमने इस साल सीमा सड़क संगठन को सर्दियों से पहले सड़क पर मैकडम बिछाने का जिम्मा सौंपा है।
यहां यह बताना असंगत नही होगा कि केरन सेक्टर अक्सर पाकिस्तानी गोलाबारी का निशाना बनता रहता है। केरन सेक्टर में एलओसी पर कई बार आतंकी घुसपैठ का प्रयास करते हैं। इस सेक्टर में घुसपैठ की दृष्टि से संवेदनशील कई रास्ते, जंगल और नाले हैं।