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नए सियासी मंच की तैयारी में अल्ताफ बुखारी

राज्य ब्यूरो श्रीनगर जम्मू कश्मीर में नया सियासी मंच तैयार करने में जुटे पूर्व वित्तमंत्री अल्ताफ बुखारी परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर अगले दो-तीन दिन में अपने संगठन का एलान कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 08:24 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 08:24 AM (IST)
नए सियासी मंच की तैयारी में अल्ताफ बुखारी
नए सियासी मंच की तैयारी में अल्ताफ बुखारी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में नया सियासी मंच तैयार करने में जुटे पूर्व वित्तमंत्री अल्ताफ बुखारी परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर अगले दो-तीन दिन में अपने संगठन का एलान कर सकते हैं। इस बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग से उनकी मुलाकात ने भी नई सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है। बुखारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। वह कहते हैं कि आप बस इंतजार करिए, जो होगा जम्मू कश्मीर के लोगों के हित में ही होगा।

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बुखारी को पीडीपी के ताकतवर नेताओं में गिना जाता रहा है। बुखारी के करीबियों ने बताया कि वह इस समय अपने साथियों और समर्थकों के साथ नए राजनीतिक मंच को लेकर गहन विचार विमर्श की प्रक्रिया मे हैं। कई पुराने नेता चाहते हैं कि वह नया मंच बनाने से पूर्व पीडीपी को दोबारा खड़ा करने के विकल्प पर विचार करें। अगर वह चाहें तो पीडीपी के नेताओं की बैठक बुलाकर नए पदाधिकिारियों को चुना जा सकता है, लेकिन उन्होंने इस विकल्प से कथित तौर पर इन्कार किया है। बेग का चाहते हैं साथ बुखारी :

सूत्रों ने बताया कि बुखारी ने पीडीपी के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन से भी गत दिनों एक मुलाकात की है। बेग बीते कुछ महीनों के दौरान कई बार महबूबा की नीतियों की आलोचना करते हुए जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। बताया जा रहा है कि बुखारी चाहते हैं कि बेग उनका साथ दें। बेग का साथ मिलने पर महबूबा अकेली पड़ जाएंगी। एक तरह से पीडीपी के लगभग सभी पुराने नेता और कैडर बुखारी के साथ चला जाएगा। बेग का जवाब वीरवार शाम तक नहीं मिला था। बुखारी उनके जवाब के बाद ही अपना अगला सियासी कदम उठाने के मूड़ में हैं। महबूबा ने निष्कासित कर दिया था :

जून 2018 में जब पीडीपी-कांग्रेस-नेकां के गठजोड़ की सरकार बनाने की कवायद हुई थी तो उस समय उन्हें ही पीडीपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया गया था। पिछले साल पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अपने निष्कासन पर बुखारी ने कहा था कि अब मैं आजाद हूं। जम्मू कश्मीर के लोगों की बेहतरी के लिए खुलकर काम कर सकता हूं।

सियासी आवाजें मंद पड़ीं : जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस,अवामी इत्तेहाद पार्टी सरीखे क्षेत्रीय दलों ने राजनीतिक गतिविधियों को सीमित कर लिया है। इन दलों का राजनीतिक एजेंडा मौजूदा परिस्थितियों में पूरी तरह आप्रसंगिक हो चुका है। इनके अधिकांश नेता एहतियातन नजरबंद हैं या फिर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत बंदी हैं। इन दलों ने पुनर्गठन अधिनियम को रद किए जाने तक किसी तरह की चुनावी सियासत का हिस्सा न बनने का एलान कर दिया। इससे जम्मू कश्मीर में एक तरह का राजनीतिक शून्य पैदा हो गया था। आम लोगों को पेश आने वाली दिक्कतों को उठाने वाली सियासी आवाजें मंद पड़ गई थी। ऐसे हालात में बुखारी राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए। उन्होंने पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के कई पुराने नेताओं और पूर्व विधायकों को साथ जोड़ राजनीतिक शून्य को भरने का प्रयास शुरू किया। बुखारी के साथ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर के अलावा पीडीएफ के चेयरमैन हकीम यासीन भी हैं। बुखारी के नेतृतव में पीडीपी के आठ वरिष्ठ नेताओं और पूर्व विधायकों ने बीते माह उपराज्यपाल से भी मुलाकात की थी। ये लोग कश्मीर दौरे पर आए विदेशी राजनयिकों से भी मिले थे।


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